ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
हिंदूवादी नेता और अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाली साध्वी प्राची ने एक बार फिर देशभर में बहस छेड़ दी है। मंगलवार को शिवमूर्ति मंदिर में दर्शन के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए आज की युवतियों के रहन-सहन, सोशल मीडिया की भूमिका, धर्मांतरण और मदरसों को लेकर बेहद तीखे और आपत्तिजनक बयान दिए। उनके शब्दों ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई है बल्कि सामाजिक और वैचारिक दृष्टिकोण से भी यह बयान चर्चा के केंद्र में आ गए हैं।
🔴 “चार-चार बॉयफ्रेंड रखने वाली लड़कियां कभी घर नहीं बसा सकतीं”
सबसे पहले साध्वी प्राची ने बॉयफ्रेंड कल्चर पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“आज की लड़कियां फैशन में चार-चार बॉयफ्रेंड बना रही हैं। ये लड़कियां कभी अपना घर नहीं बसा सकतीं। पश्चिमी अपसंस्कृति हमारे परिवारों को तोड़ रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि माता-पिता की प्रतिष्ठा ऐसे व्यवहारों से धूमिल हो रही है। यह बयान महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके निजी जीवन की आलोचना के रूप में देखा जा रहा है।
🔴 “इंस्टाग्राम बेटियों को अश्लीलता की ओर ले जा रहा है”
इसके बाद साध्वी प्राची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम को निशाने पर लिया। उन्होंने दावा किया:
“इंस्टाग्राम पर लड़कियां पैसे कमाने के लिए कपड़े उतार रही हैं, अश्लील वीडियो डाल रही हैं। ये भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है।”
उन्होंने अभिभावकों को चेताते हुए कहा कि बेटियों को ऐसे प्लेटफॉर्म्स से दूर रखना चाहिए, ताकि समाज में मर्यादा बनी रहे। यह टिप्पणी कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और डिजिटल स्वतंत्रता के पैरोकारों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
🔴 धर्मांतरण पर प्रहार: “छांगुर जैसे ढोंगियों को चौराहे पर फांसी दो”
धर्मांतरण पर बोलते हुए साध्वी प्राची ने छांगुर बाबा प्रकरण का ज़िक्र किया और कहा,
“जो लोग हिंदुओं को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं। ऐसे ढोंगियों को चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए।”
यह बयान न सिर्फ विवादास्पद है, बल्कि एक संवेदनशील मुद्दे पर कानून को दरकिनार कर भीड़तंत्र को बढ़ावा देने जैसा माना जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह संगठित षड्यंत्र का हिस्सा है और इस पर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
🔴 “भारतीय संस्कृति ही समाज को जोड़ती है”
साध्वी ने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को सर्वोपरि बताया और कहा:
“भारतीय संस्कृति ही परिवारों को बचा सकती है। जो लड़कियां अश्लीलता परोस रही हैं, वे खुद भी नष्ट होंगी और समाज को भी नुकसान पहुंचा रही हैं।”
उनका मानना है कि संस्कृति से हटकर जीने का परिणाम सिर्फ व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि सामाजिक पतन भी है। यह विचार कई परंपरावादी वर्गों के बीच समर्थन पा रहा है, वहीं प्रगतिशील तबका इसे प्रतिगामी सोच करार दे रहा है।
🔴 “मदरसे आतंकवाद की फैक्ट्री हैं”
साध्वी प्राची ने एक बार फिर अपने पुराने और विवादास्पद बयान को दोहराया। उन्होंने कहा:
“मदरसे शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि आतंकवाद की फैक्ट्रियां हैं। यहां जिहादी मानसिकता पनप रही है। सरकार को इन पर रोक लगानी चाहिए।”
उनके इस बयान ने फिर से धार्मिक ध्रुवीकरण और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बहस को जन्म दे दिया है। मदरसों पर ऐसे बयान पहले भी साम्प्रदायिक तनाव का कारण बन चुके हैं।
🔍 सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
साध्वी प्राची के बयानों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक तरफ कट्टर हिंदूवादी संगठन उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिला संगठनों, विपक्षी दलों और सेकुलर विचारधारा के लोगों ने इसे स्त्री विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी और सामाजिक तानेबाने को तोड़ने वाला करार दिया है।
साध्वी प्राची के ये बयान विवाद की राजनीति को एक बार फिर हवा देने का प्रयास माने जा रहे हैं। उनके विचार भारतीय संस्कृति की आड़ में एकतरफा नैतिकता थोपने का प्रयास करते दिखते हैं, जिसमें न महिला की स्वतंत्रता का सम्मान है, न अभिव्यक्ति की आज़ादी का ख्याल।
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि भारत जैसे विविधता भरे देश में किसी भी विचार को आंख मूंदकर नकारा नहीं जा सकता, न ही पूरी तरह स्वीकार किया जा सकता है। ऐसे बयानों पर खुली बहस, विवेक और संवैधानिक मर्यादा में रहकर संवाद की आवश्यकता है — न कि केवल उग्र नारों और शोरगुल से फैसले लिए जाएं।