अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया, उत्तर प्रदेश – जिले के पुलिस विभाग में उस समय हड़कंप मच गया जब पुलिस अधीक्षक (SP) विक्रांत वीर ने 27 जुलाई 2025 को गौरीबाजार थाने का अचानक निरीक्षण किया। पुलिस को एक अनुशासित बल माना जाता है, लेकिन इस निरीक्षण में जो लापरवाही सामने आई, उसने न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि कानून-व्यवस्थावव को लेकर भी गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दीं।
निरीक्षण में सामने आया गंभीर खुलासा
SP विक्रांत वीर ने जब थाने पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों की रोल कॉल प्रक्रिया शुरू कराई, तो 15 पुलिसकर्मी ड्यूटी से गायब पाए गए। इनमें से 3 सब इंस्पेक्टर, 2 मुख्य आरक्षी, और 7 आरक्षी (पुरुष) शामिल थे। इसके अलावा 1 महिला मुख्य आरक्षी और 2 महिला आरक्षी भी ड्यूटी से अनुपस्थित थीं। इतने बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों की अनुपस्थिति ने न केवल थाने की कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया, बल्कि आमजन की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता खड़ी कर दी।
गौरीबाजार थाना प्रभारी नन्दा प्रसाद ने अनुपस्थित पुलिसकर्मियों की सूची SP को सौंपते हुए उनके द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण भी प्रस्तुत किए। अधिकतर पुलिसकर्मियों ने व्यक्तिगत कारण, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, या अन्य कार्यों में व्यस्तता का हवाला दिया। लेकिन SP विक्रांत वीर ने इन सभी स्पष्टीकरणों को असंतोषजनक बताते हुए स्पष्ट किया कि, “पुलिस विभाग में अनुशासन सबसे ऊपर है। यदि कार्य नहीं हो रहा है, तो वेतन का हक भी नहीं बनता।”
सख्त कार्रवाई के आदेश
SP ने “कार्य नहीं तो वेतन नहीं” की नीति अपनाते हुए सभी अनुपस्थित पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती के आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय न केवल एक चेतावनी है, बल्कि पुलिस विभाग में अनुशासन की सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने की दिशा में एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है।
आगे भी होंगे औचक निरीक्षण
SP विक्रांत वीर ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कोई एक बार की कार्रवाई नहीं है। भविष्य में भी इस प्रकार के औचक निरीक्षण होते रहेंगे, और बिना अनुमति ड्यूटी से गैरहाजिर पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि, “जनता की सुरक्षा और पुलिस बल की विश्वसनीयता तभी बनी रह सकती है, जब प्रत्येक पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और उत्तरदायी रहे।”
निष्कर्षतः, यह घटना पुलिस महकमे के भीतर पनप रही लापरवाही की प्रवृत्ति पर एक करारा प्रहार है। SP का यह कदम न केवल विभाग में अनुशासन की बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे आम जनता में यह संदेश भी गया है कि सुरक्षा के नाम पर कोई कोताही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।