एक ने मारा बल्ला तो दूसरे ने कुल्हाड़ी से काटा ; सनसनीखेज हत्याकांड में कातिलों का खौफनाक कबूलनामा

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
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गोरखपुर/गोरखपुर समाचार डेस्क।

गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूरजकुंड मोहल्ले में रहने वाले 20 वर्षीय अंबुज मणि त्रिपाठी उर्फ रीशू की
हत्या ने पूरे शहर को दहला दिया है। शुरुआत में यह मामला एक साधारण लापता युवक की रहस्यमय गुमशुदगी जैसा दिख रहा था,
लेकिन पुलिस जांच आगे बढ़ी तो ऐसी परतें खुलीं, जिन्होंने दोस्ती, सोशल मीडिया की चमक-दमक और गैंगस्टर लाइफस्टाइल के काले खेल को बेनकाब कर दिया। अब पुलिस की जांच में जो सच सामने आया है, उसने न केवल अंबुज के परिवार को झकझोर दिया है, बल्कि शहर के उन परिवारों के लिए भी चेतावनी की घंटी बजा दी है, जिनके बच्चे अंधी नकल और दिखावे के चक्कर में गलत राह पकड़ रहे हैं।

पुलिस ने इस जघन्य हत्या के मामले में अंबुज के ही करीबी साथियों आयुष और सदरे आलम को गिरफ्तार कर लिया है।
पूछताछ में दोनों ने जो कुछ कबूल किया, उसने पूरे केस की तस्वीर साफ कर दी। दोनों आरोपियों के मुताबिक,इस सनसनीखेज हत्याकांड की पूरी साजिश उनके मित्र बिट्टू उर्फ अहमद खान ने रची थी, जिसे अब पुलिस
इस गैंग का मास्टरमाइंड मानकर तलाश कर रही है। हत्या की रात रुपये के लेन-देन और पुराने विवाद को लेकर शुरू हुई कहासुनी, धीरे-धीरे खूनी खेल में बदल गई और कुछ ही मिनटों में एक जिंदादिल युवक की सांसें हमेशा के लिए थम गईं।

बहाने से बुलाया, पहले बेसबॉल बल्ला चला, फिर धारदार कुल्हाड़ी से वार

पुलिस के अनुसार, घटना की रात अंबुज अपने दोस्तों बिट्टू उर्फ अहमद खान, आयुष और सदरे आलम के साथ था। तीनों पहले से ही अवैध असलहों, गैंगस्टर स्टाइल और सोशल मीडिया पर अपनी दबंग छवि दिखाने के लिए बदनाम थे।
शुरुआती बयान के अनुसार, आपसी लेन-देन और कुछ समय से चले आ रहे विवाद को लेकर चारों के बीच तीखी नोकझोंक हो गई।
इसी बहस के दौरान बात इतनी बढ़ी कि बिट्टू ने अपने पास रखा बेसबॉल का बल्ला उठाया और अंबुज के सिर पर जोर से प्रहार कर दिया। अचानक हुए इस हमले से अंबुज जमीन पर जा गिरा और संभल भी नहीं पाया कि कहानी और भी खौफनाक हो गई।

जैसे ही अंबुज बेखुदी की हालत में जमीन पर गिरा, पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि आयुष ने उसके गले पर धारदार हथियार से लगातार वार कर दिए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंबुज के सिर पर गंभीर चोट और गले पर गहरे कट के निशान की पुष्टि भी हुई है, जो बताए गए घटनाक्रम से पूरी तरह मेल खाती है। पुलिस का कहना है कि तीनों आरोपियों ने मिलकर यह पूरा प्लान पहले से तैयार किया था, ताकि विवाद की स्थिति में अंबुज को सबक सिखाने के नाम पर रास्ते से हटाया जा सके, और बाद में उसके शव को हटाकर मामला दबा दिया जाए।

हत्या के बाद घबराए कातिल, कार में रखकर शव ठिकाने लगाने की साजिश

आयुष और सदरे आलम ने अपने कबूलनामे में यह भी स्वीकार किया कि वारदात के बाद वे घबरा गए थे। अंबुज की निश्चल लाश उनके सामने पड़ी थी और चारों ओर खून फैला था। ऐसे में खुद को बचाने के लिए उन्होंने नई साजिश रच डाली। पूछताछ में सामने आया है कि सदरे आलम ने अपनी कार मंगाई और तीनों ने मिलकर अंबुज के शव को कार में रखकर गोरखपुर से बाहर ले जाने का फैसला किया। योजना यह थी कि शव को दूसरे जिले में फेंककर मामले को रहस्यमय बनाकर दबा दिया जाए, ताकि पुलिस गुमराह हो जाए और हत्या के पीछे की असली कहानी तक जल्दी न पहुंच सके।

