
बयाना जनाना अस्पताल में एक शर्मनाक घटना सामने आई है।
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
घटना का खुलासा
भरतपुर जिले के बयाना जनाना अस्पताल में एक शर्मनाक घटना सामने आई है। ठिकरिया गांव ( थाना रुदावल ) की कश्मीरा देवी की बहू आरती ने अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। लेकिन इस खुशी के बीच अस्पताल स्टाफ ने प्रसूता के परिजनों से मिठाई-नाम पर 1,000 रुपए की मांग की।
कश्मीरा का कहना है, जब वह अस्पताल पहुंचीं और प्रसूति विभाग में आईं, तब वहां की एक नर्स ने उनसे एक हजार रुपए मांग लिया। उन्होंने विरोध नहीं किया और पैसे दे दिए। लेकिन जैसे ही परिवार को यह बात पता चली, उन्होंने अस्पताल में हंगामा कर दिया। विवाद बढ़ने पर नर्स ने पैसे वापस लौटा दिए।
परिजनों की नाराज़गी इतनी तेज थी कि मामला मीडिया में आने लगा। इस घटना की खबर मिलते ही अस्पताल प्रशासन सक्रिय हुआ।
अस्पताल प्रबंधन का बयान
डॉक्टर साहब सिंह मीणा, बयाना अस्पताल के इंचार्ज, ने कहा कि मामले की तत्काल जांच करवाई जा रही है। उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, यह नर्स नहीं बल्कि एक सफाई कर्मचारी था जिसने प्रसूता के परिजनों से पैसे लिए थे।
जब मामला गरमा गया और परिजन विरोध करने लगे, तो नर्स ने पैसे लौटाने का फैसला किया। हंगामा देखकर नर्स को पैसे वापस करना पड़ा।
इंचार्ज ने यह भी कहा कि जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है बड़ा मसला?
यह किसी एक घटना का मामला नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में व्याप्त अनियमितता और भ्रष्टाचार की झलक है। ऐसे मामलों की शिकायतें अक्सर अयुष्मान भारत / सरकारी अस्पतालों से आती हैं, कि अस्पताल बनाने के नाम पर मरीजों से अतिरिक्त खर्च वसूला जाता है। �
The Times of India
उदाहरण के लिए, हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में नर्सों पर आरोप लगा कि उन्होंने नवजात का सुपुर्दगी देने के लिए ₹2,000 तक की मांग की थी। �
The Siasat Daily
इसी तरह, लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में एक मीडिया स्टिंग ऑपरेशन ने यह दिखाया कि सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार और पैसे लेने की प्रथाएँ सामान्य हो चली हैं। �
India Today
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि मामला सिर्फ बयाना तक सीमित नहीं है— भारत के कई हिस्सों में सरकारी अस्पतालों में अनावश्यक वसूली की शिकायतें दर्ज हैं।
हकीकत और कानून
राजस्थान में Rajasthan Right to Health Care Act 2022 लागू है, जिसमें कहा गया है कि जनता को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त मिलनी चाहिए। �
ऐसे में, अस्पतालों में पैसे लेने की माँग न केवल अवैध है, बल्कि राज्य कानून का उल्लंघन भी हो सकती है।
सुझाव और बीहaviour रणनीति
राशन देना बंद करें — यदि अस्पताल कर्मचारी पैसे मांगें, तो शांतिपूर्वक इनकार करें और लिखित प्रमाण माँगें।
प्रशासन से शिकायत करें — अस्पताल के अधीक्षक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी या राज्य स्वास्थ्य विभाग को तुरंत लिखित शिकायत करें।
मीडिया एवं सामाजिक मीडिया का सहारा लें — घटना का फोटो, वीडियो या सबूत साझा कर सकते हैं।
मासिक निगरानी और रिपोर्ट — राज्य स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजें कि अस्पतालों में अवैध वसूली हो रही है।
बयाना घटना इस बात का संकेत है कि सरकारी अस्पतालों में भी भ्रष्टाचार एवं अनियमितता ने पैर पसारे हैं। बेटी के जन्म पर मांगे गए ₹1,000 की मांग और बेहतर प्रबंधन की कमी दर्शाती है कि स्वास्थ्य प्रशासन को सख्त निगरानी और जवाबदेही की आवश्यकता है।
इस मामले में जांच तीव्र करें और दोषियों को दंडित करें—ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ दबें और आम जनता सुरक्षित, सम्मान के साथ स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर सके।
