
चित्रकूट की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जोरदार मांग
“ चलो गाँव की ओर ” ”
चित्रकूट की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जोरदार मांग
प्रमुख संदेश
युवा व्यापारी नेता व समाजसेवी विनोद प्रिंस केसरवानी और चलो गांव की ओर अभियान की टीम ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर जिले में मौजूदा चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था में तात्कालिक सुधार की मांग की। मार्च के दौरान प्रमुख माँगों में चित्रकूट ट्रामा सेंटर की स्थापना, अस्पतालों का आधुनिकीकरण और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों का सशक्तीकरण शामिल था।
ज्ञापन में उठाये गए बिंदु
ज्ञापन में विस्तार से बताया गया कि चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, दवाइयों का अभाव, टूटे-फूटे उपकरण और बिस्तरों की कमी जैसी गंभीर समस्याएँ व्याप्त हैं। मौजूद लोगों ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में मरीजों को समय पर उचित इलाज न मिल पाने के कारण जीवन पर खतरा बढ़ गया है। इसलिए चित्रकूट ट्रामा सेंटर की तत्काल स्थापना अनिवार्य है।
मुख्य मांगें
- जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों (न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, गैस्ट्रो) की तैनाती।
- खोह अस्पताल में अस्थायी रूप से चित्रकूट ट्रामा सेंटर शुरू करना जब तक स्थायी सेंटर न बने।
- दवा भंडार की उच्चतम प्राथमिकता और मुफ्त दवा योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन।
- जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों का आधुनिकीकरण — नए बिस्तर, स्वच्छता, और काम करने वाली मशीनरी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में चलो गांव की ओर अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य शिविर व लोगों तक पहुँच।
ग्रामीण सुविधा की स्थिति
ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ नगण्य हैं। लोग इलाज के लिए बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं, और महँगे निजी अस्पतालों में इलाज के कारण परिवार कर्ज़ में डूब जाते हैं। इसलिए चलो गांव की ओर अभियान का जोर यह है कि चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत किए बिना ग्रामीण जीवन सुरक्षित नहीं हो सकेगा।

अस्पतालों की तकनीकी व इंफ्रास्ट्रक्चर समस्याएं
जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्स-रे जैसी जांच के लिए उपकरण या तो उपलब्ध नहीं हैं या खराब स्थिति में पड़े हैं। एक्स-रे के छोटे साइज की फिल्म देने की प्रथा भी मरीजों के निदान में बाधा बन रही है। इन सभी बुनियादी कमियों को दूर कर के ही चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है।
समाधान व सुझाव (ज्ञापन से)
ज्ञापन में सुझाव दिए गए हैं — रिक्त पदों की तत्काल भर्ती, नर्सों व पैरामेडिकल स्टाफ का कुशल प्रशिक्षण, उपकरणों की मरम्मत व नई मशीनों की खरीद, और जब तक केंद्रीय ट्रामा भवन न बन पाए तब तक खोह के मातृत्व अस्पताल में अस्थायी चित्रकूट ट्रामा सेंटर संचालित करना। साथ ही, चलो गांव की ओर अभियान की टीमें गांव-गांव जाकर जनजागरूकता व स्वास्थ्य शिविर चलाएँगी।
सोशल अपील — राजनीतिक नहीं सामाजिक मुद्दा
संजय सिंह राणा ने इस मुद्दे को स्पष्ट रूप से सामाजिक बताया और कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बल्कि जनहित के लिए है। चलो गांव की ओर अभियान इसीलिए इस मुहिम को सामाजिक-आधारित रखते हुए जनता तक आवाज़ पहुँचाने पर काम कर रहा है ताकि चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था में वास्तविक सुधार हों।
स्थानीय सहभागिता और समर्थन
मार्च में विनोद प्रिंस के साथ कई वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक मौजूद थे। समर्थकों ने कहा कि यदि चित्रकूट ट्रामा सेंटर बन जाता है तो आपातकालीन मामलों में मरने वालों की संख्या घटेगी और बेहतर इलाज स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होगा। यह सुधार चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था को मूल रूप से बदल देगा।
सरकारी कार्रवाई के लिए अनुरोध
ज्ञापन में शासन से आग्रह है कि 1) भर्ती और तैनाती में शीघ्रता लाई जाए 2) दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित हो 3) निरीक्षण औचक तरीके से हों न कि पूर्व सूचना पर — ताकि सुशासन और पारदर्शिता से चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो सके। साथ ही निजी प्रैक्टिसों पर प्रभावी नियंत्रण से जनहित सुरक्षित रहेगा।
आगे की राह — चलो गांव की ओर अभियान की भूमिका
चलो गांव की ओर अभियान अब इस मुद्दे को गाँव-गाँव तक पहुँचाकर जनता की आवाज़ शासन तक पहुँचाने का काम करेगा। आंदोलन की प्राथमिकता स्वास्थ्य जागरूकता, मुफ्त जांच शिविर और एक सुदृढ़ स्थानीय तंत्र बनाना है ताकि चित्रकूट स्वास्थ्य व्यवस्था में दीर्घकालिक व टिकाऊ परिवर्तन आए। चित्रकूट ट्रामा सेंटर की स्थापना इस रणनीति का केंद्र बिंदु है।
रिपोर्ट: संजय सिंह राणा — चलो गाँव की ओर जागरूकता अभियान