Sunday, July 20, 2025
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केन नदी ने बरपाया कहर: 40 गांव बाढ़ की चपेट में, संपर्क मार्ग कटे, प्रशासन अलर्ट पर

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में केन नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। लगातार बारिश और मध्य प्रदेश से छोड़े गए पानी के चलते 40 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कई गांवों का संपर्क मार्ग कट चुका है और लोग नावों से आवाजाही कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है।

संतोष कुमार सोनी और सुशील मिश्रा की रिपोर्ट

बांदा, उत्तर प्रदेश। केन नदी एक बार फिर उफान पर है—और इस बार इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद में विकराल रूप ले चुका है। मध्य प्रदेश की पहाड़ियों से निकली केन, जब तक बांदा पहुंचती है, तब तक अपने साथ तबाही की धार लेकर आती है। इस बार भी वही हुआ। शनिवार की रात से लगातार बढ़ते जलस्तर ने नदी को खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा दिया है।

तेजी से बढ़ रहा जलस्तर, हर घंटे 25 सेमी की बढ़ोतरी

केंद्रीय जल आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रविवार सुबह 10 बजे केन नदी का जलस्तर 104.80 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 104 मीटर से एक मीटर ऊपर है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह बढ़ोतरी हर घंटे औसतन 25 सेंटीमीटर हो रही है, जिससे हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसके विपरीत यमुना का जलस्तर 93.60 मीटर पर स्थिर बना हुआ है, जिससे राहत की कुछ उम्मीद बनी हुई है।

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गांवों में घुसा पानी, रास्ते डूबे, लोग बेबस

केन नदी के जलस्तर में इस अप्रत्याशित वृद्धि का सीधा असर पैलानी और सदर तहसील के 40 से अधिक गांवों पर पड़ा है। इनमें से लगभग दो दर्जन गांवों के नजदीक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। खपटिहा कलां, सिंधन कलां सहित कई गांवों के संपर्क मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। स्थिति यह है कि लोग या तो नावों का सहारा ले रहे हैं या फिर जान जोखिम में डालते हुए तैरकर आवश्यक कार्यों के लिए आना-जाना कर रहे हैं।

खपटिहा स्थित इंटर कॉलेज के छात्रों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें विद्यालय तक पहुंचने के लिए नावों का उपयोग करना पड़ रहा है—जो कि न केवल जोखिमभरा है, बल्कि शिक्षा की निरंतरता में भी बाधा बन रहा है।

गंगऊ और बरियारपुर बियर से छोड़ा जा रहा है पानी

स्थिति को और जटिल बना रही है मध्य प्रदेश के गंगऊ और बरियारपुर बियर से छोड़ा जा रहा पानी। यहां से लगभग 6 फीट ऊंचाई से प्रतिदिन करीब 90,000 क्यूसेक पानी केन नदी में छोड़ा जा रहा है, जो सीधे बांदा के निचले इलाकों को प्रभावित कर रहा है। साथ ही जनपद में 20 घंटे से हो रही रुक-रुक कर बारिश ने कुल 100 मिमी वर्षा दर्ज कर स्थिति को और अधिक संवेदनशील बना दिया है।

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प्रशासन मुस्तैद, चौकियां सक्रिय

बढ़ते खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी कमर कस ली है। संवेदनशील गांवों में निगरानी बढ़ा दी गई है, बाढ़ नियंत्रण चौकियों को सक्रिय किया गया है और राजस्व कर्मियों के साथ-साथ ग्राम प्रधानों को भी राहत व निगरानी कार्यों में लगा दिया गया है।

संभावित खतरे को देखते हुए किया गया अलर्ट

पैलानी और सदर क्षेत्र के कई गांवों को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड पर है। प्रशासन लगातार जल आयोग की रिपोर्ट पर नजर रखे हुए है और जैसे ही स्थिति और बिगड़ती है, राहत व बचाव दलों को सक्रिय करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है।

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