
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में:
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश का छोटा लेकिन कला और हस्तकला में बड़ा भदोही अब एक बार फिर विश्व स्तर पर सुर्खियों में है। भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में बिछा, जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई बल्कि भारत की हस्तकला को गौरवपूर्ण सम्मान दिलाया।
पटोदिया एक्सपोर्ट कंपनी, भदोही की प्रमुख कालीन निर्माता, ने इस ऐतिहासिक परियोजना का नेतृत्व किया। कोरोना काल (COVID-19) में 1000 से अधिक कुशल बुनकरों ने छह महीनों की मेहनत के बाद यह 12,464 वर्ग मीटर की हैंड टफ्टेड कालीन तैयार की।
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में कैसे पहुँचा
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में पहुँचाने का काम आसान नहीं था। इसे 125 टुकड़ों में भारत से कजाकिस्तान भेजा गया। दुबई और भारत के विशेषज्ञों ने मिलकर लगभग 50 दिनों तक मस्जिद में इसे हूबहू बिछाया।
कंपनी के मालिक रवि पटोदिया ने बताया कि इस कालीन की कुल लागत लगभग 15 लाख अमेरिकी डॉलर (13.2 करोड़ रुपये) थी। इस परियोजना ने भदोही की हस्तकला और भारत की कालीन उद्योग की गुणवत्ता को पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया।
फुटबॉल मैदान से भी बड़ी भदोही की कालीन
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में अब आकार में किसी फुटबॉल मैदान से भी बड़ी है। कुल क्षेत्रफल लगभग 12,464.29 वर्ग मीटर (1,34,165 वर्ग फीट) है। यह हाथ से बनी विश्व की सबसे बड़ी कालीन बन चुकी है।
19 सितंबर 2025 को इसे आधिकारिक रूप से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। यह पहला अवसर है जब किसी भारतीय शहर की कालीन ने इस स्तर पर विश्व रिकॉर्ड हासिल किया।
भारतीय बुनकरों की कला कजाकिस्तान में
मध्य एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद, आस्ताना ग्रैंड मस्जिद में बिछी यह कालीन अब भारतीय बुनकरों की कला और कुशलता का प्रमाण है। मस्जिद के अंदर फर्श पर बिछी कालीन ने भारतीय हस्तकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
विशेषज्ञों की टीम और तकनीकी सटीकता
इस कालीन को मस्जिद में सही दिशा और पैटर्न में फिट करने के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम ने लगभग दो महीने तक काम किया। भदोही के बुनकरों के साथ दुबई के विशेषज्ञों ने भी इस परियोजना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राष्ट्रपति की निगरानी और 12 करोड़ की परियोजना
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में इस तरह बिछाया गया कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति ने निर्माण के हर चरण, डिजाइन, रंग संयोजन और बिछाने की प्रक्रिया पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखी। उनकी मंजूरी के बाद ही कालीन को अंतिम रूप से स्थापित किया गया।
इस परियोजना ने भारत की हस्तकला और कालीन उद्योग पर अंतरराष्ट्रीय भरोसा मजबूत किया। रवि पटोदिया ने बताया कि यह केवल भदोही की कालीन नहीं, बल्कि पूरे भारत की कला और मेहनत का प्रतीक है।
विश्व रिकॉर्ड और भारत की हस्तकला
परसियन डिज़ाइन की यह हैंड टफ्टेड कालीन अब विश्व की सबसे बड़ी कालीन मानी जाती है। मार्च 2025 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए आवेदन किया गया था और अंतरराष्ट्रीय जांच के बाद इसे मानक पर खरा पाया गया।
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में बिछने के बाद भारत की बुनाई कला और कालीन उद्योग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बनाई। इस परियोजना ने भारतीय बुनकरों की प्रतिभा और कुशलता को पूरी दुनिया के सामने उजागर किया।
भदोही का कालीन कजाकिस्तान की मस्जिद में अब विश्व की सबसे बड़ी हैंड टफ्टेड कालीन बन चुकी है। इसने भारतीय हस्तकला को नई ऊँचाइयाँ दी हैं और भारत के कालीन उद्योग की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूत किया है। भदोही अब विश्व मानचित्र पर कालीन नगरी के रूप में और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह परियोजना यह संदेश देती है कि भारत की हस्तकला और कालीन उद्योग पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है।
