ग्राम प्रधान की मनमानी : अटल भूजल योजना के तहत बने तालाब का सौंदर्यीकरण ध्वस्त, सामग्री हुई गायब

अटल भूजल योजना के तहत चित्रकूट के शिवरामपुर पंचायत में पट्टा तालाब का निरीक्षण करते अधिकारी और स्थानीय लोग, निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त होने पर जांच जारी।

ग्राम प्रधान की मनमानी उजागर

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

ग्राम प्रधान की मनमानी जब हद पार कर जाए, तो सिर्फ सरकारी निधियों का बट्टा नहीं बनती, बल्कि जनता की उम्मीदों का कत्ल होता है। चित्रकूट जिले की ग्राम पंचायत शिवरामपुर में अटल भूजल योजना अंतर्गत बने पट्टा तालाब का सौंदर्यीकरण ध्वस्त कर दिया गया है। सामग्री गायब कर दी गयी है, सरकारी कार्य को अधूरा छोड़ा गया है, और एक ग्राम प्रधान की दबंगई ने पूरे इलाके को शर्मसार कर दिया है।

यह मामला सिर्फ एक निर्माण ध्वस्तीकरण का नहीं है, बल्कि gram pradhan की मनमानी की जीती जागती मिसाल है। आइए, जानते हैं कैसे gram pradhan ने अटल भूजल योजना को बदनाम किया, और आखिर लोगों की आवाज क्यों नहीं सुनी गई।

“ग्राम प्रधान की मनमानी” – मामला क्या है?

तालाब निर्माण व सौंदर्यीकरण

वित्त वर्ष 2022-23 में चित्रकूट जिले के ब्लॉक कर्वी की ग्राम पंचायत शिवरामपुर के पट्टा तालाब में इनलेट, आउटलेट, घाट, रैंप, इंटरलॉकिंग, खड़ंजा रेलिंग एवं बेंच का निर्माण कराया गया, कुल लागत ₹23.46 लाख।

ध्वस्तीकरण और सामग्री गायब

तालाब के सौंदर्यीकरण के बाद gram pradhan समेत ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने इंटरलॉकिंग खड़ंजा, रेलवे की साइड वाल की ईंटें, सीमेंट की ईंटें उखाड़ डालीं। रेलिंग, बेंच, साइन बोर्ड सहित समस्त सामग्री गायब कर दी गई।

गौशाला में सामग्री का डंपिंग

gram pradhan द्वारा गायब की गई सामग्री को ग्राम पंचायत शिवरामपुर की स्थायी संचालित गौशाला में डंप करवा दिया गया है।

अधिकारियों की शिकायत के बाद निरीक्षण: खण्ड विकास अधिकारी, नोडल अधिकारी अटल भूजल योजना, अवर अभियंता लघु सिंचाई ने मौके पर पहुँच कर स्थलीय निरीक्षण किया।

ग्राम प्रधान के खिलाफ गंभीर आरोप ; सरकारी संपत्ति का नष्ट करना

अतिरिक्त रूप से सरकारी संपत्ति को ध्वस्त करना gram pradhan की मनमानी का हिस्सा है। यह केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि सार्वजनिक विश्वास का अपमान है।

निषेधित निर्माण –

इंटरलॉकिंग खड़ंजा निर्माण रेलवे की जमीन पर कराना, रेलवे की रोक के बावजूद gram pradhan ने अपने दबदबे से कार्य आगे बढ़ाया।

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वित्तीय वर्ष में हुए निर्माण और उसके तत्काल बाद ध्वस्तीकरण –

 2022-23 में जो कार्य हुआ, वह सौंदर्यीकरण का था; लेकिन उसके बाद gram pradhan द्वारा उसे तोड़ फोड़ कर ध्वस्त कर दिया गया।

जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता – मुख्य विकास अधिकारी अमृतपाल कौर के समय बनने के बाद यह ध्वस्तीकरण भी उसी कार्यकाल में हुआ। सवाल उठता है कि सरकारी नियंत्रण कहाँ है?

ग्राम प्रधान की मनमानी : प्रभाव और जनता की हानि

जल संरक्षण योजना पटरी से उतरी: अटल भूजल योजना के मकसद — जल संरक्षण, भूमगर्भ जल स्तर को पुनर्जीवित करना — gram pradhan की कार्रवाईयों से प्रभावित हुआ।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: ₹23.46 लाख की राशि व्यर्थ खर्च हुई; निर्माण सामग्री गायब हो गयी; पुनरुद्धार के लिए पुनः खर्च करना होगा।

जनता का भरोसा टूटा: लोग सरकारी योजनाओं पर विश्वास खो रहे हैं जब gram pradhan अपनी इच्छा से सरकारी कामों को बरबाद कर देता है।

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विकास कार्यों की अनिश्चितता: भविष्य में किस योजना के काम हो पाएँगे जब प्रधान की मनमानी और संपत्ति चोरी का डर बना हुआ है।

कार्रवाई की मांग : क्यों होना चाहिए मुकदमा?

ग्राम प्रधान के विरुद्ध आपराधिक धाराएँ: सरकारी संपत्ति नष्ट करने, सरकारी धन का दुरुपयोग करने, संपत्ति चोरी करने जैसे अपराधों के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

वसूली की आवश्यकता: गायब हुई सामग्री की कीमत व निर्माण कार्य की लागत वापस जन-हित में वसूली जाए।

जवाबदेही तय हो: खण्ड विकास अधिकारी, नोडल अधिकारी अटल भूजल योजना, अवर अभियंता लघु सिंचाई — सभी को अपनी जिम्मेदारियों की जांच करनी चाहिए कि कैसे ऐसे घोर उल्लंघन हो पाए।

निगरानी व पारदर्शिता बढ़ाएं: gram pradhan की मनमानी पर नज़र रखने का तंत्र मज़बूत किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी योजनाएँ जनता के लिए काम करें, gram pradhan के मनपसंद व्यक्त करने के लिए नहीं।

स्पष्ट सुझाव और निष्कर्ष

ग्राम प्रधान शिवरामपुर की मनमानी सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है; यह उस बड़े संकट का सूचक है जहाँ सरकारी योजनाएँ भ्रष्टाचार और दबंगई के हाथों बर्बाद हो जाती हैं।

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जनता, अधिकारियों और न्यायपालिका को मिलकर कदम उठाना होगा:

तड़का कार्रवाई होनी चाहिए gram pradhan के खिलाफ;

जांच कमेटी गठित हो, स्वतंत्र रूप से;

पूरी सामग्री की सूची तैयार हो, गायब सामग्रियों की कीमत आंकी जाए;

वसूली की प्रक्रिया शुरू हो, दोषी से लागत वसूल की जाए;

लोकतंत्र की रक्षा हो, gram pradhan की मनमानी पर रोक लगाई जाए।

यदि ग्राम प्रधान की मनमानी की यह घटना सार्वजनिक हो गई है, तो अटल भूजल योजना का नाम बदनामी से बचाने के लिए सरकार को भी सख्त कदम उठाने होंगे। जनता की उम्मीदों को कुचलने वाले ऐसे gram pradhan को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। ग्राम प्रधान की मनमानी बंद हो, अटल भूजल योजना सफल हो, और जनता को मिले न्याय व पारदर्शिता।

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