
🔴 संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ने जिले भर में एक व्यापक जनजातीय गौरव अभियान शुरू किया है। यह अभियान 13 नवंबर से 15 नवंबर तक चलेगा, जिसमें चित्रकूट, मऊ और मानिकपुर समेत कई क्षेत्रों में पैदल यात्राएं, सभाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष महेंद्र कोटार्य, सहकारी बैंक अध्यक्ष पंकज अग्रवाल, पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रप्रकाश खरे और पूर्व सांसद भैरव प्रसाद मिश्रा ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि यह अभियान न केवल भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि आदिवासी समाज को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प का प्रतीक भी है।
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती: जनजातीय अस्मिता का प्रतीक
15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलिहातु गांव में जन्मे भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी शासन और अत्याचार के खिलाफ उलगुलान (महाआंदोलन) का नेतृत्व किया था। उन्होंने “अबुआ ढिशुम, अबुआ राज” (अपना देश, अपना राज) का नारा देकर जनजातीय समाज में स्वाभिमान और स्वतंत्रता की चेतना जगाई।
भारत सरकार ने इस अवसर को जनजाति गौरव वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 15 नवंबर को हर वर्ष जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की गई है।
भाजपा का जनजातीय सशक्तिकरण मिशन
भाजपा के जिला अध्यक्ष ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जनजातीय समाज के लिए ऐतिहासिक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें वन धन योजना, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS), प्रधानमंत्री जनजातीय सशक्तिकरण मिशन और लखपति दीदी योजना प्रमुख हैं।
वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन और विपणन के लिए देशभर में सैकड़ों वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं। आयुष्मान भारत, जल जीवन मिशन और पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं ने आदिवासी और ग्रामीण समाज की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार की पहलें: जनजातीय समाज के उत्थान की दिशा में ठोस कदम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने जनजातीय समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए कई प्रयास किए हैं। वन टांगिया और मुसहर समुदायों को सरकारी पहचान, आवास, राशन और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिलाया गया है।
राज्य में जनजातीय संस्कृति महोत्सव और जनजाति संग्रहालय की स्थापना से उत्तर प्रदेश के जनजातीय नायकों की गौरव गाथाओं को नया मंच मिला है। जनजातीय छात्रवृत्ति योजना और मिशन रोजगार के तहत युवाओं को सरकारी व निजी क्षेत्र में अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
इसी तरह, स्वयं सहायता समूह और महिला सशक्तिकरण योजनाओं के माध्यम से जनजातीय महिलाएं आज बांस शिल्प, हस्तशिल्प, मधुमक्खी पालन और कृषि आधारित कार्यों से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
कोल आदिवासी समाज को जनजातीय दर्जे की प्रतीक्षा
चित्रकूट और आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वाला कोल आदिवासी समाज आज भी अनुसूचित जाति के रूप में दर्ज है। मानिकपुर और बरगढ़ के पठारी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कोल आदिवासी रहते हैं, लेकिन आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी उन्हें जनजातीय समाज का दर्जा नहीं मिल सका है।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब देशभर में जनजाति गौरव दिवस और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है, तो उत्तर प्रदेश सरकार को भी कोल समाज को उनकी वास्तविक पहचान देने का निर्णय लेना चाहिए।
जनजातीय गौरव दिवस अभियान: राष्ट्र निर्माण में जनभागीदारी
भाजपा नेताओं ने कहा कि जनजाति गौरव दिवस का उद्देश्य केवल स्मरण नहीं, बल्कि संकल्प का प्रतीक है। यह संकल्प है कि हम सब मिलकर भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलते हुए समाज में समानता, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को अपनाएंगे।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के सिद्धांत पर चलते हुए भाजपा जनजातीय समाज को केवल लाभार्थी नहीं बल्कि विकास के साझेदार के रूप में देखती है। आजादी के अमृतकाल में जनजातीय समुदाय भारत के भविष्य के निर्माता के रूप में उभर रहे हैं।
150वीं जयंती का संदेश: समानता और आत्मनिर्भरता का संकल्प
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का संदेश स्पष्ट है — “कोई भी जनजातीय परिवार पिछड़ा न रह जाए।” यह न केवल आदिवासी समाज का गौरव है, बल्कि पूरे भारत के समावेशी विकास का प्रतीक भी है। चित्रकूट के ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में इस अभियान ने नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है।
🟢 जनजाति गौरव दिवस पर पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती कब मनाई जा रही है?
उत्तर: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती 15 नवंबर 2025 को मनाई जा रही है।
प्रश्न 2: जनजाति गौरव दिवस का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका उद्देश्य जनजातीय समाज के योगदान को राष्ट्रीय पहचान देना और सामाजिक समानता के मूल्यों को बढ़ावा देना है।
प्रश्न 3: भाजपा द्वारा चित्रकूट में क्या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?
उत्तर: चित्रकूट, मऊ और मानिकपुर में पैदल यात्राएं, जनसभाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रश्न 4: कोल आदिवासी समाज को जनजातीय दर्जा क्यों नहीं मिला?
उत्तर: उत्तर प्रदेश में कोल समाज को अभी अनुसूचित जाति के रूप में दर्ज किया गया है, जबकि सामाजिक संगठनों की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए।
प्रश्न 5: भगवान बिरसा मुंडा को धरती आबा क्यों कहा जाता है?
उत्तर: बिरसा मुंडा को धरती आबा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने आदिवासी समाज के अधिकार, आत्मसम्मान और स्वराज के लिए संघर्ष किया।
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