हरियाणा के पानीपत और सोनीपत जिलों को दहला देने वाली चार मासूम बच्चों की निर्मम हत्या के मामले में आरोपी पूनम साक्ष्यों और परिस्थितियों के घेरे में भले पूरी तरह फंस चुकी हो, लेकिन उसके साइको बनने के पीछे की असली वजह आज भी पुलिस के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। पुलिस की शुरुआती गंभीर चूक ने मामले को और उलझा दिया है। अपराध और मानसिक विकृति का यह संगम न सिर्फ समाज को झकझोर रहा है, बल्कि यह भी सवाल उठा रहा है कि क्या पुलिस और जांच एजेंसियों ने इस मामले को शुरू से सही दिशा में लिया या जल्दबाजी में सबूतों के आधार पर कागज बंद कर दिए।
दावा किया गया कि पुलिस के पास हत्या के पुख्ता सुबूत थे, लेकिन आरोपी के दिमाग में चल रहे खतरनाक और विचित्र मनोविज्ञान को समझने की जरूरत शायद महसूस ही नहीं की गई। न ही मनोचिकित्सक की काउंसलिंग करवाई गई और न ही यह जानने की कोशिश की गई कि वह बच्चों की हत्यारी क्यों बनी। परिणामस्वरूप जिस मामले को आसान समझा गया था, अब वही पुलिस के सामने कई जटिल सवाल खड़े कर रहा है।
पहली डबल मर्डर से शुरू हुआ खून का सिलसिला
13 जनवरी 2023 — इस तारीख ने पहली बार हत्यारिन पूनम के अंदर के सन्नाटे को बाहर निकाला। सोनीपत के भावड़ गांव में उसने अपनी ही भांजी इशिका और बेटे शुभम को पानी के हौद में डुबोकर मार डाला। यह इतनी चालाकी और शातिर अंदाज में किया गया कि परिवार को महीनों तक शक तक नहीं हुआ। उसने मानसिक बीमारी का नाटक कर माहौल को भटका दिया और चालाकी से सहानुभूति भी बटोरती रही।
18 अगस्त 2025 को सिवाह गांव स्थित मायके में फिर वही काली परछाई लौट आई। इस बार शिकार बनी चचेरे भाई दीपक की बेटी जिया। उसी वर्ष 1 दिसंबर को नौल्था शादी समारोह के दौरान उसने अपने जेठ की बेटी विधि की पानी के टब में डुबोकर हत्या कर दी। लगातार तीन स्थान, चार बच्चे — और हर बार वही पैटर्न, वही शांति, वही मासूम लक्ष्य।
टूटी कड़ियां और पुलिस की शुरुआती चूक
पानीपत एसपी भूपेंद्र सिंह ने तीन दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा करते हुए दावा किया कि पूनम को सुंदर बच्चियों से चिढ़ थी और वह साइको है। लेकिन जब पुलिस इतनी बड़ी मनोवैज्ञानिक क्रिमिनल मोटिव पर पहुंच चुकी थी, तो उसकी मानसिक स्थिति की मेडिकल जांच क्यों नहीं कराई गई, यह सवाल आज भी बरकरार है। अदालत में भी पुलिस ने कहा कि “सभी साक्ष्य पूरे हैं”, जबकि मानसिक उद्देश्य ही इस पूरी श्रृंखला का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था।
कपड़ों के बहाने के कई झूठ — शक वहीं से गहरा हुआ
नौल्था में विधि की हत्या के बाद पूनम के कपड़े पूरी तरह भीग गए थे। जब एक बच्ची ने पूछा तो उसने कहा — “मासिक धर्म की वजह से बदलने पड़े।” पर जब दूसरी महिला ने वही सवाल किया तो बोली — “बच्ची को नहलाते समय कपड़े भीग गए।” एक ही घटना के दो अलग कारण — और यहीं से शक की शुरुआत हुई। जब वह लौटी तो उसकी साड़ी गीली थी और आंखों में अजीब, खामोश संतोष दिख रहा था।
