हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
सीपत। एनटीपीसी सीपत के 51वें स्थापना दिवस पर जहां संयंत्र परिसर रोशनी और जश्न में डूबा था, वहीं बाहर के गांवों में अंधेरे, उपेक्षा और असंतोष का माहौल बना हुआ है। जिला पंचायत सदस्य एवं सीपत ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र धीवर ने गुरुवार को सीपत प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में एनटीपीसी प्रबंधन पर तीखा हमला बोला।
धीवर ने कहा कि एनटीपीसी की चमक सिर्फ उसकी कॉलोनी की दीवारों तक सीमित है, जबकि बाहर के गांवों में राख, टूटी सड़कें और बेरोजगारी की धूल उड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी ने विकास के नाम पर केवल दिखावा किया है, जबकि असली विकास प्रभावित गांवों तक कभी नहीं पहुंचा।
प्रभावित गांवों में विकास की जगह विनाश
राजेन्द्र धीवर ने कहा कि सीपत, जांजी, कौड़िया, देवरी, रलिया, कर्रा और गतौरा जैसे मुख्य प्रभावित ग्राम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। न सड़कें सुधरीं, न जल निकासी की व्यवस्था हुई और न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला। पाइपलाइन और रेललाइन से प्रभावित ग्रामों के लोग अब भी विकास की बाट जोह रहे हैं।
धीवर ने उठाए आठ बड़े सवाल, एनटीपीसी प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया
- स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
- राखड़ डेम से उड़ते धूल और प्रदूषण पर रोक लगाई जाए।
- दलदल प्रभावित किसानों को समय पर मुआवजा दिया जाए।
- कचरा प्रबंधन की अव्यवस्था को तत्काल दुरुस्त किया जाए।
- घटिया निर्माण करने वाली ठेकेदार कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
- स्थानीय मजदूरों के शोषण पर रोक लगाई जाए।
- सीएसआर फंड की राशि वास्तव में स्थानीय विकास पर खर्च की जाए।
- सड़कों की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी रखी जाए।
अब जनता बोलेगी — राख नहीं, हक चाहिए
धीवर ने बताया कि सीपत कांग्रेस कमेटी, प्रभावित गांवों के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर एनटीपीसी के स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार शाम 7 बजे सीपत के नवाडीह चौक में कैंडल मार्च आयोजित करेगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने हक की लड़ाई लड़े।
धीवर ने सवाल उठाया — “आखिर 25 साल की रोशनी में भी आसपास के गांव क्यों अंधेरे में हैं?”






