कभी आभार के आंसू छलके , तो कभी सत्कार से पांवों में गिरे : संत प्रेमानंद महाराज से संतों का भावुक मिलन

कभी आभार के आंसू छलके तो कभी संत-रज पाने पांवों में गिरे ; संत प्रेमानंद महाराज से इन संतों का भावुक मिलन

ठाकुर के.के. सिंह की रिपोर्ट

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वृंदावन (मथुरा): श्रीराधा केलिकुंज आश्रम इन दिनों भक्ति और भाव के अद्भुत संगम का केंद्र बन गया है। संत प्रेमानंद महाराज वृंदावन में एक ऐसा नाम हैं, जिनसे मिलने और आध्यात्मिक चर्चा करने के लिए देश-विदेश के चर्चित संत, साध्वी और भक्त लगातार पहुंच रहे हैं। पिछले एक महीने के भीतर उनके सत्संग में देवी चित्रलेखा, अलबेली माधुरी शरण महाराज, नवलराम महाराज, कमल बहन जी, कृष्ण चंद्र शास्त्री, रंगीली सखी महाराज और प्रसिद्ध भजन गायिका गीता रबारी तक शामिल हो चुके हैं।

श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में प्रतिदिन संतों का आगमन

वृंदावन स्थित श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब कोई संत या भक्त संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन को न आए। महाराज हर अतिथि का स्वागत अत्यंत भावपूर्ण तरीके से करते हैं। कई बार तो वे अपने अतिथियों के चरणों में झुककर आशीर्वाद लेते हैं और उनकी आंखों से भक्ति-भाव के आंसू बहने लगते हैं।

देवोत्थान एकादशी पर रसिक संतों से भावुक मिलन

देवोत्थान एकादशी के अवसर पर जब कई रसिक संत वृंदावन पहुंचे, तो संत प्रेमानंद महाराज उन्हें देखते ही भावविभोर हो उठे। उन्होंने संतों के चरणों को स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और हल्दी पूजन किया। इस दौरान महाराज ने कहा — “मुझे रसिकों ने स्वीकार किया, तो समझो श्रीजी (राधा रानी) ने स्वीकार कर लिया।” यह वाक्य सुनकर पूरा आश्रम भक्ति के उल्लास से गूंज उठा।

राम सेवा आश्रम के महंत नवलराम महाराज का स्नेहिल आगमन

राम सेवा आश्रम वृंदावन के प्रसिद्ध महंत नवलराम महाराज भी आध्यात्मिक चर्चा के लिए श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचे। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को एक आध्यात्मिक पुस्तक भेंट की और दोनों संतों के बीच “प्रणाम के महत्व” पर गहन चर्चा हुई। नवलराम महाराज ने कहा — “धर्म प्रचार में आपका योगदान अद्वितीय है, पूरा संत समाज आपका आभारी है।”

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देवी चित्रलेखा का प्रेमानंद महाराज से मिलन

महिला कथावाचक देवी चित्रलेखा भी हाल ही में श्रीराधा केलिकुंज आश्रम पहुंचीं। केवल चार वर्ष की आयु से धर्मग्रंथों का अध्ययन शुरू करने वाली चित्रलेखा ने नौ वर्ष की उम्र में ही वेद-पुराणों का गहन ज्ञान प्राप्त कर लिया था। प्रेमानंद महाराज से मुलाकात के दौरान उन्होंने आशीर्वाद प्राप्त किया और श्रीराधा-कृष्ण भक्ति पर संवाद किया। सोशल मीडिया पर उनकी फैन फॉलोइंग करोड़ों में है, लेकिन उनके लिए यह मिलन आध्यात्मिक उपलब्धि रहा।

कृष्ण चंद्र शास्त्री के संग भागवत चर्चा

वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री भी हाल में आश्रम आए। उन्होंने प्रेमानंद महाराज वृंदावन के साथ धर्म, अध्यात्म और श्रीमद्भागवत कथा पर विस्तृत चर्चा की। ठाकुर जी नाम से प्रसिद्ध शास्त्री ने मात्र 15 वर्ष की आयु में मुंबई में पहला भागवत प्रवचन दिया था और अब तक 1500 से अधिक कथाएँ कर चुके हैं। प्रेमानंद महाराज ने उनका स्वागत करते हुए कहा — “आप जैसे संत ही सनातन धर्म की जीवन-रेखा हैं।”

रंगीली सखी महाराज का ‘सखी भाव’ भरा दर्शन

राधा मोहन दास भक्तमाली महाराज, जिन्हें प्रेमपूर्वक रंगीली सखी महाराज कहा जाता है, जब आश्रम पहुंचे तो माहौल भक्ति से भर गया। स्वयं को श्रीराधा रानी की सखी मानने वाले रंगीली सखी महाराज रसिक परंपरा के पूज्य संत हैं। उन्होंने प्रेमानंद महाराज से मिलकर कहा — “आपके चरणों में सेवा का अवसर ही मेरा सौभाग्य है।”

