सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग 353 पर ठप निर्माण : आखिर कब मिलेगा सफर का सुकून?

गढ़चिरौली जिले के सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग 353 पर गड्ढों और पानी से भरी जर्जर सड़क, वाहनों के आवागमन में परेशानी

 सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग 353 पर फिर वही हालात… आखिर कब बनेगी सड़क?

समाचार दर्पण 24.कॉम की टीम में जुड़ने का आमंत्रण पोस्टर, जिसमें हिमांशु मोदी का फोटो और संपर्क विवरण दिया गया है।
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सदानंद इंगीली की रिपोर्ट

गढ़चिरौली: महाराष्ट्र के दक्षिणी छोर पर स्थित सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग 353 एक बार फिर सुर्खियों में है। चार साल से जारी निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है। ठेकेदार की धीमी गति और विभागीय लापरवाही के कारण यह सड़क नागरिकों के लिए मुसीबत का मार्ग बन चुकी है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर मानसून में यह सड़क कीचड़, गड्ढों और दलदल में तब्दील हो जाती है। वाहनों का फंसना आम बात है। लोगों को अस्पताल, स्कूल या आवश्यक सेवाओं तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं।

चार साल से जारी निर्माण, लेकिन मंज़िल अब भी दूर

गढ़चिरौली जिला प्रतिनिधि श्री सदानंद इंगिली के अनुसार, इस राजमार्ग 353 का काम पिछले चार से पाँच वर्षों से चल रहा है, लेकिन इसकी प्रगति कछुआ चाल में है।

जहाँ एक ओर कुछ जगहों पर 5-10 किलोमीटर सड़क तैयार दिखती है, वहीं दूसरी ओर कई किलोमीटर अभी भी मिट्टी और धूल का मैदान बने हुए हैं।

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स्थानीय लोगों का तंज है कि “अगर इसी गति से काम चलता रहा, तो सिरोंचा-अलापल्ली सड़क पूरी होने में एक दशक लग जाएगा।”

🏗️ ठेकेदार और विभाग दोनों के रवैये पर उठे सवाल

नागरिकों ने ठेकेदार के साथ-साथ राजमार्ग विभाग के अधिकारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का कहना है कि काम की मॉनिटरिंग बिल्कुल नहीं हो रही।

सड़क निर्माण में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी, समयसीमा में निरंतर बढ़ोत्तरी, और अनियोजित निर्माण कार्य ने पूरे प्रोजेक्ट को ठप कर दिया है।

स्थानीय ग्रामवासियों की माँग है कि इस मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर वर्षों से करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़क अधूरी क्यों है।

🌧️ मानसून में जान हथेली पर रखकर सफर

हर साल मानसून के आते ही सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग यातायात के लिए खतरा बन जाता है। गड्ढों से भरी सड़क पर सफर करना मानो मौत को दावत देना हो।

जिला प्रशासन मानसून के दौरान इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी लगाता है, लेकिन छोटे वाहन चालक और ग्रामीणों को मजबूरी में उसी खतरनाक रास्ते से गुजरना पड़ता है।

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कई बार एम्बुलेंस और स्कूल बसें भी बीच रास्ते फँस जाती हैं, जिससे गंभीर हादसे टलते-टलते रह जाते हैं।

🌉 मेदाराम पुल अधूरा, दो राज्यों की कड़ी टूटी

सिरोंचा से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित मेदाराम पुल अब प्रतीक बन गया है अधूरे वादों का। इस पुल का निर्माण वर्षों पहले शुरू हुआ था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका।

यह पुल तेलंगाना और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले मार्ग का अहम हिस्सा है। पुल के अधूरे होने से दोनों राज्यों के बीच व्यापार और परिवहन पर बुरा असर पड़ा है।

स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि बारिश में पुल पार करना असंभव हो जाता है, जिससे माल ढुलाई ठप हो जाती है।

🧱 हर साल बढ़ती समयसीमा और अधूरा वादा

इस राजमार्ग निर्माण परियोजना की शुरुआत बड़े वादों के साथ हुई थी — बेहतर सड़क, तेज़ यातायात और क्षेत्रीय विकास का सपना दिखाया गया था। लेकिन हकीकत में हर साल केवल 10 किलोमीटर सड़क ही बन पाती है।

वह भी आधी-अधूरी और गुणवत्ता रहित।

इस बीच, कई जगह पहले से बनी सड़कों को दोबारा खोदकर नया काम शुरू कर दिया गया है। इससे नागरिकों का धैर्य जवाब दे रहा है।

📢 नागरिकों की मांग — “अब ठोस कार्रवाई हो”

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने गढ़चिरौली जिला प्रशासन से मांग की है कि इस परियोजना की केंद्रीय स्तर पर जांच कराई जाए।

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उनका कहना है कि जब तक किसी उच्च स्तरीय एजेंसी की निगरानी नहीं होगी, तब तक ठेकेदार और विभाग के अधिकारी अपनी मनमानी जारी रखेंगे।

🕯️ जनता का सवाल — आखिर कब बनेगी सिरोंचा-अलापल्ली सड़क?

गढ़चिरौली जिले के नागरिकों की एक ही मांग है — “हम सड़क नहीं, जिंदगी मांग रहे हैं।”

चार साल से अधूरी पड़ी सिरोंचा-अलापल्ली राजमार्ग 353 अब सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं रही, बल्कि लोगों की रोज़मर्रा की परेशानियों का प्रतीक बन गई है।

जबकि यह राजमार्ग तीन राज्यों — महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ को जोड़ता है, इसके अधूरेपन से क्षेत्रीय विकास की रफ्तार थम गई है।

🧭जवाबदेही तय किए बिना विकास अधूरा

गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क निर्माण न केवल विकास की जरूरत है, बल्कि सुरक्षा और आर्थिक जुड़ाव की भी अनिवार्यता है।

लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही और विभागीय उदासीनता ने जनता का विश्वास तोड़ दिया है।

अब सवाल यह नहीं कि सड़क बनेगी या नहीं, सवाल यह है कि कब तक जनता इस इंतजार की सड़क पर चलती रहेगी?

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