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आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे कार से शव को महाराजगंज की ओर ले गए और सुनसान इलाके में ठिकाने लगाने की कोशिश की। हालांकि पुलिस ने मामले को हल्के में नहीं लिया। जब अंबुज की गुमशुदगी और संदिग्ध परिस्थितियों की जानकारी मिली तो तुरंत तकनीकी व मानवीय दोनों स्तरों पर जांच शुरू कर दी गई। मोबाइल लोकेशन से लेकर सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल्स खंगाले गए। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर पुलिस की नजर आयुष और सदरे आलम पर टिक गई और आखिरकार दोनों को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ शुरू की गई।

कड़ाई से पूछताछ में टूटा सच, शव बरामद कराई, लेकिन मास्टरमाइंड बिट्टू अब भी फरार

पुलिस ने जब आयुष को कस्टडी में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो वह ज्यादा देर तक दबाव झेल नहीं पाया और टूट गया।
उसने एक-एक कर पूरी कहानी बयां कर दी। आयुष ने यह भी बताया कि किस तरह सदरे आलम के साथ मिलकर उन्होंने महाराजगंज में अंबुज के शव को फेंका था। आयुष की निशानदेही पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अंबुज का शव बरामद कर लिया गया।
इसी के साथ एक गुमशुदगी का मामला क्रूर हत्या के सनसनीखेज केस में बदल गया। सदरे आलम ने भी पूछताछ में वही घटनाक्रम दोहराया और स्वीकार किया कि हत्या की साजिश में वह भी शामिल था।

हालांकि इस पूरे प्रकरण का कथित मास्टरमाइंड बिट्टू उर्फ अहमद खान अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
पुलिस का दावा है कि बिट्टू को पकड़ने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है, उसकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है और उसके संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दी जा रही है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी के अनुसार, यह सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित गैंग की मानसिकता और उनके फैलते नेटवर्क से जुड़ा गंभीर अपराध है,जिसे जड़ से खत्म करना पुलिस की प्राथमिकता है।

सोशल मीडिया पर ‘एक्स मैन’ की पहचान, गैंगस्टर इमेज और हथियारों की नुमाइश

पुलिस जांच में जो एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया, उसने इस केस को सिर्फ आपसी रंजिश या लेन-देन के विवाद से आगे बढ़ाकर सोशल मीडिया की खतरनाक दुनिया तक पहुंचा दिया है। जानकारी के मुताबिक, अवैध असलहों से लेकर स्थानीय गैंगस्टर गतिविधियों से जुड़े बिट्टू उर्फ अहमद खान ने खुद को सोशल मीडिया पर ‘एक्स मैन’ के नाम से पेश कर रखा था। इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर वह इसी नाम से कई असली और फर्जी आईडी चलाता था।

इन अकाउंट्स पर बिट्टू ने हथियारों के साथ अपनी तस्वीरें, गैंग के लड़कों के साथ बनाए गए रील्स, बाइक और कार के स्टंट वाले वीडियो और धमकी भरे पोस्ट शेयर कर रखे थे। कुछ समय पहले उसके जन्मदिन का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह कार की बोनट पर रखे केक को कुल्हाड़ी से काटता हुआ दिख रहा था। यही वीडियो उसकी ‘एक्स मैन’वाली पहचान का आधार बन गया। धीरे-धीरे यह नाम उसके पूरे गैंग की पहचान बन गया और आसपास के किशोर व युवा लड़कों के बीच एक तरह का गलत आकर्षण पैदा करने लगा।

