
अरमान अली की रिपोर्ट
कैसे हुआ श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में भीषण धमाका?
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार देर रात एक भयानक विस्फोट हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया।
इस धमाके में 7 लोगों की मौत हो गई जबकि 27 लोग घायल हो गए। मृतकों में पुलिसकर्मी, फॉरेंसिक अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि
नौगाम पुलिस स्टेशन की इमारत का बड़ा हिस्सा ढह गया और पूरे परिसर में आग लग गई।
धमाका उस समय हुआ जब पुलिस और फॉरेंसिक टीम जब्त किए गए भारी मात्रा के विस्फोटक की जांच कर रही थी। परिसर में 3000 किलोग्राम से अधिक अमोनियम नाइट्रेट का जखीरा लाया गया था, जो हाल ही में फरीदाबाद से बरामद हुआ था।
इसी की सैंपलिंग के दौरान अचानक तेज धमाका हुआ, जिससे पूरा थाना परिसर हिल उठा।
कौन-कौन इस विस्फोट में हुए प्रभावित?
धमाके में जिन लोगों की मौत हुई, उनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और प्रशासन के दो अधिकारी शामिल हैं। घायलों में से 5 की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
सभी घायलों को 92 बेस अस्पताल और SKIMS में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है।
क्या यह बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा है?
जांच अधिकारियों का मानना है कि यह विस्फोट किसी आतंकी साजिश से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि यह वही नौगाम थाने का परिसर है जिसने हाल ही में
जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था। यह मॉड्यूल कश्मीर में सुरक्षा बलों और बाहरी लोगों पर हमले की धमकी दे रहा था।
‘टेरर डॉक्टर’ का नेटवर्क – सबसे बड़ा खुलासा
नौगाम पुलिस स्टेशन का यह विस्फोट उस मॉड्यूल से जुड़ा माना जा रहा है, जिसमें पुलिस ने उच्च शिक्षित आतंकियों को पकड़ा था।
इस पूरे नेटवर्क को “व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल” नाम दिया गया, क्योंकि सभी आरोपी डॉक्टर और मेडिकल प्रोफेशनल्स थे।
अब तक गिरफ्तार मुख्य आरोपी
- डॉ. अदील अहमद राथर – अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में कार्यरत
- डॉ. मुज़म्मिल शकील – अल-फलाह मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद
- डॉ. शाहीन सईद – अल-फलाह मेडिकल कॉलेज
पुलिस ने इन डॉक्टरों के ठिकानों से करीब 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट, हथियार और डिजिटल डिवाइस बरामद किए थे।
इन विस्फोटकों का एक हिस्सा जांच हेतु श्रीनगर लाया गया था, जो नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर रखा गया था।
दिल्ली ब्लास्ट से कनेक्शन – बड़ा लिंक उजागर
कुछ दिन पहले दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट ने इस पूरी आतंकी साजिश को उजागर किया।
NIA की जांच में सामने आया कि उस कार को आतंकवादी डॉ. उमर नबी चला रहा था।
IED असेंबलिंग में गलती के कारण धमाका हल्का हुआ, लेकिन इस घटना ने पूरे नेटवर्क का काला चेहरा खोल दिया।
3000 किलो विस्फोटक कहां से आया था?
NIA ने फरीदाबाद के एक घर से 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था।
इसी का एक बड़ा हिस्सा जांच के लिए श्रीनगर भेजा गया था।
अधिकारियों के अनुसार सैंपलिंग के दौरान विस्फोट हुआ, जिससे नौगाम पुलिस स्टेशन में तबाही मच गई।
क्या थी साजिश की असली योजना?
जांच सूत्रों के मुताबिक, यह व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और अन्य बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट की योजना बना रहा था।
3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग कर एक बड़े स्तर पर हमले की तैयारी थी।
हालांकि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते मॉड्यूल को पकड़ लिया, मगर इसके विस्फोटकों की जांच में यह बड़ा हादसा हो गया।
धमाके की वर्तमान स्थिति और जांच की दिशा
NIA, SIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त रूप से नौगाम धमाके की जांच कर रही हैं।
शुरुआती जांच में यह तकनीकी लापरवाही की ओर इशारा करता है, लेकिन आतंकी एंगल की भी गहन जांच की जा रही है।
नौगाम धमाका – कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए इस विस्फोट ने सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।
जहां एक तरफ इतना बड़ा विस्फोटक जखीरा शहर में लाया गया, वहीं दूसरी ओर इसे एक व्यस्त पुलिस स्टेशन में रखना कहीं न कहीं सुरक्षा मानकों की अनदेखी को दर्शाता है।
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यदि इस विस्फोटक का दुरुपयोग आतंकियों के हाथ लग जाता, तो
कश्मीर और देश के कई शहरों में भयावह तबाही हो सकती थी।
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नौगाम पुलिस स्टेशन में धमाका कैसे हुआ?
जब्त किए गए 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट की सैंपलिंग के दौरान विस्फोट हो गया।
इस विस्फोट में कितने लोग मारे गए?
अब तक 7 लोगों की मौत और 27 घायल हुए हैं।
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल क्या है?
उच्च शिक्षित डॉक्टरों और प्रोफेशनल्स द्वारा संचालित आतंकी नेटवर्क।
क्या धमाका दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ा है?
हाँ, दोनों मामलों में एक ही मॉड्यूल की गतिविधियाँ पाई गईं।









