Sunday, July 20, 2025
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14 अप्रैल 2008 की वो रात…एक लड़की, 7 लाशें और पूरा यूपी सन्न — शबनम कांड की खौफनाक दास्तां

अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल 2008 को हुए 7 हत्याओं ने पूरे देश को झकझोर दिया। जानिए कैसे शबनम और सलीम ने मिलकर एक पूरे परिवार को मौत के घाट उतारा और क्यों आज भी यह मामला चर्चा में रहता है।

14 अप्रैल 2008: अमरोहा में खामोशी को चीरती चीखें

14 अप्रैल 2008 की रात उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे देश को दहला दिया। यह वह रात थी जब एक शिक्षित, सभ्य और शांत परिवार को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। दरअसल, कॉलेज में लेक्चरर शौकत अली का पूरा परिवार सोते हुए कुल्हाड़ी से काट दिया गया।

हत्या का भयावह मंजर

इस दिल दहला देने वाली घटना में परिवार के कुल 8 में से 7 लोगों की जान ले ली गई। मरने वालों में शौकत, उनकी पत्नी, दो बेटे, एक बहू, एक भतीजी और 11 महीने का पोता शामिल था। केवल शबनम नाम की बेटी ही जिंदा बची। शुरुआती रिपोर्ट्स में इसे लूटपाट के बाद की हत्या बताया गया, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी।

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मुख्यमंत्री का दौरा और जनता की प्रतिक्रिया

घटना के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई। यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती खुद शबनम से मिलने पहुंचीं। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कौन इतने शांत परिवार को इस तरह मौत के घाट उतार सकता है।

सच सामने आया पोस्टमार्टम के बाद

हालांकि, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो मामले ने नया मोड़ ले लिया। रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़ितों को पहले नशे की दवा दी गई थी और फिर कुल्हाड़ी से गला काटकर उनकी हत्या की गई। सवाल यह उठा कि जब सबको नशे की दवा दी गई, तो शबनम को क्यों नहीं?

शबनम और सलीम की खौफनाक साजिश

पुलिस की जांच के दौरान सलीम नाम का एक युवक सामने आया, जो एक मजदूर था और शबनम से प्रेम करता था। पूछताछ में सलीम ने कबूल किया कि यह हत्या उसी ने की थी, लेकिन शबनम की योजना के तहत। दरअसल, शबनम के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, इसलिए उन्होंने मिलकर पूरे परिवार को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया।

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कैसे दी गई हत्या को अंजाम?

शबनम ने खुद अपने परिवार को दूध में नशे की दवा मिलाकर पिलाई और फिर सलीम को बुलाया। जब सब गहरी नींद में थे, तो दोनों ने मिलकर कुल्हाड़ी से गर्दन काटनी शुरू की। शबनम ने अपने ही 11 महीने के भतीजे को गला दबाकर मार डाला, जबकि सलीम यह नहीं कर पाया था।

सांकेतिक तस्वीर

जेल में जन्म और फांसी की सजा

गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई। हालांकि, शबनम गर्भवती थी और जेल में ही उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम ताज मोहम्मद रखा गया। बाद में उसे एक परिवार ने गोद ले लिया। आज भी शबनम बरेली जेल में बंद है, और देश में यह पहला मामला है, जिसमें एक महिला को अपने पूरे परिवार की हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई।

समाज पर असर और सदमे की छाया

इस घटना ने अमरोहा ही नहीं, पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, लंबे समय तक लोग अपने बच्चों से इस बारे में बात करने से डरते थे। “हमारी मां शबनम का नाम सुनते ही चुप करवा देती थीं,” अमरोहा निवासी रेहाना याद करती हैं।

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शबनम-सलीम हत्याकांड सिर्फ एक अपराध नहीं था, यह विश्वासघात की पराकाष्ठा थी। इस घटना ने समाज, परिवार और रिश्तों की बुनियाद पर कई सवाल खड़े कर दिए। आज 17 साल बाद भी यह वारदात उतनी ही ताजा लगती है जितनी उस दिन थी।

➡️चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

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