
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट,
भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची सामने आई है, जिसे राष्ट्रीय नागरिक सूचना बोर्ड (NCIB) ने जारी किया है। यह रिपोर्ट जनता की शिकायतों, मीडिया रिपोर्टों, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और लोकपाल/लोकायुक्त संस्थाओं के विश्लेषण पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार देश के जिन विभागों में सबसे अधिक रिश्वत, अनियमितता और पक्षपात के आरोप लगे हैं, उनमें पुलिस विभाग सबसे ऊपर है।
NCIB ने यह सूची सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी साझा की है, जिसके बाद पूरे देश में इस पर चर्चा तेज हो गई है। आइए जानते हैं विस्तार से कि भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग कौन-कौन से हैं और उन पर किस तरह के आरोप लगाए गए हैं।
१. पुलिस विभाग — भ्रष्टाचार की जड़ में अवैध वसूली
भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग में पहला स्थान पुलिस विभाग को मिला है। पुलिस पर रिश्वत, फर्जी केस, FIR दर्ज न करना, सड़क चेकिंग में अवैध वसूली, ज़मीन विवादों में पक्षपात जैसे गंभीर आरोप हैं। कई मामलों में न्याय दिलाने के नाम पर पैसों की मांग की जाती है। यह विभाग आम जनता के सबसे नज़दीक होते हुए भी भरोसे की कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहा है।
२. राजस्व विभाग — जमीन और रजिस्ट्री में धांधली
राजस्व विभाग को भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची में दूसरा स्थान मिला है। तहसीलों में फर्जी रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज में गड़बड़ी, खतौनी निकालने में रिश्वत और नामांतरण के लिए अवैध शुल्क जैसी शिकायतें व्यापक हैं। जमीन के मामलों में बिचौलियों की भूमिका भ्रष्टाचार को कई गुना बढ़ा देती है।
३. नगर निगम / नगर पालिका — अवैध निर्माण का कारोबार
तीसरे स्थान पर नगर निगम और नगर पालिका हैं। भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की इस श्रेणी में भवन नक्शा पास कराने से लेकर सफाई व्यवस्था, कूड़ा निस्तारण, और अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने जैसी गड़बड़ियां शामिल हैं। रिश्वत देकर अवैध निर्माण को बढ़ावा देना यहां आम बात है।
४. ग्राम पंचायत / ब्लॉक स्तर प्रशासन — योजनाओं में धांधली
ग्रामीण भारत में भ्रष्टाचार का चेहरा ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर के प्रशासन में दिखता है। भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की इस श्रेणी में प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय योजना, राशन कार्ड, पेंशन योजनाओं में फर्जीवाड़े के आरोप प्रमुख हैं। कई जगह तो गरीबों के नाम पर अनुदान तक बिचौलिये हड़प लेते हैं।
५. बिजली विभाग — बिना रिश्वत काम नहीं
बिजली विभाग को सूची में पांचवां स्थान मिला है। मीटर रीडिंग में हेराफेरी, फर्जी बिलिंग, कनेक्शन देने में देरी, और मरम्मत कार्य के लिए रिश्वत की मांग इस विभाग को भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची में बनाए हुए है। उपभोक्ताओं की शिकायतें वर्षों से अनसुनी रहती हैं।
६. सड़क परिवहन विभाग (RTO) — बिना टेस्ट लाइसेंस और रिश्वतखोरी
RTO विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग में छठे स्थान पर रहने वाले इस विभाग पर बिना टेस्ट ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, वाहन फिटनेस में धोखाधड़ी, और वाहन पंजीकरण के समय अवैध वसूली के आरोप हैं।
७. स्वास्थ्य विभाग / सरकारी अस्पताल — इलाज नहीं, लेन-देन पहले
सातवें स्थान पर स्वास्थ्य विभाग है। सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की आपूर्ति में घोटाले, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, और मरीजों को निजी अस्पताल भेजकर कमीशनखोरी जैसी शिकायतें आम हैं। इस वजह से भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग में स्वास्थ्य विभाग का नाम तेजी से ऊपर जा रहा है।
८. शिक्षा विभाग — भर्ती घोटाले और फर्जी उपस्थिति
शिक्षा विभाग को आठवां स्थान मिला है। शिक्षक भर्ती में घोटाला, फर्जी उपस्थिति, और निजी स्कूलों से सांठगांठ के कारण यह विभाग भी भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची में शामिल है। शिक्षा जैसी पवित्र सेवा का व्यापार में बदल जाना समाज के लिए चिंताजनक है।
९. आवास एवं शहरी विकास विभाग — टेंडर घोटालों का अड्डा
आवास विभाग में निर्माण ठेके और टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ियों के कारण भ्रष्टाचार गहराया है। यही वजह है कि यह भी भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची में नौवें नंबर पर है। कई ठेकेदार बिना योग्यता के सिर्फ रिश्वत देकर काम हासिल कर लेते हैं।
१०. कर विभाग (Income Tax / GST) — छापों से बचाव के सौदे
दसवें नंबर पर कर विभाग है। इनकम टैक्स और जीएसटी विभाग पर छापों से बचने के लिए लेन-देन, फर्जी रिटर्न और व्यापारियों से अवैध वसूली के आरोप लगते हैं। इसी कारण यह विभाग भी भारत के १ सबसे भ्रष्ट विभाग में शामिल किया गया है।
भ्रष्टाचार क्यों बढ़ता है?
