महारैली में बसपा की ऐतिहासिक धमक : सन्नाटे के बीच गूंजा नया उत्साह, समर्थकों में नई उम्मीद की लहर

लखनऊ में मायावती की बसपा महारैली में उमड़ी ऐतिहासिक भीड़, कांशीराम स्मारक स्थल पर समर्थकों का जनसैलाब






Red and Blue Geometric Patterns Medical Facebook Post_20251110_094656_0000
previous arrow
next arrow

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

बसपा की महारैली: सन्नाटे के बीच गूंजा नया उत्साह

लखनऊ। 13 साल से सत्ता से दूर और राजनीतिक परिदृश्य में सिमटी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के लिए गुरुवार की महारैली उम्मीद की नई सुबह लेकर आई। बिना किसी लोकसभा सांसद और सिर्फ एक विधायक के सहारे सिमटी बसपा ने इस महारैली के जरिए एक बार फिर अपने अस्तित्व का दमदार प्रदर्शन किया।

करीब नौ साल बाद मायावती ने अपने समर्थकों को बुलाया, और जैसे बुझती उम्मीदों को नई ऑक्सीजन मिल गई। कांशीराम स्मारक स्थल पर जुटी यह भीड़ केवल बसपा के पुनरुत्थान की नहीं, बल्कि बहुजन चेतना के पुनर्जागरण की महारैली थी।

कांशीराम स्मारक स्थल पर ‘नीला सैलाब’ – जैसे लखनऊ में आ गया महाकुंभ

आठ अक्टूबर से ही बसपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में इस महारैली को लेकर जोश देखने को मिल रहा था। सुबह पांच बजे तक कांशीराम स्मारक पार्क पूरी तरह भर चुका था। हर दिशा से आती भीड़, झंडे और नारेबाजी इस बात का प्रमाण थी कि बसपा की यह महारैली महज कार्यक्रम नहीं, बल्कि भावनाओं का महासंगम बन चुकी थी।

जैसे ही मंच से अनाउंसमेंट हुआ कि मायावती पहुंच चुकी हैं, पूरा स्मारक स्थल शोर से गूंज उठा। हजारों झंडे लहराने लगे, नारों की गूंज आसमान छूने लगी — “बहन जी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं!”

मायावती का भावुक संबोधन: “पांचवीं बार सरकार बनाएंगे”

करीब एक घंटे पांच मिनट तक चले अपने भाषण में मायावती ने कार्यकर्ताओं को भावुक कर दिया। उन्होंने कहा — “पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए मैं हर स्तर पर ताकत लगाऊंगी, कोई कमी नहीं छोड़ूंगी — यह मेरा वादा है।” इन शब्दों के साथ महारैली में मौजूद लाखों समर्थकों की आंखें नम हो उठीं। बसपा कार्यकर्ताओं को इस बार पांच लाख से अधिक भीड़ की उम्मीद थी, और अनुमान बिल्कुल सही निकला।

इसे भी पढें  जनता का तूफानी समर्थन, विरोधियों में सनसनी : काराकाट में ज्योति सिंह के चुनाव प्रचार ने मचाई हलचल, विरोधी खेमे में हड़कंप

भीड़ में उमड़ा जनसमुद्र: बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक का अद्भुत संगम

यह महारैली केवल संख्या में बड़ी नहीं थी, बल्कि भावनात्मक रूप से भी विशाल थी। आगरा से आए 85 वर्षीय शंभूनाथ से लेकर 20 वर्षीय सूरज तक, हर कोई अपनी नेता की झलक पाने को आतुर था।

एक बुजुर्ग समर्थक लाठी के सहारे बैठे थे। पूछने पर बोले — “100 साल की उम्र हो गई है, लेकिन बसपा की हर महारैली में शामिल होता हूं। मायावती बहुजन समाज की सच्ची नेता हैं।” वहीं, वीलचेयर पर आए एक अन्य समर्थक ने कहा — “यह भीड़ अनुशासित है। पांच लाख हों या पचास लाख, बसपा के कार्यकर्ता कभी सीमा नहीं लांघते।”

सोशल मीडिया पर बसपा समर्थकों की ‘शोधार्थी फौज’ ने संभाला मोर्चा

भले ही बसपा की कोई औपचारिक आईटी सेल सक्रिय नहीं है, लेकिन इस महारैली में सोशल मीडिया पर डिजिटल मोर्चा युवाओं ने संभाल लिया। लखनऊ विश्वविद्यालय, बीएचयू, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों के शोधार्थियों ने इस महारैली को ऑनलाइन मिशन में बदल दिया।

हिंदी विभाग के शोधार्थी जितेंद्र कुमार ने बताया — “यह जरूरी था कि महारैली का संदेश जनता तक पहुंचे। हमने स्वेच्छा से डिजिटल मोर्चा संभाला और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लाइव कवरेज किया।” बीएचयू के डॉ. रविंद्र भारतीय ने कहा — “तीन दिन पहले ही दिल्ली से लखनऊ पहुंच गया था। रैली की तैयारियां, कवरेज और वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर लगातार साझा किए ताकि महारैली का असर राष्ट्रीय स्तर पर दिखे।”