‘कुल्हाड़ी बाबा’ बन गया अंबुज, गैंगस्टर स्टाइल की नक़ल से पहुंचा मौत के मुहाने

पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिट्टू की इसी बनावटी ‘एक्स मैन’ छवि से प्रभावित होकर अंबुज मणि त्रिपाठी ने भी सोशल मीडिया पर अपना एक अलग खतरनाक अवतार गढ़ना शुरू कर दिया था। उसने अपने अकाउंट पर खुद को ‘कुल्हाड़ी बाबा’ के नाम से पेश किया और कुल्हाड़ी, स्टंट और दबंग अंदाज वाले पोस्ट शेयर करने लगा। शुरुआत में यह सब एक तरह का दिखावा और दोस्ती में फैशन या मजाक जैसा लगा होगा, लेकिन वक्त के साथ यह वर्चुअल इमेज उनके वास्तविक व्यवहार और गैंगस्टर मानसिकता को भी प्रभावित करने लगी।

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पुलिस का मानना है कि सोशल मीडिया पर हथियारों के प्रदर्शन और ‘फॉलोअर्स बढ़ाने’ की होड़ में ये लड़के धीरे-धीरे असल दुनिया में भी वैसा ही व्यवहार करने लगे। छोटे-मोटे झगड़े अब सिर्फ बहस तक सीमित नहीं रहते, बल्कि हाथ में लिए गए असलहों और धारदार हथियारों से निपटाए जाने लगे। ऐसे में लेन-देन के विवाद और आपसी अहंकार ने मिलकर अंबुज जैसे युवक की जान ले ली, जो खुद भी इस खतरनाक खेल में एक गलत दिशा में
काफी आगे निकल चुका था।

मोहल्ले का साधारण लड़का से गैंग नेटवर्क तक : बिट्टू उर्फ अहमद खान की कहानी

पुलिस जांच में सामने आया है कि बिट्टू उर्फ अहमद खान मूल रूप से तारामंडल क्षेत्र से सटे एक मोहल्ले का रहने वाला है। उसका परिवार कभी सामान्य आर्थिक स्थिति वाला माना जाता था, लेकिन किशोरावस्था में ही वह स्थानीय बदमाशों के संपर्क में आ गया। बताया जाता है कि दसवीं कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और मारपीट, गाली-गलौज और अवैध असलहों के संपर्क में रहने लगा। उसके खिलाफ पहले भी मारपीट और धमकी जैसे कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, हालांकि वे अपेक्षाकृत छोटे स्तर के थे।

हाल के वर्षों में बिट्टू का जुड़ाव शहर के कुख्यात ‘पंडित नेटवर्क’ से हुआ, जिसे अवैध हथियारों और पैसों के बड़े संचालक के रूप में देखा जाता है। पुलिस का अनुमान है कि बिट्टू इसी नेटवर्क के लिए फ्रंटमैन का काम करता था – यानी सामने से गैंग को संभालता, युवाओं को तैयार करता, सोशल मीडिया पर गैंग की छवि बनाता
और लेन-देन, धमकी व उगाही जैसे कामों में सक्रिय भूमिका निभाता। यही वजह है कि पुलिस अब केवल अंबुज हत्या
मामले में ही नहीं, बल्कि बिट्टू के पूरे आपराधिक इतिहास और उसके गैंग के नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है।

कम उम्र के लड़कों पर शिकंजा: गैंग का टारगेट ‘अच्छे परिवारों के युवा’

जांच में यह भी सामने आया कि बिट्टू का गैंग खास तौर पर कम उम्र के लड़कों पर अपनी पकड़ मजबूत करता था।
आयुष और सदरे आलम जैसे साथी अपेक्षाकृत अच्छे परिवारों से आते थे, लेकिन गैंग में शामिल होने के बाद उनका झुकाव भी अपराध की ओर बढ़ता चला गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गैंग पहले ऐसे युवाओं को दोस्ती, मौज-मस्ती, बड़ी बाइक, महंगे मोबाइल और ‘स्टेटस’ का लालच देकर अपने जाल में फंसाता था।

धीरे-धीरे इन युवाओं को छोटे-मोटे झगड़ों, धमकी देने, मारपीट और अवैध असलहों की खरीद-फरोख्त में इस्तेमाल किया जाने लगा। सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ उनकी तस्वीरें शेयर की गईं, गैंग की लाइफस्टाइल का
दिखावा किया गया, ताकि नए लड़के भी प्रभावित होकर जुड़ते जाएं। पुलिस को शक है कि इस गैंग में फिलहाल 40 से अधिक लड़के सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हो सकते हैं। यही कारण है कि जांच एजेंसियां अब सिर्फ तीन नामों पर नहीं रुकी हैं, बल्कि पूरे नेटवर्क की तह तक जाने की कोशिश में जुटी हैं।

