ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
गुरुग्राम। देश की राजधानी दिल्ली से सटे हाई-प्रोफाइल शहर गुरुग्राम के सुशांत लोक इलाके से गुरुवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। एक पिता ने अपनी ही 25 वर्षीय बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का यह मामला सिर्फ पारिवारिक तनाव नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव, पितृसत्तात्मक सोच और बेटियों की आजादी को लेकर असहिष्णुता की बानगी भी पेश करता है।
घटना गुरुवार सुबह की है। गुरुग्राम के पॉश कॉलोनी सुशांत लोक के एक घर में 25 वर्षीय राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर हत्या कर दी। राधिका एक उभरती हुई टेनिस कोच थीं और हाल ही में उनका एक म्यूजिक वीडियो ‘कारवां’ रिलीज हुआ था, जिसमें उन्होंने अभिनय भी किया था।
हत्या की पूरी वारदात
गुरुवार सुबह जब घर के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने ऊपर से गोलियों की आवाज सुनी, तो वह तुरंत ऊपर की ओर दौड़े। जैसे ही वे ऊपर पहुंचे, उन्होंने देखा कि रसोई में राधिका खून से लथपथ जमीन पर पड़ी है। उसके शरीर में तीन गोलियां पीठ पर लगी थीं।
घटना के बाद चाचा कुलदीप और उनके बेटे पीयूष ने बिना देर किए राधिका को गाड़ी में डालकर सेक्टर 56 स्थित एशिया मारिंगो अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पिता दीपक यादव की गिरफ्तारी
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दीपक यादव को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ में दीपक ने पुलिस को बताया कि उसने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि गांव के लोग उसे ताने मारते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई पर जी रहा है।
पुलिस को दिए गए बयान में दीपक ने कहा, “लोग कहते हैं कि मैं बेटी की कमाई खा रहा हूं। मैंने कई बार राधिका से कहा कि वह टेनिस एकेडमी बंद कर दे, लेकिन वह नहीं मानी।”
कौन थे राधिका और दीपक यादव?
राधिका यादव एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थीं। उन्होंने हाल ही में गुरुग्राम के सेक्टर 57 में एक टेनिस एकेडमी खोली थी, जहां वह बच्चों को प्रशिक्षण देती थीं। साथ ही वह सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय थीं और मॉडलिंग व म्यूजिक वीडियो में भी काम कर रही थीं।
उनका हालिया वीडियो ‘कारवां’ LLF Records के बैनर तले रिलीज हुआ था, जिसे सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला था।
वहीं, उनके पिता दीपक यादव गुरुग्राम के वजीराबाद गांव के मूल निवासी हैं और वर्तमान में सुशांत लोक में रह रहे थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दीपक यादव के पास गुरुग्राम में कई प्रॉपर्टी हैं और वह किराये से ही 15-17 लाख रुपये प्रति माह की आय अर्जित करते हैं।

गांव के एक परिचित ने बताया, “दीपक यादव बहुत रईस आदमी हैं। उनके पास एक बड़ा फार्महाउस भी है। उन्हें बेटी की कमाई की कोई जरूरत नहीं थी।”
पुलिस को संदेह
हरियाणा पुलिस दीपक यादव के बयान को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि दीपक की मासिक आय लाखों में है, तो ऐसे में गांव वाले उन्हें ताने क्यों मारेंगे?
पुलिस का यह भी कहना है कि दीपक छोटी-छोटी बातों पर भड़क उठते थे। उनके स्वभाव में गुस्सा हावी था। कई बार वह राधिका की सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर नाराज रहा करते थे।
पुलिस ने बताया कि उन्हें शक है कि राधिका की आज़ादी, शोहरत और बढ़ती सोशल पहचान दीपक यादव को पसंद नहीं थी। उन्होंने कई बार अपनी बेटी को म्यूजिक वीडियो और सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन जब राधिका ने यह नहीं माना, तो उसने यह खौफनाक कदम उठा लिया।
पिता का दावा, गांव वाले उड़ाते थे मज़ाक
दीपक यादव ने अपने बयान में दावा किया कि गांव के लोग यह कहते थे कि वह बेटी की कमाई पर ऐश कर रहा है। यह बात उसकी मर्दानगी को ठेस पहुंचाती थी।
हालांकि, उनके परिचित इस बयान को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, “दीपक अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने उसके लिए लाखों खर्च किए थे। यह कहना कि उन्होंने उसे कमाई के लिए रोका, सरासर गलत है। हत्या की वजह कुछ और हो सकती है।”
हत्या की जांच कई पहलुओं पर
गुरुग्राम पुलिस ने इस हत्या के पीछे कई पहलुओं की जांच शुरू कर दी है, जिसमें संपत्ति विवाद, पारिवारिक कलह, मानसिक तनाव, और सामाजिक दबाव शामिल हैं।
राधिका की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में तीन गोलियां पीठ पर लगने की पुष्टि हुई है। रिवॉल्वर से कुल पांच गोलियां चली थीं।
दीपक यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
राधिका की मौत पर उमड़ा शोक
राधिका की मौत की खबर से पूरा गुरुग्राम स्तब्ध है। टेनिस जगत से जुड़े लोगों और उनके जानने वालों ने इस घटना को ‘बेहद दुखद और स्तब्ध कर देने वाला’ बताया है।
उनके एक प्रशिक्षु ने कहा, “मैम बहुत अच्छी कोच थीं। उन्होंने हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। हम विश्वास नहीं कर पा रहे कि वह अब नहीं रहीं।”
राधिका यादव की हत्या ने एक बार फिर इस सवाल को सामने ला दिया है—क्या बेटियों की आज़ादी अब भी कुछ लोगों को नागवार गुजरती है?
यह मामला केवल एक पारिवारिक हत्या नहीं, बल्कि सोच और समाज के उस हिस्से पर हमला है, जो बेटियों की पहचान को उनके पिता की पहचान से अलग देखने को तैयार नहीं है।