इसे भी पढें  अभिनेता विजय देवरकोंडा और रश्मिका मंदाना के सगाई की ये बात आपको भी नहीं पता....❓

बहुजन समाज की एकता का प्रदर्शन: “नीले झंडे तले नया जोश”

लखनऊ की यह महारैली केवल मायावती की उपस्थिति तक सीमित नहीं रही। यह बहुजन समाज की एकता, संघर्ष और पुनर्संगठन की एक नई कहानी लिख गई। हर जिले से आए समर्थकों ने अपने पारंपरिक पहनावे में ‘नीले झंडे’ के नीचे एकजुट होकर नारा लगाया — “जय भीम! जय भारत! जय बहुजन समाज!” यह दृश्य स्पष्ट कर रहा था कि बसपा का सामाजिक आधार अब भी ज़िंदा है, बस उसे दिशा और नेतृत्व की फिर से जरूरत थी — और इस महारैली ने वही भूमिका निभाई।

राजनीतिक संकेत: 2027 की तैयारी की दस्तक

विश्लेषकों के अनुसार, मायावती की यह महारैली 2027 के विधानसभा चुनाव की शुरुआती दस्तक है। 13 साल से सत्ता से बाहर बसपा ने यह दिखाया है कि वह अब भी मैदान छोड़ने वाली पार्टी नहीं है। मायावती ने रैली में कहा — “हमारी पार्टी ने कभी जाति, धर्म या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं किया। हमने हमेशा गरीबों, दलितों और पिछड़ों के लिए काम किया है।” उनका यह बयान न सिर्फ राजनीतिक चुनौती था बल्कि समाजिक संदेश भी। इस महारैली के जरिए बसपा ने विपक्ष को भी संकेत दिया है कि दलित वोट बैंक को अब हल्के में नहीं लिया जा सकता।

लखनऊ में भीड़ का प्रबंधन: अनुशासन और संगठन की मिसाल

महारैली में लाखों की भीड़ के बावजूद अनुशासन की मिसाल देखने को मिली। ना कोई अव्यवस्था, ना कोई विवाद। प्रशासन ने खुद स्वीकार किया कि बसपा के कार्यकर्ताओं ने अनुशासन और शांति बनाए रखी। भीड़ के प्रबंधन में पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने शानदार समन्वय दिखाया। हर जिले से आने वाले काफिलों को पहले से निर्धारित ब्लॉक में बैठाया गया। यह आयोजन बसपा की संगठनात्मक क्षमता का पुनः प्रदर्शन था।

इसे भी पढें  America govt. शटडाउन के कगार पर : डेमोक्रेट्स और ट्रम्प टकराव से वैश्विक आर्थिक संकट गहराया

महारैली के मायने: उम्मीद, एकता और आत्मविश्वास की वापसी

बसपा की यह महारैली केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भावनाओं का विस्फोट थी। लोगों की आंखों में मायावती के प्रति न सिर्फ सम्मान, बल्कि यह विश्वास झलक रहा था कि “बहन जी फिर आएंगी।” यह वही विश्वास है जिसने कभी बसपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुंचाया था। आज जब देश में राजनीति का स्वरूप बदल रहा है, तब लखनऊ की यह महारैली याद दिलाती है कि बहुजन आंदोलन की जड़ें अभी भी गहरी हैं।

महारैली से निकला संदेश: बसपा अभी खत्म नहीं हुई

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा भले ही पिछले चुनावों में कमजोर दिखी हो, लेकिन महारैली ने यह साबित कर दिया कि संगठन के पास अभी भी जमीनी ताकत मौजूद है। यह महारैली एक संकेत है कि 2027 की राजनीति में मायावती की वापसी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

निष्कर्ष: लखनऊ की महारैली ने फिर जगाई नीली आशा

इस बार लखनऊ की सड़कों पर जो भीड़ उमड़ी, वह सिर्फ संख्या नहीं थी — वह एक भावना थी। मायावती की यह महारैली बहुजन समाज के आत्मविश्वास की वापसी थी। बसपा का यह प्रदर्शन बताता है कि भले ही पार्टी सत्ता से दूर हो, पर उसका जनाधार आज भी मजबूत है। लखनऊ की यह ऐतिहासिक महारैली बसपा की नई राजनीतिक यात्रा का पहला पड़ाव बन गई है — जहां उम्मीदें फिर जागीं, जहां मायावती ने फिर से कहा — “लड़ाई अभी बाकी है!”



समाचार दर्पण की नवीनतम खबरों को दर्शाता हुआ रंगीन लैंडस्केप बैनर जिसमें पढ़ने वाले के लिए आकर्षक हेडलाइन और सूचना प्रदर्शित है
“समाचार दर्पण – हर खबर से जुड़ी जानकारी सीधे आपके स्क्रीन पर।”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top