पुलिस का सख्त रुख : तकनीकी साक्ष्यों से लेकर गैंग की जड़ों तक जांच

इस हत्याकांड ने स्थानीय पुलिस को भी झकझोर दिया है। अफसरों का कहना है कि यह सिर्फ एक युवक की हत्या नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर पनपती क्रिमिनल ब्रांडिंग और गैंग कल्चर की भयावह तस्वीर है।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने स्पष्ट किया है कि तीनों आरोपियों ने लेन-देन के विवाद के बाद अंबुज की हत्या की। दो आरोपियों – आयुष और सदरे आलम – को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि तीसरा आरोपी बिट्टू उर्फ अहमद खान फरार है और उसकी तलाश में निरंतर दबिश जारी है।

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पुलिस की विशेष टीमें बिट्टू की लोकेशन ट्रेस कर रही हैं, उसके पुराने संपर्कों, रिश्तेदारों और
संभावित ठिकानों पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, उसके सोशल मीडिया अकाउंट, फोन रिकॉर्ड, बैंक लेन-देन और आपराधिक नेटवर्क से जुड़े लोगों की भी गहन जांच की जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होगा और उसके जरिए इस पूरे गैंग के कई अन्य राज भी सामने आ सकते हैं।

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा, “तीन आरोपियों ने लेन-देन के विवाद के बाद अंबुज की हत्या की थी।
दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि एक आरोपी की तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है। जल्द ही आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होगा।”


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न 1: अंबुज मणि त्रिपाठी उर्फ रीशू की हत्या कहां के मामले से जुड़ी है?

यह मामला गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूरजकुंड निवासी 20 वर्षीय अंबुज मणि त्रिपाठी उर्फ
रीशू की हत्या से जुड़ा है। अंबुज को उसके ही कथित दोस्तों ने साजिश के तहत मौत के घाट उतार दिया
और बाद में उसका शव गोरखपुर से बाहर महाराजगंज क्षेत्र में ठिकाने लगाने की कोशिश की गई।

प्रश्न 2: इस हत्याकांड में किन-किन आरोपियों के नाम सामने आए हैं?

पुलिस की जांच में तीन मुख्य नाम सामने आए हैं – बिट्टू उर्फ अहमद खान, आयुष और सदरे आलम।
आयुष और सदरे आलम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बिट्टू उर्फ अहमद खान फरार है।
पुलिस उसे इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड मानकर तलाश कर रही है।

प्रश्न 3: हत्या की वारदात को कैसे अंजाम दिया गया?

पुलिस के मुताबिक, रुपये के लेन-देन और पुराने विवाद को लेकर दोस्तों के बीच कहासुनी हुई।
इसी दौरान बिट्टू उर्फ अहमद खान ने बेसबॉल बल्ले से अंबुज के सिर पर जोरदार वार किया।
अंबुज के जमीन पर गिरते ही आयुष ने उसके गले पर धारदार हथियार से वार कर दिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर और गले पर गंभीर चोटों की पुष्टि हुई है।

प्रश्न 4: सोशल मीडिया पर ‘एक्स मैन’ और ‘कुल्हाड़ी बाबा’ की क्या भूमिका है?

बिट्टू उर्फ अहमद खान सोशल मीडिया पर ‘एक्स मैन’ के नाम से फर्जी और असली कई आईडी चलाता था,
जिन पर वह हथियारों, गैंग के लड़कों और स्टंट वाले वीडियो पोस्ट करता था। इसी से प्रभावित होकर
अंबुज ने खुद को ‘कुल्हाड़ी बाबा’ के नाम से पेश किया और धमकी भरे पोस्ट शेयर करने लगा।
पुलिस का मानना है कि इस तरह की गैंगस्टर इमेज ने युवाओं को अपराध की राह पर धकेलने में बड़ी भूमिका निभाई।

प्रश्न 5: पुलिस इस मामले में आगे क्या कार्रवाई कर रही है?

पुलिस ने आयुष और सदरे आलम को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ के आधार पर अंबुज का शव बरामद कर लिया है।
बिट्टू उर्फ अहमद खान की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बनाई गई है, जो उसकी लोकेशन, सोशल मीडिया,
पुराने आपराधिक रिकॉर्ड और गैंग नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही
बिट्टू को गिरफ्तार कर इस पूरे गिरोह के और भी राज खोले जाएंगे।

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