कार्तिक मास शुरू होते ही कृष्ण भक्ति में रंगा ब्रजमंडल, गूंज उठी राधे-राधे की जयकार

मंदिर परिसर में खड़े श्रद्धालु हाथ उठाकर अभिवादन कर रहे हैं।

✍️हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

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🌸 ब्रजमंडल में कार्तिक मास का शुभारंभ: हर ओर कृष्णमय वातावरण

जैसे ही कार्तिक मास का आरंभ हुआ, संपूर्ण ब्रजमंडल में कृष्ण भक्ति की लहर दौड़ गई है। वृंदावन, गोवर्धन, नंदगांव, बरसाना और गोकुल की गलियों में “राधे-राधे” की गूंज से वातावरण पवित्र हो उठा है।
हर ओर दीपदान, भजन, कीर्तन और श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन से पूरा ब्रज प्रभु श्रीकृष्ण के प्रेम में सराबोर दिखाई दे रहा है।
कार्तिक मास में दीपदान, पवित्र कुंडों व सरोवरों में स्नान, और ब्रजमंडल परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। पद्मपुराण में कहा गया है कि “जो भक्त कार्तिक में ब्रज की परिक्रमा करता है, वह श्रीकृष्ण लोक में स्थान पाता है।”

🪔 ब्रजमंडल परिक्रमा में उमड़े देश-विदेश के भक्त

ब्रज के चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग पर इन दिनों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। अब तक लगभग पचास हजार से अधिक भक्त ब्रजमंडल परिक्रमा कर चुके हैं।
वृंदावन स्थित विमल बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी संजय लवानिया बताते हैं,

“कार्तिक मास भगवान श्रीकृष्ण को सबसे प्रिय है। उन्होंने स्वयं कहा है कि सभी महीनों में कार्तिक मास उन्हें अत्यंत प्रिय है। इसीलिए इस महीने ब्रज में रहना, परिक्रमा करना और दीपदान करना परम पुण्यदायी है।”

लवानिया बताते हैं कि इस काल में कई विदेशी भक्त भी ब्रजमंडल परिक्रमा में सम्मिलित होते हैं। कई तो पूरे महीने कल्पवास करते हैं — यमुना किनारे साधना, ध्यान और कीर्तन में लीन होकर।

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🌼 कार्तिक मास: श्रीकृष्ण का प्रियतम महीना

श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने जब उनसे पूछा कि उन्हें कार्तिक मास क्यों प्रिय है, तो उन्होंने बताया कि पूर्व जन्म में उन्होंने इसी महीने अनेक धार्मिक कार्य, एकादशी व्रत, और दीपदान किया था।
भगवान ने सत्यभामा को बताया कि “जो भक्त कार्तिक मास में दीपदान और ब्रजमंडल की परिक्रमा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।”
पद्मपुराण में वर्णन है —

“पूर्व जन्म में सत्यभामा ने आजीवन कार्तिक व्रत किया था, इसी पुण्य के प्रभाव से उन्हें श्रीकृष्ण की अर्द्धांगिनी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।”

एक भीड़ जिसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे पारंपरिक कपड़ों में धार्मिक स्थल के बाहर खड़े हैं
भक्तजन धार्मिक यात्रा के दौरान मंदिर प्रांगण में एकत्रित होते हुए।

🐟 मत्स्य अवतार की कथा और कार्तिक का रहस्य

कार्तिक मास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा मत्स्य अवतार की भी है।
जब असुर शंखासुर ने वेदों को चुरा कर समुद्र में फेंक दिया था, तब विष्णु भगवान ने मत्स्य अवतार लेकर उन्हें पुनः प्राप्त किया।
भगवान ने कहा — “जो कार्तिक में दीपदान और ब्रजमंडल परिक्रमा करता है, उसे किसी तीर्थ की आवश्यकता नहीं; वह सीधे मेरे लोक को प्राप्त करता है।”
यह वही मास है जब योगनिद्रा में सोए विष्णु ने ब्रह्मा और देवताओं की प्रार्थना पर लोककल्याण के लिए जागरण किया था। इसीलिए इसे “भक्ति का जागरण मास” भी कहा जाता है।

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🏞️ वृंदावन और कामवन की लीलाभूमि

वृंदावन और कामवन का महत्व इस महीने और भी बढ़ जाता है।
यह वही भूमि है जहाँ श्रीकृष्ण ने रासलीला, गोवर्धन पूजा, और माखन चोरी जैसी लीलाएँ की थीं।
भक्तों का विश्वास है कि यदि ब्रज रज (ब्रज की मिट्टी) का एक कण भी मस्तक को छू जाए, तो जीवन धन्य हो जाता है।
भक्ति परंपरा में कहा गया है —

“मुक्ति कहे गोपाल ते मेरी मुक्ति बताय,
ब्रज रज उड़ि मस्तक लगे, मुक्ति मुक्त होइ जाय।”

यही कारण है कि कार्तिक मास में लाखों भक्त दण्डवत प्रणाम करते हुए ब्रजमंडल परिक्रमा पूरी करते हैं, ताकि ठाकुर के चरणों की धूल उनके मस्तक पर लग सके।

🌕 दीपदान से जगमगाते घाट और कुंड

दीपदान इस महीने की सबसे सुंदर परंपरा है।
वृंदावन के केशवदेव मंदिर, यमुनाघाट, राधाकुंड और गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर हर शाम हज़ारों दीप जलाए जाते हैं।
यमुना के प्रवाह पर तैरते दीपक ब्रज की रात्रि को अलौकिक बना देते हैं।
भक्त “राधे-राधे जय श्रीकृष्ण” की ध्वनि के साथ दीप प्रवाहित करते हैं और मंगल गीत गाते हैं।

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🙏 कार्तिक मास में ब्रज का वास क्यों शुभ माना गया

कार्तिक मास में ब्रज का वास इसलिए शुभ माना गया है क्योंकि यह भक्ति, साधना और मोक्ष का महीना है।
जो व्यक्ति इस मास में ब्रजमंडल परिक्रमा, दीपदान, और दान-पुण्य करता है, वह अगले जन्म के बंधनों से मुक्त होता है।
धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक में श्रीकृष्ण स्वयं ब्रज की गलियों में विचरण करते हैं और भक्तों के प्रेम को स्वीकार करते हैं।
कार्तिक मास की शुरुआत से ही ब्रजमंडल का हर कण कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत है।
यह महीना केवल व्रत और पूजा का नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और प्रभु प्रेम में समर्पण का प्रतीक है।
चाहे भारतीय भक्त हों या विदेशी, सभी एक ही स्वर में गा रहे हैं —

“राधे राधे! जय श्रीकृष्ण!”

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