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कमल बहन जी के स्वास्थ्य को लेकर जताई चिंता

गीता प्रेस गोरखपुर के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार की कृपापात्र मानी जाने वाली कमल बहन जी भी श्रीराधा केलिकुंज आश्रम आईं। प्रेमानंद महाराज ने उन्हें बरसाना की राधा रानी का लहंगा भेंट किया। वार्ता के दौरान महाराज ने उनके गिरते स्वास्थ्य पर चिंता जताई और उनके दीर्घायु रहने की प्रार्थना की।

अलबेली माधुरी शरण महाराज से भावनात्मक संवाद

श्री शुकसम्प्रदायाचार्य अलबेली माधुरी शरण महाराज और संत प्रेमानंद महाराज का मिलन अत्यंत भावुक रहा। आलिंगन के दौरान माधुरी शरण महाराज ने कहा — “मुझे बचाओ महाराज!” इस पर प्रेमानंद महाराज ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया — “आप ऐसी जगह गिरे हैं महाराज, जहां हर कोई गिरना चाहता है।” यह संवाद सुनकर उपस्थित भक्तों की आंखें नम हो गईं।

नीमकरौली बाबा के भक्त कृष्णदास का विशेष आगमन

अमेरिका के प्रसिद्ध भक्त कृष्णदास जी (Jeffrey Kagel) भी श्रीराधा केलिकुंज आश्रम वृंदावन आए। वे नीमकरौली बाबा के शिष्य हैं। उन्होंने प्रेमानंद महाराज के समक्ष भक्ति भजन प्रस्तुत किए और कहा कि “वृंदावन आने का अर्थ है आत्मा का पुनर्जन्म।” प्रेमानंद महाराज ने उनके भजन सुनकर कहा — “भक्ति की कोई भाषा नहीं, केवल भावना मायने रखती है।”

गीता रबारी के भजन ने आश्रम में भक्ति रस घोला

कच्छ की कोयल कही जाने वाली भजन गायिका गीता रबारी जब प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचीं, तो आश्रम का वातावरण संगीत और भक्ति में डूब गया। उन्होंने “श्रीराम घर आए” सहित कई भजन प्रस्तुत किए। महाराज उन्हें सुनते हुए मंत्रमुग्ध दिखे। गीता रबारी ने कहा — “महाराज के चरणों में गाना ही मेरे जीवन की सबसे बड़ी साधना है।”

प्रेमानंद महाराज वृंदावन: भक्ति, विनम्रता और प्रेम की प्रतिमूर्ति

संत प्रेमानंद महाराज वृंदावन आज भक्ति-जगत की ऐसी विभूति हैं, जो अपने आचरण से प्रेम, विनम्रता और सेवा का सन्देश दे रहे हैं। उनके श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में हर दिन श्रद्धा और प्रेम का संगम देखने को मिलता है। जब कभी वे किसी संत के चरणों में झुकते हैं या आंखों से आंसू छलकते हैं, तो यह केवल भक्ति की भाषा होती है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।

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वृंदावन के श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में प्रेमानंद महाराज वृंदावन के साथ हुए इन भावुक मिलनों ने एक बार फिर साबित किया कि प्रेम और भक्ति की शक्ति शब्दों से कहीं अधिक गहरी होती है। जब संत एक-दूसरे से मिलते हैं, तो केवल दर्शन नहीं, बल्कि आत्माओं का संगम होता है — और यही वृंदावन की सबसे बड़ी पहचान है।

👉 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

संत प्रेमानंद महाराज कौन हैं?

संत प्रेमानंद महाराज वृंदावन के रसिक संत हैं जो श्रीराधा-कृष्ण भक्ति के प्रचारक हैं। वे श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में रहते हैं और देशभर में सत्संग करते हैं।

देवी चित्रलेखा की मुलाकात कब हुई?

देवी चित्रलेखा ने हाल ही में श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में जाकर प्रेमानंद महाराज से भेंट की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

अलबेली माधुरी शरण महाराज और प्रेमानंद महाराज का मिलन क्यों चर्चित रहा?

क्योंकि उनके मिलन के दौरान भावुक क्षण आया जब माधुरी शरण महाराज ने कहा — “मुझे बचाओ महाराज!” और प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया — “आप ऐसी जगह गिरे हैं, जहां हर कोई गिरना चाहता है।”

गीता रबारी ने कौन सा भजन प्रस्तुत किया?

गीता रबारी ने श्रीराम और राधा-कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत भजन प्रस्तुत किए, जिनमें “श्रीराम घर आए” विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।

प्रेमानंद महाराज वृंदावन क्यों प्रसिद्ध हैं?

वे अपनी विनम्रता, भक्तिभाव और राधा-कृष्ण के प्रति अद्भुत प्रेम के कारण प्रसिद्ध हैं। उनका आश्रम प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना जाता है।

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