
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रामपुर कल्याणगढ़ का बहुचर्चित लक्ष्मण तालाब आज अपनी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। भूजल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2024–25 में जिस लक्ष्मण तालाब सौंदर्यीकरण परियोजना की शुरुआत हुई थी, वह आज धांधली और भ्रष्टाचार की मिसाल बन चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, ठेकेदार और लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से लक्ष्मण तालाब निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। परिणामस्वरूप, लाखों रुपए की लागत से निर्मित यह तालाब कुछ ही महीनों में खंडहर में तब्दील हो चुका है।
लक्ष्मण तालाब सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार का जाल
जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024/25 में लघु सिंचाई विभाग द्वारा इस परियोजना को वर्षा जल संचयन एवं भूजल संरक्षण योजना के तहत स्वीकृति दी गई थी। लेकिन इस योजना के कार्यान्वयन में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। ठेकेदार ने न तो निर्माण की गुणवत्ता पर ध्यान दिया और न ही निर्धारित मानकों का पालन किया।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि लक्ष्मण तालाब की खुदाई, सीमेंटिंग, और तटबंदी कार्य अत्यंत निम्न स्तर का है। बरसात शुरू होते ही तालाब की दीवारें टूटने लगीं और पानी रिसने लगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार का खेल केवल कागज़ों पर ही नहीं, जमीन पर भी दिख रहा है।
लघु सिंचाई विभाग के अफसरों की मिलीभगत
इस पूरे मामले में लघु सिंचाई विभाग के अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं। अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता और अवर अभियंता सभी को इस घोटाले की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूत्र बताते हैं कि विभागीय मिलीभगत के चलते ही ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया गया, जबकि निर्माण कार्य अधूरा और निम्न गुणवत्ता का था।
ग्रामीणों ने कई बार मानिकपुर विकास खंड कार्यालय और जिला प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल जांच की औपचारिकताएं निभाई गईं। यह दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक नहीं, बल्कि भ्रष्ट तंत्र तक सीमित रह गया है।
मानिकपुर के अन्य परियोजनाओं में भी धांधली
यह मामला अकेला नहीं है। मानिकपुर विकास खंड के पठारी क्षेत्रों में लघु सिंचाई विभाग द्वारा बनवाए गए कुओं, तालाबों और चेकडैम निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार की बू साफ महसूस की जा सकती है।
अनेक परियोजनाएं अभी अधूरी हैं, परन्तु संबंधित ठेकेदारों को भुगतान पहले ही कर दिया गया है। इससे यह साबित होता है कि भूजल संरक्षण योजना के नाम पर सरकारी धन का खुला बंदरबांट हुआ है।
लाखों खर्च, पर नतीजा शून्य
लक्ष्मण तालाब पर लगभग 35 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई थी। इसका उद्देश्य था – स्थानीय किसानों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराना और आसपास के जलस्तर को बढ़ाना। लेकिन वर्तमान स्थिति देखकर ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना केवल कागज़ी काम बनकर रह गई है।
आज तालाब की दीवारों में दरारें हैं, फर्श उखड़ चुका है और जल संचयन के नाम पर केवल गड्ढा शेष रह गया है। आसपास की मिट्टी खिसकने लगी है, जिससे निकट के घरों और खेतों को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
जवाबदेही तय करने की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में सरकारी धन का इस तरह दुरुपयोग न हो।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक लघु सिंचाई विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ऐसी योजनाओं का कोई औचित्य नहीं रहेगा।
सरकारी योजनाओं की सच्चाई: कागजों पर विकास, जमीन पर विनाश
लक्ष्मण तालाब की कहानी एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी योजनाएं कागज़ों में तो “विकास” के रूप में दिखती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी हालत बदतर होती है। चित्रकूट जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक जिलों में जब विकास के नाम पर भ्रष्टाचार होता है, तो यह आम जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात है।
सवाल-जवाब (FAQ)
लक्ष्मण तालाब कहाँ स्थित है?
लक्ष्मण तालाब उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकास खंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत रामपुर कल्याणगढ़ में स्थित है।
लक्ष्मण तालाब निर्माण पर कितनी राशि खर्च हुई?
इस तालाब के निर्माण पर लगभग 35 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई थी।
कौन से विभाग के अधीन यह निर्माण कार्य हुआ?
यह कार्य लघु सिंचाई विभाग द्वारा वर्षा जल संचयन एवं भूजल संरक्षण योजना के तहत कराया गया था।
क्या इस मामले में कोई जांच चल रही है?
फिलहाल विभागीय जांच की बात कही जा रही है, लेकिन अभी तक किसी अधिकारी या ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
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