संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट, आज जिले में सामाजिक न्याय और महिला सम्मान को लेकर एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया। शिवाजी सेवा संस्थान की अगुवाई में मूलनिवासी अमित पटेल, जिला पंचायत सदस्य मीरा भारती और एडवोकेट प्रखर पटेल सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस अधीक्षक चित्रकूट को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में दो प्रमुख मुद्दों को लेकर गहरी चिंता और कड़ी मांगें दर्ज की गईं—पहला, बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के करका पडरिया गांव में एक महिला पर हुए जानलेवा हमले की निष्क्रिय जांच, और दूसरा, महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे अपमानजनक बयानों पर कार्रवाई की मांग।
पहला मुद्दा: करका पडरिया गांव की महिला पर हमला और पुलिस की निष्क्रियता
ज्ञापन में विस्तार से उल्लेख किया गया कि मंजू यादव, जो बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के करका पडरिया गांव की निवासी हैं, उन पर त्रियुगी नारायण उर्फ बुद्धा और उसके सहयोगी रामआसरे द्वारा जानलेवा हमला किया गया। हैरानी की बात यह है कि घटना को 8 दिन बीत चुके हैं, फिर भी आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
शिवाजी सेवा संस्थान ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि:
पुलिस को तत्काल त्रियुगी नारायण और रामआसरे को गिरफ्तार करना चाहिए।
त्रियुगी नारायण के पास मौजूद लाइसेंसी असलहा का दुरुपयोग किया गया है। इसका उपयोग सुरक्षा के बजाय धमकाने और अपराध को छिपाने में किया गया, इसलिए उसका लाइसेंस रद्द किया जाए और असलहा जब्त किया जाए।
इस घटना में सबूत मिटाने की धाराएं भी जोड़ी जाएं, क्योंकि आरोपी द्वारा अपराध के बाद साक्ष्य नष्ट करने की आशंका है।
थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पीड़िता की बेटी ने बहिलपुरवा के थाना प्रभारी आशुतोष तिवारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उसके अनुसार, जब वे थाने में शिकायत दर्ज कराने गए तो उन्हें डांटकर भगा दिया गया, क्योंकि त्रियुगी नारायण ने थाना प्रभारी को पैसे दिए थे। यह आरोप न केवल एक व्यक्तिगत लापरवाही है, बल्कि पूरे पुलिस तंत्र पर सवाल उठाता है।
संस्थान ने मांग की है कि:
- थाना प्रभारी को तत्काल प्रभाव से प्रभावहीन किया जाए।
- इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कड़ी विधिक कार्रवाई हो।
- दूसरा मुद्दा: महिला विरोधी प्रवचनों पर कड़ा एतराज
ज्ञापन का दूसरा भाग धार्मिकता के नाम पर महिलाओं को अपमानित करने वाले स्वयंभू बाबाओं के खिलाफ था। संस्थान ने कहा कि ऐसे बयान न केवल महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हैं, बल्कि सनातन धर्म की मर्यादा को भी खंडित करते हैं। ज्ञापन में चार नामों को विशेष रूप से चिन्हित किया गया:
1. धीरेंद्र शास्त्री – जिनका कथन था: “जिस स्त्री की मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र न हो, वह खाली प्लॉट है।”
यह बयान महिलाओं को वस्तुकरण करने वाला है और गहरी सामाजिक अपमानजनकता को दर्शाता है।
2. अनिरुद्धाचार्य – जिन्होंने कहा: “25 साल की लड़कियां चार जगह मुंह मार चुकी होती हैं।”
यह बयान सीधे-सीधे चरित्र हनन है और युवतियों को संवेदनहीन रूप से पेश करता है।
3. प्रेमानंद महाराज – जिनका दावा था: “100 में से 2 से 4 ही लड़कियां पवित्र होती हैं।”
यह बयान महिलाओं को संदिग्ध और अपवित्र बताने की घृणास्पद कोशिश है।
4. साध्वी ऋतंभरा – जिन्होंने कहा: “हिंदू लड़कियां नंगी होकर पैसे कमा रही हैं।”
यह कथन महिलाओं को सार्वजनिक रूप से नीचा दिखाने और उनके स्वतंत्र अस्तित्व को कटघरे में खड़ा करता है।
संस्थान की स्पष्ट मांग है कि:
इन चारों प्रवचनकर्ताओं पर चित्रकूट में FIR दर्ज की जाए।
इन्हें जनसमुदाय में खुला घूमने से रोका जाए, क्योंकि इनकी विचारधारा समाज में विष घोलने का काम कर रही है।
चेतावनी
अमित पटेल ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यदि इन मुद्दों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं होती है, तो संस्थान जनांदोलन की राह पकड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के सम्मान और ग्रामीण न्याय के लिए यह लड़ाई थमेगी नहीं।
इस ज्ञापन सौंपने के अवसर पर मीरा भारती, एड. प्रखर पटेल, मुकेश कुमार, संजय पटेल और गोलू राज सहित शिवाजी सेवा संस्थान के अनेक सदस्य मौजूद रहे।
निष्कर्षतः, यह ज्ञापन न केवल एक स्थानीय आपराधिक घटना की निष्क्रियता की ओर इशारा करता है, बल्कि उन धार्मिक प्रवृत्तियों पर भी सवाल उठाता है जो आधुनिक भारत में महिलाओं के सम्मान को चुनौती देती हैं। यह देखा जाना बाकी है कि प्रशासन इन मांगों पर कितनी तत्परता से कार्यवाही करता है या फिर यह भी एक ज्ञापन भर बनकर रह जाएगा।