१२५ लोगों ने जब सनातन का दामन थामा तो इतिहास ने भी ली अंगड़ाई
बीजेपी विधायक ने धोए सबके पैर, पूरे कबीरधाम में गूंजा ‘घर वापसी’ का जयघोष






हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

Red and Blue Geometric Patterns Medical Facebook Post_20251110_094656_0000
previous arrow
next arrow

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में आज का दिन इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।
जंगलों और पहाड़ों की गोद में बसे इस पवित्र क्षेत्र ने एक बार फिर अपनी मिट्टी की सुगंध महसूस की,
जब 41 आदिवासी परिवारों के 125 सदस्यों ने अपने मूल धर्म, सनातन हिंदू धर्म में दोबारा वापसी की।
यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि सामाजिक पुनर्जागरण की गूंज थी जिसने पूरे कबीरधाम में नई चेतना जगा दी।

ढोल-नगाड़ों की थाप और जयघोषों के बीच हुई घर वापसी

जनजाति संस्कृति और गौरव का जन-जागरण’ कार्यक्रम के तहत जब ‘घर वापसी’ की रस्में पूरी की गईं,
तो माहौल भावनाओं से भर उठा। ढोल-नगाड़ों की ताल पर नृत्य करते हुए जब लोगों ने ‘जय श्री राम’ और ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाए,
तो हर दिशा में सनातन धर्म की गूंज सुनाई दी।

इस ऐतिहासिक मौके पर बीजेपी विधायक भावना बोहरा ने स्वयं अपने हाथों से सभी लौटे हुए आदिवासी परिवारों के पैर धोए
और उन्हें फूल-मालाओं से सम्मानित किया।
उन्होंने कहा, “यह केवल धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि अपनी जड़ों की ओर लौटने की यात्रा है।”

इसे भी पढें  भोजली महोत्सव समिति बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ महतारी को माल्यार्पण कर मनाया राज्य स्थापना दिवस

भावना बोहरा ने धोए चरण, दिया सम्मान

भावना बोहरा ने अपने संबोधन में कहा कि अब समाज अपने संस्कारों की ओर लौट रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारे आदिवासी समाज की पहचान जल, जंगल, जमीन और अग्नि जैसे तत्वों से है।
इनसे दूर रहना अपनी पहचान खोने जैसा है।”
उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत पहले भी 80 से अधिक लोग घर वापसी कर चुके हैं और आने वाले दिनों में
यह संख्या और बढ़ेगी।

भावना बोहरा ने कहा, “लोग समझने लगे हैं कि अपनी संस्कृति और सनातन परंपरा से कटकर हम आने वाली पीढ़ियों को कुछ नहीं दे सकते।”

संस्कृति संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

कबीरधाम की यह घर वापसी केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि
संस्कृति संरक्षण और आदिवासी गौरव की पुनर्स्थापना है।
बीजेपी विधायक भावना बोहरा लंबे समय से अपने क्षेत्र में सनातन संस्कृति और
आदिवासी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटी हैं।
नेऊर, अमनिया, कड़वानी, दमगढ़ और बिरहुलडीह गांवों के परिवारों ने जब
स्वेच्छा से हिंदू धर्म में वापसी की, तो पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बन गया।

धर्म परिवर्तन कराने वाली ताकतों को मिला करारा जवाब

यह आयोजन उन बाहरी ताकतों के लिए भी बड़ा संदेश है, जो लालच या दबाव में
आदिवासी धर्म परिवर्तन करवाते रहे हैं।
125 लोगों की घर वापसी ने स्पष्ट कर दिया है कि
भारत का जनमानस अब अपनी जड़ों की ओर लौट रहा है और सनातन धर्म के प्रति गर्व महसूस कर रहा है।

इसे भी पढें  ऐतिहासिक समर्पण : छत्तीसगढ़ में 103 नक्सलियों ने एक साथ डाले हथियार, 22 महिलाएं और 49 इनामी नक्सली शामिल

भविष्य की योजनाएं और विस्तार

भावना बोहरा ने बताया कि आगामी दिनों में ‘जनजाति गौरव यात्रा’ के जरिए
कबीरधाम और आसपास के इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
इस अभियान के माध्यम से लोगों को बताया जाएगा कि
सनातन धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं बल्कि जीवन का विज्ञान है।
उन्होंने कहा कि “हम सबका उद्देश्य है कि हर व्यक्ति अपनी परंपरा, संस्कृति और
धर्म की आत्मा को पहचान सके।”

लोकप्रिय समर्थन और आशीर्वाद

घर वापसी कार्यक्रम में स्थानीय साधु-संतों, सामाजिक संगठनों और
सैकड़ों ग्रामीणों ने भी भाग लिया।
आयोजन में ‘रामधुन’, ‘गौरी-गणेश स्तुति’ और
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरे वातावरण में भक्ति की तरंग फैल गई।
हर परिवार को गीता, तुलसी पौधा और धार्मिक पुस्तिकाएं भेंट की गईं।

125 लोगों की घर वापसी : एक नई शुरुआत

यह आयोजन कबीरधाम के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
यह दिखाता है कि जब समाज अपने संस्कारों, संस्कृति और सनातन धर्म से जुड़ता है,
तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं।
125 लोगों की यह घर वापसी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

आदिवासी समाज की यह चेतना अब केवल कबीरधाम तक सीमित नहीं,
बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में इसकी चर्चा है।
सोशल मीडिया पर भी #घरवापसी और
#भावनाबोहरा ट्रेंड करने लगे हैं।

इसे भी पढें  कुदरत का कहर : खेतों में तबाही का मंजर, डूब गई किसानों की उम्मीदें — पानी में समाई धान की फसल


निष्कर्ष

कबीरधाम की यह घर वापसी केवल एक समाचार नहीं,
बल्कि यह भारत के सनातन जीवन दर्शन की जीवंत मिसाल है।
जब लोग अपनी संस्कृति से पुनः जुड़ते हैं, तो समाज में एक नई चेतना जन्म लेती है।
भावना बोहरा जैसे जनप्रतिनिधियों के प्रयासों से यह उम्मीद जगी है कि
आदिवासी समाज फिर से अपने धर्म और परंपराओं से जुड़कर गौरवपूर्ण जीवन जी सकेगा।


📌 क्लिक करें और जानें — सवाल जवाब

👉 घर वापसी कार्यक्रम कब और कहाँ हुआ?

यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में ‘जनजाति संस्कृति और गौरव का जन-जागरण’ आयोजन के दौरान हुआ।

👉 इस कार्यक्रम में कितने लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की?

41 आदिवासी परिवारों के कुल 125 सदस्यों ने घर वापसी की और हिंदू धर्म में लौटे।

👉 बीजेपी विधायक भावना बोहरा ने क्या भूमिका निभाई?

भावना बोहरा ने स्वयं आदिवासी परिवारों के पैर धोए, उन्हें सम्मानित किया और घर वापसी के अभियान का नेतृत्व किया।

👉 क्या यह सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम था?

नहीं, यह सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक था, जिसमें लोगों ने अपनी परंपराओं और जड़ों से पुनः जुड़ने का संकल्प लिया।

👉 भविष्य में इस अभियान के तहत क्या योजनाएं हैं?

भावना बोहरा ने घोषणा की है कि ‘जनजाति गौरव यात्रा’ के तहत पूरे क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top