संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। पशुपालन विभाग में नंदिनी कृषक संवृद्धि योजना 2025-26 के तहत लाभार्थियों के चयन में बड़े स्तर पर धांधली का सनसनीखेज मामला सामने आया है। योजना के तहत नंदिनी डेयरी यूनिट के लिए बनाई गई लॉटरी प्रणाली पर यह गंभीर आरोप लगा है कि इसे सत्ता और विपक्ष से जुड़े प्रभावशाली लोगों के दबाव में संचालित किया गया, जिसके कारण गरीब और वास्तविक पात्र किसान बाहर रह गए, जबकि रसूखदार परिवारों को लाभ दिलाया गया।
योजना के अनुसार एक नंदिनी डेयरी यूनिट की कुल लागत 63 लाख रुपये तक होती है, जिसमें सरकार लगभग 50% यानी करीब 32 लाख रुपये तक का अनुदान देती है। इस भारी राशि ने राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों को आकर्षित किया, और इसी के चलते पूरी प्रक्रिया संदिग्ध होती दिखाई दी।
लॉटरी प्रणाली में नियमों की अनदेखी, अधिकारियों पर दबाव के आरोप
सूत्रों का कहना है कि लॉटरी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं रही। कई पात्र किसानों के फॉर्म तकनीकी कारणों से खारिज कर दिए गए, जबकि कुछ ऐसे नाम सूची में जोड़ दिए गए जिनके फॉर्म निर्धारित समय में जमा ही नहीं हुए थे। प्रशासनिक सूत्र स्वीकार करते हैं कि चयन के दौरान स्थानीय स्तर पर राजनीतिक दबाव काफी अधिक था, जिससे अधिकारी भी “विशेष सूची” को लॉटरी में शामिल करने के लिए मजबूर हुए।
मोनी तिवारी का विवाद: फॉर्म जमा न होने के बावजूद चयन?
सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला नाम है मोनी तिवारी, पत्नी अश्वनी अवस्थी निवासी बिहारा। अश्वनी अवस्थी भाजपा के जिला मंत्री हैं। सूत्रों का दावा है कि मोनी तिवारी का आवेदन समय पर जमा नहीं हुआ था और प्रारंभिक सूची में उनका नाम नहीं था। इसके बावजूद, लॉटरी के दौरान उनका नाम अचानक जोड़कर उन्हें लाभार्थी घोषित कर दिया गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार यह घटना चयन प्रणाली पर सीधे सवाल खड़े करती है। यह स्पष्ट दिखता है कि राजनीतिक प्रभाव ने प्रक्रिया को प्रभावित किया और एक गैर-पात्र नाम को आगे बढ़ा दिया गया।
दूसरा मामला: ममता देवी पटेल और राजनीतिक रिश्तों की भूमिका
दूसरा विवादित नाम है ममता देवी पटेल, पत्नी सुनील पटेल, निवासी खुटहा। सुनील पटेल बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक हैं। ममता देवी पटेल पहले समाजवादी पार्टी के टिकट पर क्षेत्र पंचायत प्रमुख का चुनाव लड़ चुकी हैं।
मामला इसलिए भी चर्चित है क्योंकि ममता के ससुर फूलचंद पटेल एक प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते हैं, और उनका सपा सांसद कृष्णा शिवशंकर पटेल से घनिष्ठ संबंध है। बताया जाता है कि सांसद पुत्र डॉ. अंकुर का अक्सर उनके घर आना-जाना रहता है। किसानों का आरोप है कि इसी राजनीतिक प्रभाव के चलते उन्हें भी नंदिनी डेयरी योजना का लाभ दे दिया गया।
स्थानीय लोगों की मानें तो यह स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे सत्ताधारी दल और विपक्ष के प्रभावशाली परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरी प्रक्रिया को मोड़ दिया गया।
सत्ता–विपक्ष का गठजोड़: ग्रामीणों में बढ़ा आक्रोश
इस प्रकरण की सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसमें भाजपा और समाजवादी पार्टी—दोनों के प्रभावशाली नेताओं के परिवारों को लाभ मिला। इससे स्थानीय ग्रामीणों में यह धारणा मजबूत हो गई है कि चाहे सत्ता में कोई भी हो, फायदा केवल उसी वर्ग को मिलता है जो राजनीतिक रूप से मजबूत है।
कई ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना किसानों के लिए थी, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार बना दिया गया। कई पात्र किसानों के फॉर्म बिना कारण अस्वीकृत कर दिए गए, जिससे उनका विश्वास टूट गया।
मिनी नंदिनी डेयरियों में भी बंदरबांट के आरोप
बड़े यूनिट ही नहीं, बल्कि मिनी नंदिनी डेयरी यूनिट में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने सूची ऐसे लोगों के पक्ष में जारी की जिनके पास पहले से पर्याप्त आर्थिक साधन मौजूद हैं, जबकि गरीब किसानों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
आम आदमी पार्टी ने उठाई आवाज़ — लॉटरी रद्द करने की मांग
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष संतोषी लाल शुक्ल ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए आरोप लगाया—
“भाजपा और सपा के प्रभावशाली लोगों ने मिलकर सरकारी सिस्टम को फेल कर दिया है। यह लॉटरी सिस्टम निष्पक्ष नहीं था। इसे रद्द कराकर दोबारा कराया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पर भारी दबाव बनाया गया और दोनों परिवारों के पुरुष सदस्यों ने अपने पद और रिश्तों का उपयोग कर लाभ हासिल किया। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
किसानों में रोष, प्रशासन की कार्यवाही पर टिकी निगाहें
कई किसानों ने खुलकर कहा कि यदि सरकारी योजनाओं में पात्र किसानों को अनदेखा कर रसूखदारों को लाभ पहुँचाया जाता रहा तो उनका शासन-प्रशासन पर से विश्वास पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
अब नजर जिला प्रशासन पर है कि वह इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या चयन प्रक्रिया दोबारा होगी? क्या राजनीतिक दबाव की जांच होगी? क्या फर्जी चयन रद्द किए जाएंगे? ये सभी सवाल अभी अनुत्तरित हैं।
निष्कर्ष: पारदर्शिता और जवाबदेही ही समाधान
नंदिनी कृषक संवृद्धि योजना किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन इस प्रकार की अनियमितताएँ योजना की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा करती हैं। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि—
- लॉटरी प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए
- पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो
- पात्र किसानों का पुनः सत्यापन किया जाए
- दोषी अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों पर कार्रवाई की जाए
केवल तभी यह योजना सही मायनों में किसानों तक पहुंच सकेगी।