पति नवीन की जुबानी — “यह सब कहानी थी”
पति नवीन ने बताया कि पूनम अक्सर अपनी मां से घंटों फोन पर बात करती रहती थी, और हर हत्या से पहले जैसे कुछ प्लान किया होता था। उसने इशिका की मौत के दर्द में खुद को ऐसे डुबोया जैसे वह सबसे ज्यादा टूट गई हो, लेकिन भीतर ही भीतर वह अपनी ही रची कहानी को और परिपक्व कर रही थी। परिवार को यह संदेह तक नहीं हुआ कि जिसने भांजी को मारा वही मां अपने बेटे को भी मार देगी। नवीन अपने बेटे शुभम को चंडीगढ़ और जींद तक इलाज के बहाने ले गया — पर डॉक्टर भी असली कहानी नहीं समझ सके।
अब नया शिकंजा — प्रोडक्शन वारंट पर फिर पूछताछ
1 दिसंबर 2025 की कातिल रात का सच सामने आने के बाद अब सोनीपत पुलिस पूनम को प्रोडक्शन वारंट पर फिर रिमांड में लेने की तैयारी कर चुकी है। बरोदा थाना पुलिस 16 दिसंबर को अदालत में अर्जी दाखिल करेगी। मंजूरी मिलते ही पूनम से उसके पहले जुर्म — बेटे शुभम और भांजी इशिका की हत्या — पर गहन पूछताछ की जाएगी।
एफएसएल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, शादी समारोह का वीडियो, महिलाओं के बयान और पूनम के स्वीकारोक्ति बयान — पुलिस के पास सब है, मगर उसके “मन के भीतर का कारण” अब भी अंधेरे में है। आखिर एक शिक्षित महिला, राजनीति शास्त्र में एमए, जिसमें मातृत्व और कोमलता का भाव सबसे मजबूत होना चाहिए — वह कैसे निर्ममता, ईर्ष्या और मनोवैज्ञानिक हिंसा का प्रतिरूप बन गई?
समाज के सामने अब भी अनुत्तरित सवाल
क्या पूनम जन्मजात साइको थी?
या वह मानसिक आक्रोश, तुलना और असुरक्षा से इतनी घिर गई थी कि सुंदर मासूम बच्चियां उसे असहनीय लगने लगीं?
क्या कोई पुराना ट्रॉमा था?
या यह सिर्फ ध्यान आकर्षित करने की बीमारी थी?
इन सवालों का जवाब तभी मिल सकता था, जब वैज्ञानिक तरीके से मनोवैज्ञानिक जांच होती — लेकिन अब शायद बहुत देर हो चुकी है।
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पूनम को “साइको” क्यों बताया गया?
उसमें सुंदर बच्चियों के प्रति जलन और हिंसक प्रवृत्ति पाई गई। लेकिन पूरी मानसिक जांच न होने के कारण असली कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
पहली हत्या कब और कहां की गई थी?
13 जनवरी 2023 को सोनीपत के भावड़ गांव में अपनी भांजी इशिका और बेटे शुभम की हत्या की गई थी।
उस पर कुल कितनी हत्याओं का आरोप है?
पूनम पर चार मासूमों की हत्या का आरोप है — इशिका, शुभम, जिया और विधि।
क्या पुलिस ने मनोचिकित्सक से जांच करवाई?
नहीं, पुलिस ने ऐसा जरूरी नहीं समझा और सीधे कोर्ट में सभी साक्ष्य पूरे होने की बात कह दी।
क्या आगे और पूछताछ होगी?
हां। सोनीपत पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर फिर पूछताछ करेगी ताकि पहले डबल मर्डर के मामले में पूरा सच सामने आ सके।
📌 यह रिपोर्ट पूरी तरह पत्रकारिता उद्देश्यों के लिए तैयार की गई है।






