अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश इस समय भीषण प्राकृतिक आपदा की गिरफ्त में है। लगातार हो रही मूसलधार बारिश और नदियों के उफान ने 18 जिलों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। बाढ़, बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बीते 24 घंटे में प्रदेशभर में 12 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि हजारों लोग अब भी सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं।
आंकड़ों की ज़ुबानी तबाही का मंजर
राहत आयुक्त कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, 2 अगस्त की शाम से लेकर 3 अगस्त की शाम तक कुल 12 लोगों की जान जा चुकी है। यह मौतें विभिन्न जिलों में अलग-अलग कारणों से हुई हैं—
कौशांबी में सबसे अधिक 3 लोगों की मृत्यु हुई है।
बदायूं, बिजनौर, बलरामपुर, महोबा, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, अमरोहा, मऊ और पीलीभीत में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
यदि कारणों की बात करें, तो मरने वालों में से
1 की मौत आकाशीय बिजली गिरने से, 2 की डूबने से, 4 की सांप के काटने से, 1 की आंधी-तूफान से, 3 की ओलावृष्टि से और 1 व्यक्ति की मृत्यु अन्य कारणों से हुई है।
ये जिले हैं सर्वाधिक प्रभावित
फिलहाल प्रदेश के 18 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाजीपुर, मीरजापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर शामिल हैं। इन जिलों में जगह-जगह जलभराव की स्थिति बन गई है और कई मकानों की पहली मंजिल तक पानी पहुंच चुका है।
रेस्क्यू और राहत अभियान में पूरी ताकत झोंकी गई
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में दिन-रात जुटी हैं। 493 नावों और मोटरबोट्स के जरिए बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में आवश्यक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
84,392 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं,
- जिनमें से 47,906 को राहत सहायता दी गई है।
- 2,759 मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया सख्त संज्ञान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालात की गंभीरता को देखते हुए रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों से सीधे संवाद किया। उन्होंने साफ निर्देश दिए कि—
राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी,
- बाढ़ शरणालयों में महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था अनिवार्य हो,
- खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और मात्रा की रेंडम जांच हो,
- जर्जर भवनों में कोई भी न रुके, उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए।
मुख्यमंत्री ने केवल बड़ी नावों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने पर जोर दिया और छोटी नावों पर पूरी तरह रोक लगाने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य और पुनर्वास का भी रखा गया ध्यान
प्रभावित क्षेत्रों में 757 मेडिकल टीमों को सक्रिय किया गया है, जो राहत शिविरों में रह रहे लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं। अब तक—
- 1,29,571 क्लोरीन टैबलेट,
- 37,089 ओआरएस पैकेट,
- और मवेशियों के लिए 500 क्विंटल भूसा वितरित किया जा चुका है।
- शरणालयों और चौकियों की व्यवस्था
राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए
- 905 बाढ़ शरणालय सक्रिय किए हैं,
- जिनमें 11,248 लोग अस्थायी रूप से रह रहे हैं।
साथ ही, 1,193 बाढ़ चौकियों की स्थापना कर क्षेत्रीय स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
इन शरणालयों में 29 लंगर कैंप भी लगाए गए हैं, जहां पीड़ितों को रोजाना 76,632 लंच पैकेट और 6,536 खाद्यान्न किट वितरित किए जा चुके हैं।
भविष्य की स्थिति और मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग की मानें तो गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर आगामी 24 घंटों में और बढ़ सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि इसके बाद जलस्तर के कम होने की संभावना भी जताई गई है। प्रदेश सरकार ने 24×7 कंट्रोल रूम को सक्रिय रखते हुए प्रत्येक जिले से नियमित रिपोर्ट मंगाने का आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश इस समय एक कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन सरकार और प्रशासन दोनों पूरी सक्रियता के साथ लोगों की सहायता में जुटे हैं। मुख्यमंत्री स्वयं हालात की निगरानी कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब ज़रूरत इस बात की है कि लोग भी सतर्क रहें, प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें और जरूरतमंदों की मदद के लिए एकजुट हों। यह समय है— सहयोग, संवेदना और सजगता का।