Sunday, July 20, 2025
spot_img

आम की मिठास में खो गया आलू का स्वाद, किसान बोले – भाव भी भूल गए और भावनाएं भी

कानपुर, फर्रुखाबाद और कन्नौज में आम की जबरदस्त फसल और कम कीमतों ने आलू की मांग पर असर डाला है। कोल्ड स्टोरेज आलू से भर गए हैं, लेकिन निकासी बेहद कम हुई है। किसान और व्यापारी दोनों चिंतित हैं।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कानपुर और आसपास के जिलों में इस वर्ष आम की शानदार फसल ने बाजार में मिठास तो घोली है, लेकिन आलू किसानों के लिए यह मीठास भारी पड़ रही है। फर्रुखाबाद और कन्नौज जैसे प्रमुख आलू उत्पादक जिलों में कोल्ड स्टोरेज आलू से ठसाठस भरे पड़े हैं। वजह साफ है—लोगों ने इस सीजन रोटी के साथ आलू की जगह आम को तरजीह दे दी।

जब आम सस्ता हुआ, आलू की पूछ घट गई

इस बार आम न केवल भरपूर मात्रा में आया, बल्कि उसकी कीमतें भी आम आदमी की पहुंच में रहीं। यही कारण है कि बाजार में आम की मांग बढ़ गई और लोग जमकर आम खरीदने लगे। इसका सीधा असर आलू की खपत पर पड़ा। फर्रुखाबाद के एक कोल्ड स्टोर मालिक जुगल किशोर मिश्रा बताते हैं कि इस बार 2-2.5 लाख बोरियों की क्षमता वाले अधिकांश स्टोरेज भर चुके हैं, लेकिन निकासी नहीं हो रही।

Read  🌱 पुरानी पेंशन की मांग को लेकर चंद्रमा ऋषि धाम पर पौधारोपण अभियान, तमसा तट पर गूंजा सामाजिक न्याय का स्वर

अप्रैल-मई से बिगड़ने लगा समीकरण

किसानों को शुरू में उम्मीद थी कि आलू के अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन अप्रैल और मई के महीने में आम की आमद और कीमतों में गिरावट ने सारे समीकरण बदल दिए। लोग जहां पहले आलू खरीदते थे, अब वही लोग आम की ओर मुड़ गए। नतीजतन, न सिर्फ आलू की बिक्री घटी बल्कि उसके दाम भी गिरकर आधे रह गए।

सीमा तनाव ने भी बढ़ाई किसानों की परेशानी

हालात को और खराब किया भारत की सीमाओं पर बना तनाव। इस बार पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमावर्ती व्यापार ठप पड़ा है, जिससे आलू का एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा। किसान अजय मिश्रा के अनुसार, पिछले वर्ष 50 किलो की आलू की बोरी जहां 1000 रुपये तक बिकी थी, वहीं इस बार उसी बोरी की कीमत 500 रुपये तक आ गई है।

पूरे देश में हुई बंपर आलू की पैदावार

आलू किसानों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी आलू की जबरदस्त पैदावार हुई है। कन्नौज के किसान पवन पांडेय बताते हैं कि इस बार 3-3.5 लाख बोरियों की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज से केवल 10-20 हजार बोरियों की ही निकासी हो पाई है। जब आम अधिक होता है, तो आलू की मांग स्वतः ही प्रभावित होती है।

Read  अखिलेश यादव का आज़मगढ़ में नया ठिकाना: पूर्वांचल की सियासत को मिलेगी नई धार

किसान नहीं बेचना चाहते सस्ते में आलू

किसानों की हताशा का एक और कारण यह है कि वे सस्ते दामों पर आलू बेचना नहीं चाहते। उन्हें उम्मीद थी कि जून तक कोल्ड स्टोरेज खाली होने लगेंगे, लेकिन हकीकत यह है कि स्टोर अभी तक आधे भी खाली नहीं हो सके हैं। न तो स्थानीय खपत बढ़ी है और न ही निर्यात का रास्ता खुला है।

इस वर्ष की फसल चक्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे एक फसल की अधिकता दूसरी की मांग को प्रभावित कर सकती है। आम की मिठास ने इस बार आलू की कड़वाहट बढ़ा दी है। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो न केवल किसान बल्कि कोल्ड स्टोरेज संचालक भी गंभीर आर्थिक संकट में आ सकते हैं। यह मुद्दा नीति-निर्माताओं के लिए भी सोचने योग्य है कि कैसे विभिन्न फसलों के बीच संतुलन बनाकर कृषि अर्थव्यवस्था को सुरक्षित किया जाए।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

हर बार वही शिकायत! तो किस काम के अधिकारी?” – SDM ने लगाई फटकार

चित्रकूट के मानिकपुर तहसील सभागार में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में उपजिलाधिकारी मो. जसीम ने अधिकारियों को दो टूक कहा—"जनशिकायतों का शीघ्र समाधान करें,...

“मैं नालायक ही सही, पर संघर्ष की दास्तां अनसुनी क्यों?” — रायबरेली की आलोचना से आहत हुए मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का भावुक पत्र

 रायबरेली की राजनीति में हलचल! उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए आलोचकों को दिया करारा जवाब। संघर्षों और उपलब्धियों को...
- Advertisement -spot_img
spot_img

सड़क पर ही मिला सबक! सरेबाज़ार युवती ने उतारी चप्पल, पीट-पीटकर किया हलाकान

उन्नाव के शुक्लागंज बाजार में छेड़छाड़ से तंग आकर युवती ने युवक को चप्पलों और थप्पड़ों से पीटा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर...

अखिलेश यादव पर स्वतंत्र देव सिंह का तीखा वार: “साधु-संतों से सवाल, छांगुर पर चुप्पी कमाल”

जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अखिलेश यादव पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वे साधु-संतों से तो सवाल पूछते हैं, लेकिन...