मिले सुर मेरा तुम्हारा : आजम खान और अखिलेश यादव की लखनऊ में मुलाकात से बढ़ी सियासी गर्मी

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात में उनके छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे। लगभग 45 मिनट चली इस बातचीत ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।

यह मुलाकात इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि कुछ ही समय पहले तक आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्तों में दरार की खबरें सामने आई थीं। सीतापुर जेल से रिहाई के बाद आजम खान के कई बयान ऐसे आए जिनसे यह माना गया कि उनके और अखिलेश यादव के बीच मतभेद गहरे हो चुके हैं। लेकिन अब दोनों नेताओं की यह लखनऊ मुलाकात समाजवादी परिवार में मेल-मिलाप का संकेत देती दिख रही है।

आजम खान ने कहा – “कुछ लोग अब भी जिंदा हैं”

मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में आजम खान ने कहा, “मेरे आने का मकसद बस यही था कि लोगों को बता सकूं कि आज भी इस धरती पर कुछ लोग जिंदा हैं।” आजम खान के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में कई संकेत छोड़े हैं। यह बयान न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है बल्कि यह भी बताता है कि वह अब सक्रिय राजनीति में दोबारा जोरदार वापसी के मूड में हैं।

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वहीं, अखिलेश यादव ने भी मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “न जाने कितनी यादें संग ले आए, जब वो आज हमारे घर पर आए! ये जो मेल-मिलाप है, यही हमारी साझा विरासत है।” इस पोस्ट से साफ है कि अखिलेश भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ रिश्तों को मजबूत करने के इच्छुक हैं।

स्टार प्रचारक लिस्ट में नाम होने के बावजूद बिहार नहीं गए आजम खान

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। समाजवादी पार्टी ने अपनी स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी जिसमें आजम खान का नाम भी शामिल था। इसके बावजूद आजम खान अब तक बिहार प्रचार के लिए नहीं गए हैं।

जब आजम खान से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में जवाब दिया, “स्टार होता तो जाता।” उनके इस बयान को कई राजनीतिक विश्लेषक सपा के अंदर चल रही रणनीतिक खींचतान से जोड़कर देख रहे हैं।

बिहार ना जाने की वजह खुद बताई आजम खान ने

आजम खान ने कहा, “बिहार में बादशाह से लेकर वजीर तक यही कह रहे हैं कि वहां जंगलराज है। जंगल में इंसान नहीं रहते। अगर मैं अकेला वहां जाऊंगा तो खतरा बढ़ जाएगा। मैं जबर्दस्ती रेल की पटरी पर सिर नहीं रखूंगा।”

उन्होंने आगे कहा, “लोग कह रहे हैं कि बिहार में बदलाव आने वाला है। जब जनता बदलाव चाहती है तो बदलाव जरूर आता है।” इस बयान से स्पष्ट है कि आजम खान बिहार चुनाव को लेकर बेहद सतर्क हैं और बिना उचित माहौल के प्रचार में उतरने से बचना चाहते हैं।

अखिलेश यादव से मिलने से पहले रखी थी एक शर्त

जब खबर आई थी कि अखिलेश यादव रामपुर जाकर आजम खान से मिलने वाले हैं, तब आजम खान ने एक शर्त रखी थी — कि वह अखिलेश यादव से अकेले में बात करेंगे, इस दौरान परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं रहेगा। हालांकि, इस बार जब आजम खान लखनऊ पहुंचे, तो उनके साथ उनके छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम भी मौजूद रहे।

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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह मुलाकात केवल सौजन्य नहीं थी, बल्कि इसमें आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की रणनीति पर भी चर्चा हुई होगी।

AIMIM चीफ ओवैसी से आजम खान की दरख्वास्त

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लेकर आजम खान ने कहा, “मेरी उनसे दरख्वास्त है कि हम पर रहम करें, हमारी बर्बादी का इंतज़ाम न करें। हम उनको अल्लाह का वास्ता देते हैं।”

आजम खान के इस बयान को सियासी विशेषज्ञ मुस्लिम वोट बैंक के संदर्भ में देख रहे हैं। ओवैसी की सक्रियता से सपा को नुकसान का डर है और आजम खान की यह अपील इसी चिंता को दर्शाती है।

2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर आजम खान का दावा

आजम खान ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर कहा, “उस वक्त किसी रणनीति की जरूरत नहीं होगी। जब हम जैसे लोग दामन फैलाएंगे तो आंसुओं से भर जाएगा। बहुत साथ मिलेगा। यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं, हकीकत है।”

उनके इस बयान को सपा कार्यकर्ता पार्टी की मजबूती और जनसमर्थन के प्रति विश्वास के रूप में देख रहे हैं। यह संकेत भी है कि आजम खान अब पार्टी की मुख्यधारा में सक्रिय भूमिका निभाने वाले हैं।

राजनीतिक समीकरण और सपा की अंदरूनी रणनीति

विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश यादव और आजम खान की मुलाकात न केवल रिश्तों में आई दरार को पाटने का प्रयास है बल्कि यह सपा के अंदर एकता और पुनर्गठन की दिशा में बड़ा कदम है। रामपुर, सीतापुर और लखनऊ के घटनाक्रम अब एक नई सियासी पटकथा लिख रहे हैं।

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अगर यह मेल-मिलाप आगे भी बरकरार रहता है, तो समाजवादी पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं और पुराने समर्थक वर्ग से फिर से बड़ा लाभ मिल सकता है। यह 2027 की तैयारी के लिहाज से बेहद अहम है।

आजम खान और अखिलेश यादव की मुलाकात सिर्फ दो नेताओं के मिलने की खबर नहीं है, बल्कि यह सपा के पुनर्संगठन की शुरुआत का संकेत है। बिहार चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव 2027 दोनों ही के लिए यह मुलाकात एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे रही है।

सवाल-जवाब (FAQ)

आजम खान और अखिलेश यादव की मुलाकात कहां हुई?

यह मुलाकात लखनऊ में अखिलेश यादव के आवास पर हुई जहां आजम खान अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ पहुंचे थे।

मुलाकात कितनी देर चली?

दोनों नेताओं के बीच लगभग 45 मिनट तक बातचीत हुई जिसमें राजनीतिक और निजी मुद्दों पर चर्चा हुई।

क्या आजम खान बिहार चुनाव में प्रचार करने जाएंगे?

फिलहाल उन्होंने कहा है कि “स्टार होता तो जाता”, जिससे संकेत मिलता है कि वे इस बार बिहार प्रचार से दूरी बनाए रख सकते हैं।

2027 विधानसभा चुनाव पर आजम खान का क्या कहना है?

उन्होंने कहा कि उस समय किसी रणनीति की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि जनता खुद साथ देगी — यह उनका आत्मविश्वास दर्शाता है।

AIMIM चीफ ओवैसी को लेकर आजम खान ने क्या कहा?

उन्होंने ओवैसी से अपील की कि वे सपा को नुकसान पहुंचाने की राजनीति न करें और मुस्लिम एकता को मजबूत बनाएं।


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