चित्रकूट में गौशालाएं वीरान, गौवंश सड़कों पर बेसहारा—दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। प्रशासन की अनदेखी से बेजुबान पशु मौत के मुंह में जा रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट. बारिश के इस भीषण मौसम में जब हर कोई किसी सुरक्षित आश्रय की तलाश में होता है, तब जिला चित्रकूट में गौवंश खुले आसमान के नीचे, सड़कों पर, जीवन और मृत्यु के बीच जूझते नज़र आते हैं। सरकार की तरफ़ से गौशालाओं के निर्माण और गौवंश के भरण-पोषण के लिए करोड़ों रुपये की व्यवस्था की जाती है, फिर भी ज़मीनी हकीकत बेहद भयावह और शर्मनाक है।
▶️ गौशालाएं वीरान, सड़कें बनीं शरणस्थली
साफ तौर पर देखा जा सकता है कि जिले की तमाम गौशालाएं या तो पूरी तरह वीरान पड़ी हैं या फिर वहां की व्यवस्था इतनी बदहाल है कि खुद जानवर भी वहां जाने से कतरा रहे हैं। मजबूरन ये बेजुबान गौवंश जिले की सड़कों, मुख्य राष्ट्रीय राजमार्गों और गली-कूचों में बसेरा डालने को मजबूर हैं। परिणामस्वरूप, हर दिन न सिर्फ़ ये जानवर दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं, बल्कि राहगीर और वाहन चालकों के लिए भी जानलेवा खतरा बनते जा रहे हैं।
⚠️ रोज़ की दुर्घटनाएं, मगर कोई सबक़ नहीं
हर दिन इन सड़कों से हजारों वाहन गुज़रते हैं। जब इन बेजुबान पशुओं का सामना तेज रफ्तार वाहनों से होता है, तब या तो ये घायल होकर तड़पते रह जाते हैं, या फिर मौके पर ही मौत की गोद में समा जाते हैं। कई मामलों में वाहन चालक भी चोटिल हुए हैं, लेकिन फिर भी न प्रशासन जागा, न कोई ठोस योजना बनी।
☔ बरसात का मौसम, बेघर गौवंश
फिलहाल जिले में लगातार वर्षा का सिलसिला जारी है। खेतों में कीचड़, सड़कों पर पानी, और गौशालाओं में ताले—ऐसे में गौवंश के पास कोई ठिकाना नहीं है। ये गाय-बैल, जो कभी धार्मिक आस्था का केंद्र रहे हैं, आज तिरस्कृत और लाचार होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
💰 आखिर कहां जा रही सरकार की धनराशि?
यह सवाल अब आम नागरिकों के मन में उठने लगा है कि जो सरकारी धन गौवंश के भरण-पोषण और सुरक्षा के लिए स्वीकृत होता है, वह कहां और कैसे उपयोग हो रहा है? क्या वह फाइलों और ठेकेदारों के बीच ही सिमटकर रह गया है? यदि नहीं, तो फिर इन गायों की ऐसी दशा क्यों?
📢 जनहित की मांग: व्यवस्था में तत्काल सुधार हो
अब वक्त आ गया है कि जिला प्रशासन इस संवेदनशील और मानवता से जुड़े विषय पर गंभीर रुख अपनाए। गौशालाओं को पुनः सक्रिय किया जाए, वहां पानी, चारा और छत जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। साथ ही यह भी आवश्यक है कि सड़क पर घूम रहे पशुओं को पकड़कर सुरक्षित स्थानों में भेजा जाए।
यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल प्रशासन की असफलता मानी जाएगी, बल्कि यह पशु-अधिकारों के खुले उल्लंघन का भी मामला बनेगा।