ठाकुर के.के. सिंह की रिपोर्ट
भारत में जातिवाद की गहराती खाई के बीच धीरेंद्र शास्त्री ने एक नई सनातन जोड़ो यात्रा का आगाज किया है, जिसका उद्देश्य है – हर गली, हर गांव और हर व्यक्ति के दिल में राष्ट्रवाद की अलख जलाना। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिल्ली से इस यात्रा की शुरुआत की है, जो अब ब्रजभूमि में प्रवेश करने जा रही है।
यात्रा का अगला पड़ाव वृंदावन है, जहां अभिनेता संजय दत्त, राजपाल यादव और देश के कई प्रमुख संत उनके साथ शामिल होंगे। इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरण और सामाजिक एकता का संदेश देना है। सनातन जोड़ो यात्रा के जरिए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर हर व्यक्ति को यह प्रेरणा देना चाहते हैं कि राष्ट्र सबसे ऊपर है, और हर जाति, धर्म, भाषा के ऊपर ‘भारत’ नाम का एक गौरवशाली बंधन है।
ब्रज में प्रवेश के साथ गूंजेगा राष्ट्रवाद और सनातन का संगम
जब यह सनातन जोड़ो यात्रा ब्रजभूमि में प्रवेश करेगी, तब उसका स्वागत किसी ऐतिहासिक पर्व जैसा होगा। आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने कहा कि, “यह केवल यात्रा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की चेतना का पुनर्जागरण है।” उन्होंने यह भी बताया कि जब धीरेंद्र शास्त्री वृंदावन पहुंचेंगे, तो पूरा ब्रज एक स्वर में ‘जय श्रीराम’ और ‘जय श्रीकृष्ण’ के उद्घोष से गूंज उठेगा।
16 नवंबर को यात्रा के अंतिम पड़ाव पर धीरेंद्र शास्त्री अभिनेता संजय दत्त और राजपाल यादव के साथ श्री बांकेबिहारी मंदिर पहुंचेंगे और वहां उन्हें ध्वजा भेंट की जाएगी। उनके साथ अयोध्या, चित्रकूट और दिल्ली के कई संत भी मौजूद रहेंगे। संभावना यह भी है कि प्रसिद्ध योग गुरु बाबा रामदेव भी इस अवसर पर शामिल हों, हालांकि अभी इसका आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
जातिवाद की जगह राष्ट्रवाद का संदेश
धीरेंद्र शास्त्री की सनातन जोड़ो यात्रा का मूल संदेश यही है कि भारत को अब जाति के बंधनों से मुक्त होकर राष्ट्र के एक सूत्र में बांधना होगा। यात्रा के दौरान वे हर सभा में यही कह रहे हैं कि, “अब समय है जब हर हिंदुस्तानी को जातिवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद को अपनाना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन जोड़ो यात्रा का मकसद किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज को एकजुट करने का है। इस यात्रा में शामिल लोगों का विश्वास है कि इससे भारत में सामाजिक सद्भाव और राष्ट्र प्रेम की भावना और मजबूत होगी।
वृंदावन में केवल 500 श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति
यात्रा के वृंदावन पहुंचने पर प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के विशेष इंतजाम किए हैं। रविवार होने के कारण बांकेबिहारी मंदिर में सामान्य दिनों से कहीं अधिक भीड़ की संभावना है। इसलिए प्रशासन ने निर्णय लिया है कि सनातन जोड़ो यात्रा के तहत केवल 500 लोगों को ही मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। शेष श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन करेंगे।
एसपी सिटी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि यात्रा के दौरान ट्रैफिक डायवर्जन लागू रहेगा। छटीकरा से लेकर वृंदावन के प्रवेश मार्गों तक पुलिस बल की विशेष तैनाती होगी। सुरक्षा की दृष्टि से कई थानों की फोर्स एक साथ काम करेगी, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
ब्रज में होगा ट्रैफिक डायवर्जन और सुरक्षा के कड़े इंतजाम
ब्रज में प्रवेश करते ही यात्रा के मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया जाएगा। हाईवे से लेकर वृंदावन के प्रमुख मार्गों तक सुरक्षा बल तैनात रहेंगे। सनातन जोड़ो यात्रा को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। यातायात व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए विशेष प्लान तैयार किया गया है, ताकि धीरेंद्र शास्त्री के आगमन पर किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
शहर के चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवक भी व्यवस्था में सहयोग करेंगे। भीड़ नियंत्रण के लिए ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जाएगी और संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।
ब्रज में स्वागत की अनोखी तैयारी
ब्रज के संतों और श्रद्धालुओं ने धीरेंद्र शास्त्री के स्वागत के लिए विशेष आयोजन किए हैं। वृंदावन की गलियों को फूलों और रोशनी से सजाया जा रहा है। कई आश्रमों और मंदिरों में कीर्तन और भजन संध्या का आयोजन होगा। हर ओर एक ही स्वर गूंजेगा— “भारत माता की जय, जय श्रीराम!”
आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने कहा कि, “यह यात्रा केवल धार्मिक भावना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश है कि भारत की पहचान उसकी सनातन संस्कृति और राष्ट्रवाद में है।” उनका मानना है कि धीरेंद्र शास्त्री के इस प्रयास से समाज में नई चेतना आएगी और भारत की एकता और अधिक सुदृढ़ होगी।
सनातन जोड़ो यात्रा से जग रहा है भारत का आत्मगौरव
वास्तव में, सनातन जोड़ो यात्रा आज भारत के जन-जन में आत्मगौरव का संचार कर रही है। जहां पहले लोग जाति और क्षेत्र के आधार पर बंटते थे, वहीं अब यह यात्रा उन्हें एक सूत्र में बांध रही है। धीरेंद्र शास्त्री के नेतृत्व में यह अभियान भारत की सांस्कृतिक शक्ति और एकता का नया प्रतीक बन चुका है।
देशभर से लाखों लोग सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस यात्रा से जुड़े हैं। हर गांव, हर शहर में राष्ट्रवाद और सनातन संस्कृति की चर्चा हो रही है। इस यात्रा ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर सनातन बचेगा, तो राष्ट्र बचेगा — और अगर राष्ट्र बचेगा, तो हर धर्म, हर परंपरा सुरक्षित रहेगी।
❓ सवाल-जवाब (FAQ)
1. धीरेंद्र शास्त्री की सनातन जोड़ो यात्रा कब और कहां से शुरू हुई?
यह यात्रा दिल्ली से शुरू हुई है और इसका अंतिम पड़ाव वृंदावन होगा, जहां 16 नवंबर को बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन होंगे।
2. इस यात्रा का उद्देश्य क्या है?
इस यात्रा का उद्देश्य भारत में जातिवाद की जगह राष्ट्रवाद और सनातन एकता की भावना को जगाना है।
3. वृंदावन में कितने लोगों को प्रवेश की अनुमति मिलेगी?
प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र केवल 500 लोगों को ही बांकेबिहारी मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति दी है।
4. इस यात्रा में कौन-कौन से प्रसिद्ध लोग शामिल होंगे?
अभिनेता संजय दत्त, राजपाल यादव, कई संत और योग गुरु बाबा रामदेव के शामिल होने की संभावना है।
5. यात्रा के दौरान क्या विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं?
यात्रा मार्ग पर ट्रैफिक डायवर्जन, पुलिस तैनाती, ड्रोन निगरानी और भीड़ नियंत्रण की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।









