हैवान पति के घिनौने कारनामे;लोहे के पिंजरे में किया पत्नी को कैद, बच निकली तो किया ऐसा काम…


कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
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उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से महिला उत्पीड़न और हैवानियत की ऐसी दर्दनाक दास्तां सामने आई है, जिसने
सुनने वालों को झकझोर कर रख दिया। एक नवविवाहित युवती ने उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष
बबीता चौहान के सामने अपने पति और ससुराल पक्ष की बर्बरता का जो सिलसिला बयान किया, उसे सुनकर
खुद आयोग की अध्यक्ष भी कुछ क्षण के लिए स्तब्ध रह गईं।

युवती का आरोप है कि उसके पति ने उसे न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि एक कदम आगे बढ़कर उसे लोहे के पिंजरे
जैसे जाल में कैद कर दिया। जब पुलिस की दखलअंदाजी के बाद वह उस कैद से आजाद हुई तो पति ने बदला लेते हुए उसका
अश्लील वीडियो (एमएमएस) बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, ताकि वह सामाजिक रूप से भी अपमानित हो सके।
हैरानी की बात यह रही कि अत्याचार सह रही उसी पत्नी के खिलाफ पति ने उल्टे झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए।

जालौन जनसुनवाई में फूटी दर्दनाक दास्तां

गुरुवार को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान जालौन जिले के दौरे पर थीं। उरई के
रानी लक्ष्मीबाई सभागार में वह आम महिलाओं की समस्याएं सुनने के लिए जनसुनवाई कर रही थीं।
इसी दौरान एक नवविवाहित युवती कंपकंपाती आवाज और नम आंखों के साथ आगे बढ़ी और आयोग अध्यक्ष को एक
शिकायती प्रार्थना पत्र सौंपते हुए अपनी पूरी आपबीती सुनानी शुरू की।

सभागार में मौजूद लोग सन्न पड़े रह गए, जब युवती ने बताया कि कैसे शादी के कुछ ही दिनों बाद उसका वैवाहिक जीवन
दहेज की मांग, हिंसा और मानसिक प्रताड़ना की आग में झोंक दिया गया। महिला आयोग की अध्यक्ष भी
बार-बार उससे रुक-रुक कर सवाल पूछती रहीं, ताकि हर घटना की बारीकी समझी जा सके और कार्रवाई में कोई कमी न रह जाए।

झांसी के मोठ में हुई थी शादी, दहेज के लिए शुरू हुई प्रताड़ना

पीड़िता के मुताबिक, उसकी शादी झांसी जिले के मोठ कस्बे में हुई थी। शुरुआत में सब कुछ सामान्य दिखाई दिया,
लेकिन शादी के तुरंत बाद ही पति और ससुराल वालों का असली चेहरा सामने आने लगा। युवती का आरोप है कि
पति ने लगातार उससे दहेज में अधिक सामान और नगदी लाने की मांग शुरू कर दी।

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जब मांगें पूरी नहीं हुईं तो उस पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न बढ़ता गया। पति कभी उसके खाने-पीने पर
रोक लगाता, कभी घर से बाहर जाने पर सख्त पाबंदी लगा देता। रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के लिए भी उसे
बार-बार अपमानित किया जाता। धीरे-धीरे यह सब घरेलू हिंसा की एक भयावह तस्वीर में बदल गया।

लोहे के पिंजरे में कैद कर दी पत्नी, पुलिस ने छुड़ाया

युवती ने बताया कि पति के अत्याचार यहीं नहीं रुके। एक दिन तो उसने अमानवीयता की सारी सीमाएं पार कर दीं।
उसने पत्नी को एक लोहे के जाल / पिंजरे में बंद कर दिया, जैसे किसी इंसान नहीं बल्कि जानवर को कैद किया जाता हो।
इस दौरान न तो उसे ठीक से भोजन दिया जाता, न ही बाहर निकलने की अनुमति थी।

किसी तरह उसकी हालत की सूचना स्थानीय लोगों के जरिए पुलिस तक पहुंची। सूचना पर पहुंची पुलिस टीम ने जब
घर में तलाशी ली तो लोहे के जाल में बंद उस नवविवाहिता को देखकर खुद पुलिसकर्मी भी दंग रह गए।
पुलिस की हस्तक्षेप के बाद आखिरकार पीड़िता को उस कैद से आजाद कराया गया और उसे सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।

बदले की हैवानियत: अश्लील वीडियो वायरल कर किया सामाजिक उत्पीड़न

युवती का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के बाद पति की नफरत और बदले की भावना और भी बढ़ गई।
आरोप है कि पति ने उसका अश्लील वीडियो तैयार किया, एमएमएस बनाया और फिर उसे
सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, ताकि वह समाज के बीच सिर उठाकर जी ही न सके।

यह सिर्फ शारीरिक हिंसा का मामला नहीं रहा, बल्कि यह डिजिटल शोषण और चरित्र हनन का भी
गंभीर उदाहरण बन गया। अश्लील वीडियो वायरल होने के भय से कई महिलाएं शिकायत दर्ज कराने से कतराती हैं,
लेकिन इस पीड़िता ने हिम्मत नहीं छोड़ी और सीधे महिला आयोग के सामने खड़ी होकर न्याय की गुहार लगाई।

