चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ/गाज़ीपुर/अयोध्या। इन दिनों भीषण बारिश और बाढ़ की दोहरी मार झेल रहा है। विशेष रूप से पूर्वांचल और तराई क्षेत्र के गांवों में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। एक तरफ जहां आसमान से लगातार पानी बरस रहा है, वहीं दूसरी ओर नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। हालात की गंभीरता को देखते हुए भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के कई हिस्सों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है।
लगातार बारिश से बिगड़े हालात
बीते 24 घंटों में राज्य के कानपुर, लखनऊ, गाज़ीपुर और अयोध्या जैसे बड़े शहरों में तेज़ बारिश ने पूरी व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। नालियां उफान पर हैं, सड़कें जलमार्ग बन चुकी हैं, और निचले इलाकों में पानी घरों में घुसने लगा है। जगह-जगह बिजली आपूर्ति ठप है और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है।
चक्रवाती हवाओं और मानसूनी गतिविधियों का प्रभाव
मौसम विभाग के अनुसार, वर्तमान में मानसून की रेखा अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर खिसक गई है, जो लखनऊ, कानपुर, अयोध्या और शामली जैसे शहरों से होकर गुजर रही है। इसके अतिरिक्त, बिहार से सटे उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भारी बारिश की स्थिति को और भयावह बना रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति अगले 24 से 36 घंटों तक जस की तस बनी रह सकती है। इसका अर्थ यह है कि राहत की उम्मीद फिलहाल नहीं है और ज़्यादा सतर्कता की आवश्यकता है।
कई जिले जलमग्न, हालात चिंताजनक
गाज़ीपुर से आई तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। वहां रातभर तेज बारिश के कारण सड़कों पर 3-4 फीट तक पानी भर गया। वाहन आधे डूबे हुए नजर आए, और लोग छाती तक पानी में फंसे हुए अपने घरों तक पहुंचने की कोशिश करते देखे गए। अयोध्या और लखनऊ में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है, जहां मुख्य बाज़ार, स्कूल और सरकारी दफ्तरों के आसपास पानी भरा हुआ है।
13 जिले बाढ़ से प्रभावित, 24 जिलों में भारी बारिश
जानकारी के अनुसार, गंगा नदी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि यमुना औरैया, कालपी, हमीरपुर, प्रयागराज और बांदा में लाल निशान से ऊपर है। बेतवा नदी भी हमीरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। राज्य में रविवार को 14.2 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई और 24 जिलों में भारी बारिश हुई।
इस समय राज्य के 13 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इन जिलों में प्रयागराज, जालौन, औरैया, हमीरपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर देहात, बलिया, बांदा, इटावा, फतेहपुर, कानपुर नगर और चित्रकूट शामिल हैं।
वाराणसी में सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान छतों और ऊंचे चबूतरों पर करने के आदेश देने पड़े। दशाश्वमेध घाट पर प्रसिद्ध गंगा आरती अब छतों पर की जा रही है, जबकि मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर दाह संस्कार ऊंचे चबूतरों पर किए जा रहे हैं।
प्रशासन अलर्ट, राहत और बचाव कार्य तेज़
हालात की गंभीरता को भांपते हुए जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिया है। कई प्रभावित क्षेत्रों में नावों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें तैनात कर दी गई हैं।
हालांकि कुछ जगहों पर प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर लोगों में रोष भी देखा गया है। राहत शिविरों में भोजन, पेयजल और दवाओं की कमी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।
आमजन के लिए चेतावनी और सुझाव
मौसम विभाग ने आम लोगों को सलाह दी है कि वे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलें। विशेष रूप से निचले इलाकों में रहने वाले लोग प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई है और कई जिलों में धारा 144 लागू की गई है।
48 घंटे तक ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग के अनुसार, राजधानी लखनऊ, बाराबंकी, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, एटा, मैनपुरी, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, कासगंज, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बदायूं, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव और आसपास के इलाकों में भारी बारिश होगी। इन जिलों में अगले 48 घंटे तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश इस समय एक विकराल प्राकृतिक आपदा की स्थिति में है, जहां बाढ़ और भारी बारिश ने सामान्य जनजीवन को पूरी तरह ठप कर दिया है। प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद राहत कार्यों को और गति देने की आवश्यकता है। आने वाले 24–36 घंटे राज्य के लिए निर्णायक हो सकते हैं। ज़रूरत है सजगता, सामूहिक सहयोग और संवेदनशील प्रशासनिक रवैये की।