Sunday, July 20, 2025
spot_img

कुछ लौटे नहीं, पर उनकी कहानियां आज भी ज़िंदा हैं…भारत के दिल दहला देने वाले विमान हादसे…

अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटना के बाद फिर चर्चा में आया भारत में विमान हादसों का इतिहास। जानिए किन-किन भीषण हवाई त्रासदियों ने देश को झकझोरा है।

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

हर विमान उड़ान सिर्फ एक यात्रा नहीं होती — वह किसी माँ की राह देखती आँखें, किसी बच्चे का इंतज़ार, किसी अधूरे प्रेम का वादा होती है। मगर जब वही उड़ान हादसे में बदल जाए, तो लौटता है सिर्फ सन्नाटा। भारत के हवाई इतिहास में कई ऐसी त्रासदियाँ दर्ज हैं, जहां यात्रियों ने घर लौटने का सपना लेकर उड़ान भरी थी… लेकिन लौट आई केवल खबरें, राख, और रुंधे हुए गले। आज जब अहमदाबाद की घटना ने फिर से दिल दहलाया है, आइए याद करें उन भयावह क्षणों को जो कभी भुलाए नहीं जा सके।

गुरुवार को अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरते ही एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान की दुर्घटना ने पूरे देश को हिला दिया। हालांकि समय रहते जान-माल के बड़े नुकसान को टाल लिया गया, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर भारत के विमानन क्षेत्र में हुए भयावह हादसों की यादें ताज़ा कर दीं। दशकों के दौरान देश ने कई ऐसे विमान हादसे देखे हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई और जिससे सुरक्षा मानकों पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा।

Read  चेन लूट और नकदी छीनने का मास्टरमाइंड शमशेर खान दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई सजा

अब आइए एक नज़र डालते हैं भारत के नागरिक विमानन इतिहास की उन आठ सबसे भीषण हवाई दुर्घटनाओं पर, जिन्होंने पूरे देश को शोक में डुबो दिया।

कोझिकोड त्रासदी (2020): रनवे फिसलन बना जानलेवा

सात अगस्त 2020 को, वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से आ रही एअर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX 1344 कोझिकोड हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान फिसल गई। भारी बारिश और टेबलटॉप रनवे की स्थिति ने विमान को घाटी में गिरा दिया, जिससे वह दो टुकड़ों में बंट गया। इस हादसे में पायलट सहित कुल 21 लोगों की मृत्यु हुई।

मंगलुरु एयर क्रैश (2010): रनवे से फिसला जीवन

22 मई 2010 को दुबई से आ रही फ्लाइट IX 812, कर्नाटक के मंगलुरु एयरपोर्ट पर उतरते वक्त रनवे से आगे निकल गई और खाई में जा गिरी। आग लगने के कारण 158 लोगों की मौत हुई। यह भी एक टेबलटॉप हवाई अड्डा था, जहां ज़रा सी चूक घातक सिद्ध होती है।

पटना एयर क्रैश (2000): रिहायशी इलाके में मौत की उड़ान

17 जुलाई 2000 को एलायंस एयर की फ्लाइट 7412 पटना के एक घनी आबादी वाले क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। गलत निर्देशों और कम ऊंचाई के कारण विमान मकानों से टकरा गया। इस हादसे में 60 लोगों की मौत हुई, जिनमें 5 ज़मीनी नागरिक भी शामिल थे।

Read  तीन नाम, एक हैवान : 55 साल की बीवी के बाद 20 प्रेमिकाएं! नौशाद का फर्जीवाड़ा देख दंग रह गई पुलिस

चरखी दादरी एयर कोलिज़न (1996): आसमान में आमने-सामने टक्कर

12 नवंबर 1996 को दो बड़े विमान—सऊदी अरब की फ्लाइट 763 और कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907—हरियाणा के चरखी दादरी के पास हवा में टकरा गए। संचार की विफलता और ऊंचाई के निर्देशों की अनदेखी इस दुर्घटना के कारण बने, जिसमें कुल 349 लोगों की मौत हुई। यह भारत की सबसे घातक विमानन त्रासदी मानी जाती है।

