
कंतारा ए लीजेंड : भारतीय सिनेमा की अद्वितीय धरोहर
अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
भारतीय सिनेमा के इतिहास में कई फिल्में आईं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अपनी छाप छोड़ी। लेकिन यदि एक ऐसी फिल्म की बात की जाए जिसने सिनेमा प्रेमियों के दिलों को गहराई से छुआ और जिसकी गूँज अब भी हर जगह सुनाई देती है, तो वह है कंतारा ए लीजेंड।
16 करोड़ रुपये के छोटे से बजट में बनी इस कन्नड़ फिल्म ने न सिर्फ सिनेमाघरों में तहलका मचाया बल्कि IMDB पर 9.4/10 की रिकॉर्ड रेटिंग हासिल कर यह साबित कर दिया कि एक सशक्त कहानी, बेहतरीन अभिनय और सांस्कृतिक जुड़ाव किसी भी बड़े बजट की फिल्म को टक्कर दे सकता है।
कंटारा ए लीजेंड : रिलीज़ और शुरुआती सफर
कंतारा ए लीजेंड का कन्नड़ संस्करण 30 सितंबर 2022 को रिलीज़ हुआ था। शुरुआत में यह फिल्म सिर्फ क्षेत्रीय स्तर पर देखी गई, लेकिन कुछ ही दिनों में इसकी चर्चा पूरे भारत में फैल गई।
पहले सप्ताह में ही फिल्म ने 1 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर दर्शकों को चौंका दिया।
इसके बाद मुँहज़ुबानी प्रचार ने काम किया और दर्शक भाषा न जानते हुए भी सिनेमाघरों की ओर उमड़ पड़े।
मात्र दो हफ्तों में, यह फिल्म 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई।
यह साबित करता है कि अच्छी कहानी और जड़ों से जुड़ी प्रस्तुति भाषा की दीवारें तोड़ देती है।
कंटारा ए लीजेंड : बहुभाषी यात्रा
पहले कन्नड़ में आई यह फिल्म इतनी पसंद की गई कि दर्शकों की माँग पर इसे अन्य भाषाओं में भी रिलीज़ करना पड़ा।
हिंदी, तमिल और तेलुगु डब संस्करण 14 अक्टूबर 2022 को आए।
मलयालम संस्करण 20 अक्टूबर को रिलीज़ हुआ।
यानी यह फिल्म रीजनल से नेशनल स्तर तक छा गई और बाद में अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँची।

कंटारा ए लीजेंड: कहानी और कथानक
कंतारा शब्द का अर्थ है रहस्यमयी जंगल। फिल्म की कहानी तटीय कर्नाटक के तुलुनाडु क्षेत्र की लोककथाओं पर आधारित है।
इसमें भूत कोला और दैवराधने जैसी अनूठी परंपराओं को दिखाया गया है।
कंबाला (भैंस दौड़) जैसे सांस्कृतिक खेल का रोमांच भी शामिल है।
लोककथाओं के पंजुर्ली दैव और गुलिगा दैव जैसे देवताओं की रहस्यमयी उपस्थिति को गहराई से प्रस्तुत किया गया है।
यह कहानी सिर्फ ग्रामीणों और जमींदारों के संघर्ष तक सीमित नहीं बल्कि मानव बनाम प्रकृति की लड़ाई को भी दर्शाती है।
कंटारा ए लीजेंड: शिवा का किरदार
इस फिल्म के केंद्र में है शिवा, जिसे ऋषभ शेट्टी ने निभाया है।
एक अनगढ़ ग्रामीण, जो अपने दोस्तों के साथ समय बिताता है।
ज़रूरत पड़ने पर गाँव का रक्षक बनता है।
उसकी गठीली काया और भाव-भंगिमाएँ उसे पूरी तरह विश्वसनीय बनाती हैं।
यह किरदार भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार चरित्रों में से एक माना जा रहा है।
कंटारा ए लीजेंड: सहायक किरदार
सप्तमी गौड़ा मुख्य नायिका हैं, जिनकी सादगी और सहजता दर्शकों को प्रभावित करती है।
शिव की माँ, ज़मींदार, वन अधिकारी और दोस्त—सभी किरदार कम समय में भी प्रभाव छोड़ते हैं।
इससे साफ होता है कि फिल्म की ताकत केवल लीड रोल पर नहीं बल्कि पूरे एंसेंबल कास्ट पर टिकी है।
कंटारा ए लीजेंड: तकनीकी पहलू
संगीत – अंजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड स्कोर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
छायांकन – वन क्षेत्र और प्राकृतिक परिवेश को कैमरे ने बड़े ही शानदार ढंग से कैद किया है।
निर्देशन – ऋषभ शेट्टी ने बगैर भारी-भरकम VFX खर्च किए कहानी को जीवंत कर दिखाया है।
फिल्म का क्लाइमेक्स इतना रोमांचक और भावनात्मक है कि दर्शक सिनेमा हॉल से बाहर निकलते समय लंबे समय तक उसे याद रखते हैं।
कंटारा ए लीजेंड: बॉक्स ऑफिस की सफलता
16 करोड़ के बजट पर बनी यह फिल्म अब 300+ करोड़ के क्लब में शामिल हो चुकी है।
कर्नाटक ही नहीं, बल्कि हिंदी बेल्ट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी कमाई ने बड़े-बड़े सितारों की फिल्मों को पीछे छोड़ दिया।
कंटारा ए लीजेंड : सांस्कृतिक महत्व
फिल्म केवल मनोरंजन नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा का जीवंत चित्रण है।
इसमें दिखाया गया है कि ग्रामीण समुदाय किस तरह देवताओं और रक्षक आत्माओं पर विश्वास करता है।
जंगली सूअर (वराह अवतार से जुड़ा) को शुभ माना जाना, भारतीय आस्था और प्रकृति के बीच सामंजस्य का अद्भुत उदाहरण है।
कंटारा ए लीजेंड : ऋषभ शेट्टी का उदय
फिल्म से पहले ऋषभ शेट्टी केवल कर्नाटक में पहचाने जाते थे।
लेकिन आज वे
पुष्पा के अल्लू अर्जुन,
केजीएफ के यश,
आरआरआर के जूनियर एनटीआर और राम चरण,
की तरह एक पैन इंडिया स्टार बन चुके हैं।
उनकी विनम्रता और जड़ों से जुड़ाव उन्हें और खास बनाता है।
कंटारा ए लीजेंड : क्यों खास है?
भारी VFX या स्टार पावर के बिना भी दर्शकों को बाँधने की ताकत।
सांस्कृतिक और लोककथाओं का चित्रण जो भारतीय सिनेमा में कम देखने को मिलता है।
मानवीय भावनाओं और प्रकृति के बीच गहरा संबंध।
क्लाइमेक्स – जो दर्शकों को रोंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव देता है।
कंतारा ए लीजेंड सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आस्था की आत्मा को बड़े परदे पर जीवंत करने वाली यात्रा है। इसने यह साबित किया है कि सिनेमा तभी सफल होता है जब वह दिल से जुड़ता है।
इस फिल्म ने रीजनल और नेशनल की दीवारें तोड़ीं, और आने वाले समय में यह भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम अध्यायों में दर्ज होगी।