रिपोर्ट बताती है कि भ्रष्टाचार केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं है। कई बार स्थानीय नेताओं, बिचौलियों और प्रभावशाली लोगों के कारण रिश्वत की रकम २ से ५ गुना तक बढ़ जाती है। इसका एक हिस्सा अधिकारी को और बाकी हिस्सा बिचौलियों के पास चला जाता है। इसीलिए भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग में इनका गहरा प्रभाव देखा गया।
समाधान और सुधार के उपाय
- सभी सरकारी सेवाओं का पूर्ण डिजिटलीकरण
- लोकपाल, लोकायुक्त और RTI तंत्र को मज़बूत करना
- शिकायतों के निपटारे में पारदर्शिता और समयसीमा तय करना
- सार्वजनिक निगरानी समितियों और स्वतंत्र ऑडिट को बढ़ावा
- भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई और संपत्ति जब्ती
नागरिकों की भूमिका
हर नागरिक को चाहिए कि यदि किसी सरकारी विभाग में रिश्वत या अनियमितता दिखे तो तुरंत RTI या लोकपाल पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज करें। सबूत के तौर पर ऑडियो, वीडियो या रसीदें सुरक्षित रखें। इस प्रकार का जनदबाव ही भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग में सुधार ला सकता है।
भारत के १० सबसे भ्रष्ट विभाग की यह रिपोर्ट हमारे प्रशासनिक ढांचे की सच्चाई उजागर करती है। बदलाव तभी संभव है जब नागरिक, मीडिया और शासन तीनों मिलकर जवाबदेही तय करें। भ्रष्टाचार केवल एक विभाग की समस्या नहीं, यह समाज के हर स्तर पर नैतिकता की परीक्षा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
१. NCIB क्या है और यह सूची कितनी विश्वसनीय है?
NCIB (National Citizen Information Board) नागरिकों की शिकायतों और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर विश्लेषण करता है। इसकी रिपोर्टें सार्वजनिक अनुभव पर आधारित होती हैं, जिनकी जांच संबंधित एजेंसियां करती हैं।
२. क्या सभी राज्यों में यही विभाग सबसे भ्रष्ट हैं?
नहीं, हर राज्य में भ्रष्टाचार का स्तर अलग होता है। कुछ राज्यों में पुलिस सबसे भ्रष्ट पाई गई, जबकि कुछ में राजस्व या बिजली विभाग।
३. अगर किसी अधिकारी ने रिश्वत मांगी तो क्या करें?
तुरंत सबूत सुरक्षित रखें और लोकपाल, सीएम हेल्पलाइन या विजिलेंस विभाग में शिकायत दर्ज करें। शिकायत संख्या सुरक्षित रखें।
४. क्या भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म किया जा सकता है?
पूरी तरह खत्म करना कठिन है, पर ई-गवर्नेंस, पारदर्शी प्रणाली और नागरिक भागीदारी से इसे काफी हद तक घटाया जा सकता है।
५. क्या इस रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होगी?
NCIB की रिपोर्ट जनता और प्रशासन के लिए संकेत है। कार्रवाई राज्य और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों पर निर्भर करती है।









