
आगरा में मंगलवार को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने एक बड़े सेक्स्टॉर्शन नेटवर्क की परतें खोल दीं। इस पूरे खेल की मास्टरमाइंड बनी युवती काजल न सिर्फ पुरुषों को प्यार और विश्वास के जाल में फँसाती थी, बल्कि स्पाई कैमरा एप के जरिए आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड कर उनसे मोटी रकम ऐंठने का संगठित खेल भी चलाती थी। काजल और उसके साथियों — बाह के रहने वाले गणेश समेत — को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जिसके बाद दोनों को जेल भेज दिया गया। लेकिन गिरोह के अन्य सदस्य अब भी पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि यह अपराध सिर्फ लालच का परिणाम नहीं था, बल्कि आर्थिक संकट ने युवती को अपराध की गहराइयों में धकेला। ऑनलाइन गेमिंग में करीब दो लाख रुपये हार जाने के बाद वह कर्ज के बोझ से टूट चुकी थी। यहीं उसके जीवन में प्रवेश हुआ प्रवेंद्र का, जिसने उसे “सोशल मीडिया फ्रेंडशिप, रोमांस और सेक्स्टॉर्शन” के ज़रिए पैसे कमाने का आसान रास्ता दिखाया।
सोशल मीडिया पर अमीर शिकार, बातचीत फिर होटल — पूरी साजिश सोची-समझी
गैंग का संचालन बेहद प्रोफेशनल ढंग से होता था। प्रवेंद्र इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लग्जरी कारों, महंगे गिफ्ट, विदेश यात्राओं और हाईप्रोफाइल पोस्ट डालने वाले लोगों की पहचान करता था। फिर किसी न किसी माध्यम से उनके मोबाइल नंबर खोजे जाते थे। इसके बाद काजल द्वारा पीड़ित को मिस्ड कॉल किया जाता और कॉल बैक करने पर प्यार, रोमांस और हंसी-मजाक से भरोसा जीत लिया जाता।
पीड़ित को संबंध बनाने के लिए होटल या किराए के कमरे बुलाया जाता, जहां पहले से स्पाई कैमरा एप चालू रहता था। संबंध के दौरान आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड कर तुरंत गैंग के बाकी सदस्यों को भेज दिया जाता था। इसके बाद ब्लैकमेलिंग की असली शुरुआत होती — रियाज पुलिसकर्मी होने का रौब दिखाकर डराता और प्रवेश राजनीतिक पहचान का हवाला देकर मामला “शांत कराने” के नाम पर मोटी रकम वसूलता था।
बदनामी के डर ने पीड़ितों को चुप कराया, युवती नाम बदलकर खुद शिकायत करती थी
जिनसे पैसे तुरंत नहीं मिलते थे, उनके खिलाफ युवती ही नाम व पता बदलकर शिकायत दर्ज करा देती थी ताकि पीड़ित को लगे कि उसका ‘केस दर्ज’ हो चुका है। ऐसा करने का उद्देश्य यह होता था कि पीड़ित सामाजिक बदनामी के डर से तुरंत रकम दे दे। इसी कारण अधिकांश पीड़ितों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए चुपचाप पैसे दिए लेकिन शिकायत नहीं की।
पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह शहर, बाह क्षेत्र और पूर्वी जोन में कई लोगों को निशाना बना चुका है। सोशल मीडिया फॉलोअर्स की लिस्ट खंगालकर अब उन लोगों की पहचान की जा रही है जो पहले शिकार बने होंगे।
गैंग के बाकी सदस्य फरार — पुलिस के लिए अगले 48 घंटे अहम
रियाज से संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन उसका मोबाइल बंद मिला। अब कानपुर पुलिस को उसकी जानकारी भेज दी गई है और संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। पुलिस के अनुसार गैंग के पास प्रभावशाली संपर्क और मजबूत नेटवर्क था, जो ऑपरेशन को और भी चुनौतीपूर्ण बनाता है।
डीसीपी सिटी सैयद अली अब्बास ने बताया कि कॉल रिकॉर्ड, चैट बैकअप और होटल फुटेज से बेहद अहम सुराग मिले हैं। टीम तकनीकी और फील्ड दोनों स्तरों पर काम कर रही है और जल्द ही फरार आरोपी भी गिरफ्त में होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी, इसलिए कोई भी संकोच किए बिना शिकायत कर सकता है।
🔻 क्लिक करके सवाल–जवाब पढ़ें (FAQ)
❓ यह सेक्स्टॉर्शन गैंग लोगों को कैसे फँसाता था?
युवती सोशल मीडिया पर अमीर पुरुषों को टारगेट कर प्यार और संबंध का भरोसा देती थी, फिर होटल ले जाकर स्पाई कैमरा से वीडियो बनाती थी।
❓ ब्लैकमेलिंग का तरीका क्या था?
वीडियो बनते ही पुलिसकर्मी बनने का नाटक कर रियाज डराता था और प्रवेश राजनीतिक प्रभाव दिखाकर समझौते के नाम पर पैसे वसूलता था।
❓ पीड़ित शिकायत क्यों नहीं करते थे?
सामाजिक बदनामी, परिवार पर असर और करियर खराब होने के डर से अधिकांश लोग चुपचाप पैसे दे देते थे।
❓ क्या पुलिस गिरोह को पकड़ पाएगी?
मुख्य आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं और फरार सदस्यों की पहचान व लोकेशन ट्रैक हो चुकी है। अगले 48 घंटे पुलिस के लिए अहम हैं।