बेंगलुरु क्रैश (1990): ए320 का पहला बड़ा हादसा

14 फरवरी 1990 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 605, बेंगलुरु में लैंडिंग से पहले ही जमीन से टकरा गई। 146 यात्रियों में से 92 की मौत हुई। जांच में सामने आया कि पायलट ए320 के डिजिटल कॉकपिट को समझ नहीं पाया और लैंडिंग के दौरान विमान बहुत नीचे आ गया।

अहमदाबाद हादसा (1988): घना कोहरा बना मौत का कारण

19 अक्टूबर 1988 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113, मुंबई से अहमदाबाद जा रही थी। कोहरे के कारण दृश्यता बेहद कम थी और विमान पेड़ों से टकरा गया। रनवे से पहले ही क्रैश हो गया। 135 में से 133 यात्रियों की मौत हुई।

Read  NTPC सीपत में रोजगार घोटाला! स्थानीय युवाओं को नजरअंदाज कर बाहरी मजदूरों की भरमार

मुंबई एयर क्रैश (1978): टेकऑफ के तुरंत बाद हादसा

1 जनवरी 1978 को मुंबई से दुबई जा रही एअर इंडिया फ्लाइट 855 टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद अरब सागर में गिर गई। एटीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर की खराबी के चलते कैप्टन ने दिशा गलत समझ ली, जिससे विमान असंतुलित होकर गिर गया। सभी 213 लोग मारे गए।

पालम एयर क्रैश (1973): हाई-टेंशन तार बना मौत का फंदा

31 मई 1973 को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे के पास इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 440 खराब मौसम के बीच हाई वोल्टेज तारों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 48 लोगों की मौत हुई, जिनमें वरिष्ठ राजनेता मोहन कुमारमंगलम भी शामिल थे।

इन घटनाओं ने भारत के विमानन सुरक्षा ढांचे को बार-बार चुनौती दी है, लेकिन साथ ही सुधार की दिशा भी दिखाई है। हर हादसे के बाद नए नियम लागू हुए—जैसे टकराव रोधी प्रणाली (TCAS), रनवे सुरक्षा मानक, मौसम संबंधी रडार, और पायलट ट्रेनिंग में सुधार। फिर भी, हालिया हादसे इस बात की याद दिलाते हैं कि सुरक्षा में कोई भी चूक जानलेवा हो सकती है।

✈️ क्या अगली उड़ान सुरक्षित होगी? इसका जवाब हमारी सतर्कता और सुधारों में छिपा है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

हर बार वही शिकायत! तो किस काम के अधिकारी?” – SDM ने लगाई फटकार

चित्रकूट के मानिकपुर तहसील सभागार में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में उपजिलाधिकारी मो. जसीम ने अधिकारियों को दो टूक कहा—"जनशिकायतों का शीघ्र समाधान करें,...

“मैं नालायक ही सही, पर संघर्ष की दास्तां अनसुनी क्यों?” — रायबरेली की आलोचना से आहत हुए मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का भावुक पत्र

 रायबरेली की राजनीति में हलचल! उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए आलोचकों को दिया करारा जवाब। संघर्षों और उपलब्धियों को...
- Advertisement -spot_img
spot_img

सड़क पर ही मिला सबक! सरेबाज़ार युवती ने उतारी चप्पल, पीट-पीटकर किया हलाकान

उन्नाव के शुक्लागंज बाजार में छेड़छाड़ से तंग आकर युवती ने युवक को चप्पलों और थप्पड़ों से पीटा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर...

अखिलेश यादव पर स्वतंत्र देव सिंह का तीखा वार: “साधु-संतों से सवाल, छांगुर पर चुप्पी कमाल”

जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अखिलेश यादव पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वे साधु-संतों से तो सवाल पूछते हैं, लेकिन...