Sunday, July 20, 2025
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सिंह नाम लिखना पड़ा भारी: दबंगों ने की बेरहमी से हत्या, पीड़ित परिजन सड़क पर उतरे

मऊ के पीपरों गांव में “सिंह” नाम लगाने पर राम शिरोमणि सिंह की पीट-पीटकर हत्या, परिजनों ने शव सड़क पर रखकर किया प्रदर्शन। जानिए पूरी घटना और पीड़ित परिवार की मांगें।

राधेश्याम प्रजापति की रिपोर्ट

मऊ(उत्तर प्रदेश)। सिर्फ “सिंह” नाम लगाने की कीमत एक व्यक्ति को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मऊ जिले के पीपरों गांव में दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। मृतक राम शिरोमणि सिंह उर्फ खंगार (उम्र लगभग 52 वर्ष) की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जबकि तीन अन्य परिजन गंभीर रूप से घायल हैं।

घटनाक्रम

यह वारदात मऊ थाना क्षेत्र के पीपरों गांव में दो दिन पूर्व घटी। आरोप है कि चंद्रकांत पांडे उर्फ छोटू पांडे, रजनीश पांडे, रामनिवास पांडे, जानू पांडे और कुछ अन्य अज्ञात हमलावरों ने राम शिरोमणि सिंह के घर पर धावा बोल दिया। हमलावरों ने लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला कर उन्हें पीठ और पेट पर बुरी तरह से घायल कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

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इतना ही नहीं, घटना से पूर्व आरोपियों द्वारा धमकी दिए जाने का एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ है, जो हत्या की पूर्व नियोजित साजिश की ओर इशारा करता है। वायरल तस्वीरों में हमलावरों के हाथों में बंदूकें भी देखी जा सकती हैं, जो उनकी दबंगई को दर्शाती हैं।

पीड़ित परिवार का विरोध

घटना के बाद से आक्रोशित परिजन अंतिम संस्कार से इनकार कर चुके हैं। वे शव को घर के बाहर सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती और परिवार को सुरक्षा नहीं दी जाती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।

पुलिस पीड़ितों को समझाने का प्रयास कर रही है, लेकिन परिजन अपनी मांगों पर अडिग हैं।

पुलिस का रवैया

मामले में पुलिस अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है, जिससे गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। पीड़ित परिवार का कहना है कि आरोपियों की खुलेआम दबंगई और सोशल मीडिया पर वायरल हथियारबंद तस्वीरें इस बात का प्रमाण हैं कि उन्हें कानून का कोई डर नहीं है।

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यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा और नाम के पीछे छुपे जातीय अहंकार की क्रूर परिणति है। सवाल यह है कि क्या “सिंह” नाम लगा लेना किसी की जान लेने का कारण बन सकता है? पुलिस और प्रशासन के लिए यह घटना चेतावनी है कि यदि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई न की गई, तो पीड़ितों का कानून से विश्वास उठ जाएगा।

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