
अध्यक्ष बनाम दबंग : चित्रकूट में बार संघ में मचा बवाल
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट जनपद में अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। जिला बार संघ अध्यक्ष अशोक गुप्ता के घर पर हुए कथित बमकांड के बाद अधिवक्ता संघ दो गुटों में बंट गया है। एक गुट जहां अध्यक्ष के समर्थन में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा गुट घटना को “संदिग्ध” बताते हुए इसे “स्वयं रची गई साजिश” करार दे रहा है।
यह पूरा मामला अब अध्यक्ष बनाम दबंग की तरह अधिवक्ताओं के बीच गरमा गया है। बैठक में पूर्व अध्यक्ष सुरेश तिवारी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अशोक गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “यह हमला दिखावटी है, ताकि वे सुरक्षा और सहानुभूति हासिल कर सकें।”
⚖️ बमकांड या साजिश : अधिवक्ता संघ में गहराया विवाद
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीती रात जिला बार संघ अध्यक्ष अशोक गुप्ता के घर कुछ अज्ञात बाइक सवार युवकों ने बम फेंका था। इस घटना ने पूरे चित्रकूट जिले के अधिवक्ता समुदाय को हिला दिया। लेकिन सुबह होते ही इस पर अध्यक्ष बनाम दबंग की राजनीति शुरू हो गई।
कई अधिवक्ताओं ने सवाल उठाया कि अगर हमला वास्तव में “अज्ञात युवकों” ने किया था, तो फिर नामजद रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई गई? आरोप है कि यह हमला “सुरक्षा पाने और विरोधियों को फंसाने” की सोची-समझी योजना है।
⚔️ अध्यक्ष बनाम दबंग : दो फाड़ में बंटा अधिवक्ता संघ
चित्रकूट के अधिवक्ता संघ में अब दो साफ गुट नजर आ रहे हैं —
1. अशोक गुप्ता समर्थक गुट जो “हमले” की निंदा कर रहा है और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा है।
2. विरोधी गुट जो इसे झूठी घटना और राजनीतिक साजिश बता रहा है।
विरोधी गुट का कहना है कि “बार अध्यक्ष अपने विरोधियों और उन पत्रकारों को निशाने पर ले रहे हैं जो उनके अनैतिक कार्यों को उजागर कर रहे थे।”
इस वजह से अधिवक्ता संघ में अध्यक्ष बनाम दबंग की जंग चरम पर पहुंच गई है।
📢 कार्य बहिष्कार का एलान, लेकिन असर नहीं
अशोक गुप्ता समर्थक गुट ने आरोपियों की गिरफ्तारी न होने तक अदालतों में कामकाज ठप करने का ऐलान किया था। लेकिन शनिवार को जिला न्यायालय परिसर का नज़ारा अलग था।
अधिकांश अधिवक्ता अपने काम में लगे दिखे, जिससे साफ जाहिर है कि संघ के भीतर विरोध गहराता जा रहा है।
पूर्व अध्यक्ष सुरेश तिवारी ने कहा –
“अगर हमला वास्तविक होता तो नामजद रिपोर्ट नहीं लिखाई जाती। यह पूरी तरह से अध्यक्ष बनाम दबंग की साजिश है, जिसमें निर्दोष लोगों को फंसाने की कोशिश की जा रही है।”
🧩 सवालों के घेरे में जिला बार संघ अध्यक्ष
इस पूरे अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या वास्तव में अध्यक्ष अशोक गुप्ता पर हमला हुआ था?
अगर हुआ, तो आरोपियों के नाम कैसे पता चले?
क्या यह मामला विरोधियों को डराने की रणनीति थी?
क्या अध्यक्ष सुरक्षा पाने के लिए खुद पर हमला करवाने का नाटक कर रहे हैं?
इन सभी सवालों पर अब प्रशासन और पुलिस की जांच टिकी हुई है।
🚨 प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग
विरोधी गुट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि “हम निर्दोष लोगों को फंसाने नहीं देंगे।”
उन्होंने अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके।
अधिवक्ता संघ के विरोधी गुट का कहना है—
“अध्यक्ष ने अपनी रंजिश निकालने और आलोचक पत्रकारों को सबक सिखाने के लिए यह पूरा खेल रचा है। हम चाहते हैं कि पुलिस निष्पक्ष जांच करे और दोषियों को सख्त सजा दे।”
💥 पत्रकारों को फंसाने का आरोप
इस अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद ने अब मीडिया जगत को भी अपनी चपेट में ले लिया है।
कई पत्रकारों का कहना है कि “अशोक गुप्ता ने उन पत्रकारों के नाम भी रिपोर्ट में दर्ज करवाए हैं जिन्होंने उनके खिलाफ खबरें चलाई थीं।”
यह कदम प्रेस स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है।
पत्रकार संघ ने भी इस मामले पर चिंता जताई है और कहा है कि “अगर पत्रकारों को फंसाया गया, तो हम सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।”
🧠 राजनीतिक और व्यक्तिगत रंजिश का एंगल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद की जड़ सिर्फ अधिवक्ता संघ तक सीमित नहीं है। इसमें स्थानीय राजनीति और व्यक्तिगत रंजिश की भी गहरी भूमिका है।
कुछ नेताओं के साथ अध्यक्ष के मतभेद लंबे समय से चल रहे थे। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले संघ चुनावों को देखते हुए यह पूरा घटनाक्रम “समर्थन जुटाने की रणनीति” है।
🔍 अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद पर प्रशासन की स्थिति
चित्रकूट पुलिस ने कहा है कि “घटना की जांच की जा रही है। रिपोर्ट दर्ज की गई है और तथ्यों की गहराई से पड़ताल की जा रही है।”
लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि “सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स और मौके से मिले सबूतों के आधार पर जल्द खुलासा होगा।”
💬 जनता और अधिवक्ताओं में चर्चा का विषय
चित्रकूट में अब हर चौक-चौराहे पर यही चर्चा है — “अध्यक्ष बनाम दबंग”
कुछ लोग इसे सच मान रहे हैं, तो कुछ इसे “राजनीतिक ड्रामा” बता रहे हैं।
बार काउंसिल के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि “अगर यह हमला फर्जी निकला, तो संघ की प्रतिष्ठा को गहरी चोट पहुंचेगी।”
⚖️सच्चाई सामने लाना जरूरी
चित्रकूट का यह अध्यक्ष बनाम दबंग विवाद अब सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे अधिवक्ता समाज की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
यदि यह हमला वास्तविक है, तो आरोपियों की गिरफ्तारी तुरंत होनी चाहिए।
और यदि यह साजिश है, तो सच्चाई उजागर कर दोषी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक यह मामला अध्यक्ष बनाम दबंग – सच्चाई बनाम साजिश के रूप में चर्चा में रहेगा।
