उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एलटीवी वीजा पर रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक को फर्जी दस्तावेज बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। दो सहयोगी भी गिरफ्तार, एसपी ने उच्च स्तरीय जांच के दिए आदेश।
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद में पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की संयुक्त टीम ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए गगलवा चैनपट्टी गांव से एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार किया है, जो बीते दस वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में रह रहा था। पकड़े गए व्यक्ति की पहचान सेराजुल हक के रूप में हुई है।
गोपनीय सूचना के आधार पर की गई इस कार्रवाई में सेराजुल हक के दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने उसे भारत में पनाह देने और फर्जी पहचान पत्र बनवाने में सहायता की थी। पुलिस अधीक्षक संतोष मिश्रा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच जारी है और पूरे नेटवर्क को जल्द ही बेनकाब किया जाएगा।
कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल, कुशीनगर के थाना पटहेरवा क्षेत्र अंतर्गत गगलवा चैनपट्टी गांव में एक पाकिस्तानी नागरिक के लंबे समय से छिपकर रहने की जानकारी पुलिस को मिली थी। इसके बाद थाना पटहेरवा पुलिस और एलआईयू की टीम ने गोपनीय जांच शुरू की।
जांच में सामने आया कि सेराजुल हक नामक यह व्यक्ति एलटीवी वीजा पर भारत आया था लेकिन वीजा समाप्त होने के बाद भी वह अवैध रूप से यहीं रह रहा था।
सरकारी योजनाओं का उठा रहा था लाभ
सेराजुल हक ने फर्जी दस्तावेजों—जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, निर्वाचन पहचान पत्र और आयुष्मान भारत कार्ड—की मदद से कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठाया।
उसे इलाज के लिए आयुष्मान योजना का लाभ मिला, तो वहीं राशन कार्ड के जरिए खाद्यान्न भी प्राप्त करता रहा।
इसका सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता था, जिसे लेकर अब सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
पकड़े गए सहयोगी कौन हैं?
सेराजुल हक के साथ गिरफ्तार किए गए दो अन्य आरोपी हैं—
1. चाँद अख्तर, जिसने उसे भारत में छिपने की जगह मुहैया कराई।
2. शब्बीर आज़म, जो स्थानीय ग्राहक सेवा केंद्र (सीएससी) का संचालक है और फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।
एसपी ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी
पुलिस अधीक्षक संतोष मिश्रा ने कहा कि यह मामला सिर्फ अवैध रूप से रहने का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है। उन्होंने बताया कि अब तक की जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, वे काफी चौंकाने वाले हैं और यह एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा कर रहे हैं।
एसपी ने यह भी घोषणा की कि इस सराहनीय कार्य को अंजाम देने वाली पुलिस टीम को ₹25,000 का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए कोई विदेशी नागरिक वर्षों तक सिस्टम को गुमराह कर सकता है। इस कार्रवाई के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन अब और अधिक सतर्कता बरतेगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को समय रहते रोका जा सके।