किसानों की आंखों में मायूसी , खेतों में तबाही का मंजर — बारिश से भयंकर फसल नुकसान





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🌾 सर्वेश द्विवेदी की खास रिपोर्ट 🌾

किसानों की आंखों में मायूसी, खेतों में तबाही का मंजर

देवरिया: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हाल ही में हुई लगातार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं। धान, अरहर और आलू जैसी प्रमुख फसलें चौपट हो चुकी हैं। कई इलाकों में खेतों में पानी भरा है जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है। ग्रामीण इलाकों में चारों तरफ मायूसी का माहौल है।

धान और अरहर की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान

जिले के भटनी, सलेमपुर, रुद्रपुर, बनकटा और बरहज क्षेत्र में धान की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने उम्मीद के साथ बुआई की थी, लेकिन भारी वर्षा ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अरहर की फसल जो अब पकने की स्थिति में थी, वह भी कीचड़ में गिरकर सड़ने लगी है।

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किसानों की आंखों में मायूसी, सरकारी राहत की उम्मीद

कई किसानों ने बताया कि फसलें तो बर्बाद हो ही गई हैं, अब उन्हें चिंता है कि घर कैसे चलेगा। किसान हरिशंकर यादव का कहना है, “धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। बीज, खाद और मजदूरी पर खर्च किया सारा पैसा डूब गया। अब बच्चों की फीस और घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।”

प्रशासन ने नुकसान का सर्वे शुरू करने की बात कही है। तहसीलदार रुद्रपुर ने बताया कि राजस्व टीम गांव-गांव जाकर खेतों का निरीक्षण कर रही है। जल्द ही नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी।

बारिश का असर सब्जियों और पशुधन पर भी

लगातार बारिश के कारण न केवल अनाज बल्कि सब्जियों की फसलें भी चौपट हो गई हैं। टमाटर, बैंगन, भिंडी और मिर्च जैसी फसलें पानी में गल गईं। पशुपालक भी परेशान हैं क्योंकि कई पशु बीमार हो गए हैं। कई गांवों में चारे की भी कमी हो गई है।

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ग्रामीण इलाकों में खेतों में कीचड़ और पानी भरा

देवरिया जिले के दर्जनों गांवों में अब भी खेतों में पानी भरा हुआ है। किसान खेतों में जा नहीं पा रहे हैं। कुछ जगहों पर तो धान की बाली सड़ने लगी है। इससे उत्पादन पर भारी असर पड़ने की संभावना है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण मिट्टी की नमी बढ़ जाने से रबी की फसलों की बुआई में भी देरी हो सकती है।

कृषि विशेषज्ञों की चेतावनी और सलाह

कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि “अत्यधिक वर्षा के कारण मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे पौधों की जड़ें गलने लगती हैं। किसानों को चाहिए कि जैसे ही पानी उतर जाए, खेतों की जुताई कर मिट्टी को सूखने दें ताकि अगली फसल की तैयारी सही तरीके से की जा सके।”

उन्होंने यह भी कहा कि किसान इस स्थिति में फसल बीमा योजना का लाभ जरूर लें और नुकसान की सूचना समय पर दें ताकि उन्हें मुआवजा मिल सके।

प्रशासन ने की सर्वे की घोषणा

जिलाधिकारी देवरिया ने बताया कि सभी तहसीलों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों के नुकसान का सर्वे कर रिपोर्ट भेजें। साथ ही राहत विभाग को कहा गया है कि जरूरतमंद किसानों को अस्थायी सहायता उपलब्ध कराई जाए।

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किसानों की मांग – त्वरित मुआवजा और बीमा दावा

किसान संगठनों ने सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग की है। भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक राजेश मौर्य ने कहा कि “देवरिया के लगभग 60 प्रतिशत किसानों की फसलें नष्ट हो चुकी हैं। अगर सरकार जल्द मदद नहीं करती तो किसानों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा जाएगी।”

उन्होंने कहा कि सरकार को बीमा कंपनियों से तुरंत सर्वे करवाकर भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।

देवरिया जिले में हुई भारी बारिश ने कृषि क्षेत्र को गहरा झटका दिया है। खेतों में तबाही और किसानों की आंखों में मायूसी देखकर साफ है कि यह आपदा सिर्फ प्राकृतिक नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट भी बन चुकी है। किसानों को अब प्रशासन और सरकार की राहत की सख्त जरूरत है।

📰 रिपोर्ट: सर्वेश द्विवेदी |©समाचार दर्पण देवरिया, उत्तर प्रदेश


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