संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर। देश की विविध भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं को एक मंच पर समेटते हुए शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश ने अपने मासिक अखिल भारतीय काव्य आयोजन ‘कवितायन’ का नवां संस्करण बीते दिवस सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। यह आयोजन ऑनलाइन माध्यम से हुआ, जिसमें देश के कोने-कोने से जुड़े दर्जनभर कवियों ने अपनी देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस प्रेरणादायी काव्य गोष्ठी में पूर्व संयुक्त निदेशक (अभियोजन) आर. डी. पाण्डेय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि वरिष्ठ कवि दाऊ दयाल वर्मा ने अध्यक्षता की। कार्यक्रम का संचालन गुंजन भदौरिया ने किया, जिन्होंने माँ शारदे की स्तुति से कार्यक्रम का शुभारंभ कर वातावरण को भक्तिपूर्ण बना दिया।
काव्य पाठ में झलकी देश की आत्मा
संयोजक दुर्गेश्वर राय ने बताया कि इस बार सम्मेलन की विषयवस्तु ‘देशभक्ति’ पर केंद्रित रही। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि ‘विद्यालय में एक दिन पुस्तक’ जैसे प्रेरक विचारों को भी मंच से साझा किया गया।
कवयित्री मीनाक्षी सिंह ने ‘अपनी धरा महान है’ कविता के माध्यम से भारत की भूमि के गौरव का गायन किया, वहीं वत्सला जी ने ‘आज़ादी की पहली सुबह’ का भावनात्मक रेखाचित्र खींचकर सभी को स्वतंत्रता की उस ऐतिहासिक घड़ी में लौटा दिया।
नव ऊर्जा से भरी रचनाएं
कनक के जयघोष को खूब सराहना मिली, जबकि अमित कुमार अमित ने अपनी ग़ज़ल ‘ऐ वतन वालों’ से पूरे आयोजन में जोश भर दिया। उनके सुरों और शब्दों की गूंज देर तक सुनाई दी।
वाराणसी से जुड़े डॉ. अरविंद कुमार द्विवेदी और विन्धेश्वरी प्रसाद ‘विन्ध्य’ ने अपने प्रभावशाली काव्य पाठ से ‘वतन की माटी को सारे जहाँ से अच्छा’ सिद्ध किया।
फरहत माबूद ने ‘हिंदुस्तानी होने के मायने’ बताकर श्रोताओं को गर्व का अनुभव कराया, वहीं गोरखपुर के प्रभात त्रिपाठी ने ‘आज़ादी’ विषय पर भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। डॉ. क्षमा सिंह की प्रस्तुति ‘तिरंगा’ ने जैसे राष्ट्रगौरव की विजयगाथा का एक नया अध्याय लिख दिया।
कवियों की बेजोड़ प्रस्तुतियाँ
काव्य मंच को और अधिक गरिमा प्रदान की कमलेश कुमार कुशवाहा और दीप्ति राय दीपांजलि की कविताओं ने, जिन्होंने ‘भारत महान’ के मतवाले देशवासियों का उत्साहवर्धन किया। गुंजन भदौरिया की भावपूर्ण प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन और भविष्य की योजना
कार्यक्रम के अंत में दाऊ दयाल वर्मा ने सभी कवियों की रचनाओं पर विस्तृत प्रतिक्रिया दी और अपनी कविता के माध्यम से कार्यक्रम को एक सशक्त समापन दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन साहित्य और समाज के बीच की कड़ी को मजबूत करते हैं।
आयोजन के प्रभारी दुर्गेश्वर राय ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए यह जानकारी दी कि ‘कवितायन’ के 12 संस्करण पूरे होने के बाद अब तक प्रस्तुत सभी गीतों और कविताओं को संकलित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा, जिससे भावी पीढ़ियाँ भी इस काव्यधारा से लाभान्वित हो सकें।
व्यापक सहभागिता
इस आयोजन में मीरा कुमारी, विनीत कुमार मिश्रा, प्रीति भारती, विकास त्रिपाठी, प्रिन्स मिश्र, रामकिशोर पाण्डेय सहित 50 से अधिक लोगों ने ऑनलाइन जुड़कर इस देशभक्ति के सागर में गोता लगाया और भारत माता के यशगान में अपनी सहभागिता दी।
‘कवितायन’ के इस नौवें संस्करण ने यह सिद्ध कर दिया कि कविता केवल भावों की नहीं, बल्कि चेतना और क्रांति की भाषा भी हो सकती है। देशभक्ति की इस श्रृंखला ने एक बार फिर यह साबित किया कि कलम की धार कभी कुंद नहीं होती, वह हमेशा राष्ट्र के पक्ष में बहती है।