पीड़िता पर ही दर्ज कराए गए झूठे मुकदमे

मामले का सबसे भयावह और चौंकाने वाला पहलू यह है कि अत्याचार सह रही उसी पत्नी के खिलाफ पति ने
उल्टे झूठे मुकदमे दर्ज करा दिए। आरोप है कि ससुराल पक्ष ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके ऐसा माहौल
बनाने की कोशिश की, मानो गलती उसी महिला की हो।

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अक्सर देखा जाता है कि घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और यौन शोषण वाले मामलों में पीड़िता को ही आरोपी बना दिया जाता है,
ताकि वह लंबे समय तक कानूनी जाल में उलझी रहे और केस लड़ने की उसकी हिम्मत टूट जाए। यह मामला भी
उसी पैटर्न की ओर इशारा करता है।

महिला आयोग की सख्ती: मुकदमे खत्म कर कठोर कार्रवाई के निर्देश

पूरी घटना सुनने के बाद महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को
सख्त निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सबसे पहले पीड़ित महिला के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों की विस्तृत समीक्षा की जाए
और यदि वे बेबुनियाद पाए जाएं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से खत्म किया जाए।

इसके साथ ही उन्होंने पीड़िता के पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए।
बबीता चौहान ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि पीड़िता को हर स्तर पर सुरक्षा, कानूनी मदद और मनोवैज्ञानिक सहयोग
मिले, ताकि वह अपने जीवन को दोबारा संभाल सके और न्याय की लड़ाई मजबूती से लड़ पाए।

दहेज और महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल

जालौन की यह वारदात केवल एक परिवार की निजी कहानी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में दहेज प्रथा,
पितृसत्तात्मक सोच और महिलाओं के प्रति हिंसा
की गहरी जड़ें उजागर करती है।
शिक्षा और जागरूकता के इस दौर में भी यदि किसी नवविवाहिता को लोहे के पिंजरे में कैद करना पड़े और फिर उसका
अश्लील वीडियो वायरल कर उसे तोड़ने की कोशिश की जाए, तो यह हमारे पूरे सामाजिक ढांचे पर सवाल खड़े करता है।

ऐसी घटनाएं इस बात की तगड़ी याद दिलाती हैं कि केवल कानून बनाना या आयोग बनाना ही काफी नहीं,
बल्कि कानून का कड़ाई से पालन, तेज न्यायिक प्रक्रिया और समाज की मानसिकता में बदलाव भी उतना ही जरूरी है।
जब तक हर घर, हर मोहल्ले, हर गांव और हर शहर में लोग महिला को इंसान नहीं, बराबर का नागरिक समझेंगे,
तब तक ऐसी कहानियां बार-बार सामने आती रहेंगी।

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फिलहाल जालौन की इस पीड़िता ने हिम्मत का जो उदाहरण पेश किया है, वह उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है
जो चुपचाप अत्याचार सहती रहती हैं। जरूरत इस बात की है कि समाज, पुलिस, प्रशासन और न्याय प्रणाली
मिलकर ऐसे मामलों में पीड़ित के साथ मजबूती से खड़े हों और हैवानियत का चेहरा बनने वाले हर आरोपी को कड़ी सजा दिलाएं।

जालौन घटना से जुड़े अहम सवाल–जवाब

सवाल 1: यह घटना कहां और किसके सामने उजागर हुई?

यह दर्दनाक मामला उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से सामने आया। पीड़ित नवविवाहिता ने अपनी
आपबीती उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान के सामने उरई स्थित
रानी लक्ष्मीबाई सभागार में आयोजित जनसुनवाई के दौरान सुनाई।

सवाल 2: पीड़िता ने अपने पति और ससुराल वालों पर क्या आरोप लगाए?

पीड़िता के अनुसार, शादी के तुरंत बाद से ही उसके पति ने दहेज की मांग शुरू कर दी और
उसे शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। आरोप है कि बाद में पति ने उसे लोहे के पिंजरे
में कैद कर दिया, उसका अश्लील वीडियो (एमएमएस) बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया और
उल्टे उसी के खिलाफ झूठे मुकदमे भी दर्ज करा दिए।

सवाल 3: महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने क्या निर्देश दिए?

पूरी घटना सुनने के बाद बबीता चौहान ने जालौन में मौजूद पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि
सबसे पहले पीड़िता के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों की तुरंत समीक्षा की जाए और यदि वे झूठे पाए जाएं
तो उन्हें खत्म किया जाए। साथ ही, पीड़िता के पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई
करने तथा उसे सुरक्षा और कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए गए।

सवाल 4: इस घटना से समाज को क्या सीख मिलती है?

यह मामला साफ संकेत देता है कि दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और डिजिटल उत्पीड़न आज भी गंभीर समस्या बने हुए हैं।
साथ ही यह भी सीख मिलती है कि यदि पीड़ित महिला हिम्मत जुटाकर आगे आए और शिकायत करे, तो
कानून और संस्थाएं उसके पक्ष में खड़ी हो सकती हैं। समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है कि वह
ऐसे मामलों में पीड़ित का साथ दे, न कि उसे ही दोषी ठहराने की कोशिश करे।

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