
राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर में सात दिवसीय “बाल कार्निवाल” ने संवारा किशोरों का आत्मविश्वास
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर, राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर (किशोर) में आयोजित सात दिवसीय बाल कार्निवाल का आज भव्य समापन हुआ। माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद और महिला कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत यह आयोजन 02 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ था।
इस दौरान राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल में रहने वाले किशोरों ने अपनी कला, खेल-कूद, नृत्य, गायन, योग और चित्रकला के माध्यम से अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया।
🎭 गांधी-शास्त्री जयंती से शुरू हुआ उत्सव
02 अक्टूबर को राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल का शुभारंभ गांधी-शास्त्री जयंती के अवसर पर हुआ। उद्घाटन दिवस पर किशोरों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक नाटक का मंचन किया।
नाटक में 08 किशोरों ने हिस्सा लिया, जिसका निर्देशन प्रभारी सहायक अधीक्षक संतोष कुमार गौड़, हरिकरन सिंह, मो. मोनिस, अजीत यादव और संजय नायक ने किया।
इस प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया और राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर के वातावरण में एकता, अहिंसा और प्रेरणा का संदेश गूंज उठा।
🏅 खेल-कूद से लेकर कला तक, हर दिन रहा खास
सात दिनों तक चले इस बाल कार्निवाल गोरखपुर में प्रत्येक दिन कुछ न कुछ विशेष आयोजन हुआ।
03 अक्टूबर को खेल-कूद प्रतियोगिता के अंतर्गत चेस, कैरम और लूडो की प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें 32 किशोरों ने भाग लिया।
इस अवसर पर अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री पंकज श्रीवास्तव, जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री समर बहादुर सरोज और सहायक अध्यापक श्री दुर्गेश्वर राय ने उपस्थित रहकर बच्चों का उत्साहवर्धन किया।
खेलों के बाद, 04 अक्टूबर को नृत्य एवं गायन प्रतियोगिता में 11 किशोरों ने अपनी सृजनात्मकता का प्रदर्शन किया। इन प्रस्तुतियों ने यह साबित किया कि राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर के किशोरों में अपार प्रतिभा छिपी है, जिसे सही मंच मिलने पर उजागर किया जा सकता है।
🎨 चित्रों में उभरी भावनाओं की रंगीन अभिव्यक्ति
06 अक्टूबर को आयोजित पेंटिंग एवं स्केच ड्राइंग प्रतियोगिता ने बच्चों की रचनात्मकता को निखारने का अवसर दिया।
हेमंत कुमार मौर्य, आफताब शेख, अवधनारायण तिवारी और आकाश तिवारी के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में 12 किशोरों ने रंगों के माध्यम से अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारा।
चित्रों में जीवन, संघर्ष, स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की झलक दिखी। इस मौके पर राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल का उद्देश्य स्पष्ट रूप से सामने आया — किशोरों में रचनात्मक सोच को प्रोत्साहन देना।
🧘 योग एवं स्वास्थ्य सत्र से बढ़ा आत्मबल
07 अक्टूबर को योगाचार्य प्रमोद कुमार और अन्य विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में योग एवं मेडिटेशन सत्र का आयोजन किया गया। इसमें 20 किशोरों ने हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान मानसिक शांति, आत्म-नियंत्रण और सकारात्मक सोच पर विशेष बल दिया गया।
इसी दिन राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर में जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों — डॉ. अमित शाही, डॉ. रामेंद्र त्रिपाठी और डॉ. तुषार श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से किशोरों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया।
🏆 सम्मान समारोह में खिले चेहरों की मुस्कान
08 अक्टूबर को राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल का समापन समारोह संपन्न हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में किशोर न्याय बोर्ड, गोरखपुर के माननीय सदस्य श्री शशिभूषण शुक्ल उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. तुषार श्रीवास्तव (चिकित्सक), श्री दुर्गेश्वर राय (शिक्षक) और श्रीमती सुनीता चौहान (सामाजिक कार्यकर्ता) ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
मुख्य अतिथियों ने सात दिनों तक चली प्रतियोगिताओं के विजेताओं को स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक प्रदान किए।
कुल 50 किशोरों को विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया। पुरस्कार पाकर किशोरों के चेहरे खुशी और आत्मविश्वास से चमक उठे।
🌟 “प्रेरणा और सकारात्मकता का मंच है यह आयोजन” — समर बहादुर सरोज
समापन समारोह में जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री समर बहादुर सरोज ने कहा कि राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल जैसे आयोजन न केवल बच्चों की प्रतिभा को उजागर करते हैं, बल्कि उनके मन में सकारात्मक ऊर्जा भी भरते हैं।
उन्होंने कहा —
> “ये किशोर समाज के मुख्यधारा से फिर से जुड़ सकें, इसके लिए ऐसे रचनात्मक आयोजन बेहद आवश्यक हैं। खेल, कला और योग के माध्यम से उनमें आत्मविश्वास और अनुशासन दोनों विकसित होते हैं।”
❤️ बाल कार्निवाल बना आत्मविकास का उत्सव
राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर बाल कार्निवाल केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक सामाजिक पहल थी जिसने यह दिखाया कि उचित मार्गदर्शन मिलने पर हर किशोर अपनी दिशा स्वयं तय कर सकता है।
यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि सरकारी संस्थान भी संवेदनशीलता, शिक्षा और संस्कृति के माध्यम से किशोरों के जीवन में नई रोशनी जगा सकते हैं।
