गोरखपुर निवासी हरिओम तिवारी, जो कानपुर में नौकरी करता था, अपनी प्रेमिका पर रौब झाड़ने के लिए चोरी की घटनाओं को अंजाम देता था। पिता ने खुद उसे जेल भेजने की मांग की। पढ़ें पूरी खबर।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कानपुर। इंसान जब प्रेम में विवेक खो देता है, तब वह अपराध की राह पर भी चल पड़ता है। ऐसा ही मामला कानपुर के गोविंदनगर इलाके से सामने आया है, जहां गोरखपुर निवासी एक युवक हरिओम तिवारी ने अपनी प्रेमिका पर रौब झाड़ने के लिए स्कूटी और बाइक चोरी की वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। आश्चर्यजनक बात यह रही कि जब यह बात उसके पिता को पता चली, तो उन्होंने खुद पुलिस से आग्रह किया कि उनके बेटे को जेल भेज दिया जाए।
बाइक मांग कर हुआ गायब, मालिक ने दर्ज कराई रिपोर्ट
यह घटना गोविंदनगर थाने की है, जहां जनवरी माह में बर्रा आठ निवासी अनुज विश्वकर्मा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अनुज, दादानगर स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं और उनके साथ काम करने वाला हरिओम तिवारी बाइक मांगकर ढाबे पर खाने के बहाने गया, लेकिन फिर लौटकर नहीं आया।
इसके बाद पुलिस ने अमानत में खयानत की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। युवक की लोकेशन पहले गोरखपुर में और फिर दोबारा कानपुर में मिली। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उसे गुजैनी से गिरफ्तार कर लिया।
स्पा संचालिका की स्कूटी भी उड़ाई
पूछताछ के दौरान हरिओम तिवारी ने कबूल किया कि उसने बरेली की एक स्पा संचालिका की स्कूटी भी चुराई थी। उसने बताया कि वह गोरखपुर में एक किराए के कमरे में रहता है और वहां से शहर में घूमने के लिए स्कूटी चुराई। उसका दावा है कि वह अपनी प्रेमिका पर प्रभाव डालने के लिए बार-बार नई गाड़ियों में घुमाता था, ताकि वह उसे अमीर समझे।
पिता ने पुलिस से की बेटे को जेल भेजने की अपील
जब पुलिस ने आरोपी युवक के पिता से संपर्क किया तो उन्होंने जो बयान दिया, वह बेहद चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि उनका बेटा न सुधरने वाला है। उन्होंने बताया कि हरिओम अपनी ही बहन की शादी के फलदान में रखे 50 हजार रुपये चुराकर फरार हो गया था। पिता ने स्पष्ट रूप से कहा, “जो बेटा बहन की शादी के पैसे चुरा सकता है, उसे जेल भेज देना ही बेहतर है।”
पुलिस कर रही है आगे की जांच
गोविंदनगर थाने के इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि युवक के खिलाफ पहले से चोरी और धोखाधड़ी के कई संदेहास्पद मामले सामने आए हैं। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कहीं उसके तार किसी बड़े चोरी गैंग से तो नहीं जुड़े हैं।
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हरिओम तिवारी की कहानी महज एक प्रेम प्रसंग का अंत नहीं, बल्कि उस सोच का भी प्रतिनिधित्व करती है जिसमें व्यक्ति अपने रिश्तों और मूल्यों से बढ़कर दिखावे और झूठी शान को प्राथमिकता देता है। जहां एक पिता अपने बेटे को सुधारने के लिए कठोर कदम उठाने से नहीं हिचकता, वहीं यह मामला समाज के उस पहलू को भी उजागर करता है जहां अपराध केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि सामाजिक छवि बनाए रखने के लिए भी किए जाते हैं।