
मुंह में फटा पटाखा : बांदा में हुआ दिल दहला देने वाला हादसा
सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बुधवार शाम एक ऐसी भयावह घटना घटी जिसने पूरे गांव को सन्न कर दिया। बड़ोखर खुर्द गांव में खेल-खेल में मासूम बच्चों के हाथों हुई लापरवाही ने आठ वर्षीय आकाश की जान ले ली। मुंह में फटा पटाखा इतना जोरदार धमाका कर गया कि बच्चे का जबड़ा चकनाचूर हो गया। यही नहीं, उसका बड़ा भाई सूरज भी गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी आंख की रोशनी तक जाती-जाते बची।
खेल-खेल में मिली मौत
प्रतिमा विसर्जन से लौटते समय राम बाबू के बेटे सूरज (10), आकाश (8) और छोटे भाई (4) को सड़क पर एक पटाखा पड़ा मिला। बच्चों को खेल-खेल में यह पटाखा भाया और वे उसे घर उठा लाए। रात करीब 8 बजे, जब दोनों बड़े भाइयों ने उस पटाखे को जलाने की कोशिश की, तो वह नहीं दगा। इसके बाद जिज्ञासावश दोनों ने उसमें से बारूद निकालने की कोशिश शुरू कर दी।
यहीं से खतरे की शुरुआत हुई। आकाश ने अनजाने में पटाखे को दांतों से चबाना शुरू किया और अचानक मुंह में फटा पटाखा। एक ही क्षण में पूरा कमरा धमाके से गूंज उठा और बच्चों की चीख-पुकार से मोहल्ला कांप उठा।
जबड़े के चीथड़े उड़ गए
धमाका इतना जोरदार था कि मोहल्ले के लोग तुरंत घटनास्थल की ओर भागे। कमरे में पहुंचने पर सभी ने देखा कि दोनों बच्चे खून से लथपथ पड़े थे। आठ वर्षीय आकाश के होंठ फट चुके थे, निचले जबड़े की हड्डी टूट गई थी और कई दांत उखड़कर बाहर गिर चुके थे। उसका चेहरा पहचानना भी मुश्किल हो गया था।
वहीं, पास बैठे सूरज की आंख में पटाखे के टुकड़े घुस गए। हालांकि किस्मत से उसकी आंख बच गई और बड़ा नुकसान होने से टल गया।
गांव में मातम, अस्पताल में संघर्ष
घटना के समय बच्चों के माता-पिता घर पर नहीं थे। आसपास के लोग तुरंत दोनों भाइयों को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले गए। वहां डॉक्टरों ने आकाश को बचाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन चोट इतनी गहरी थी कि इलाज शुरू होने के महज दो घंटे बाद ही रात 10 बजे उसकी मौत हो गई।
दूसरी ओर, सूरज को प्राथमिक उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। उसकी आंख फिलहाल सुरक्षित है, लेकिन इस हादसे ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही कोतवाली प्रभारी बलराम सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। परिजनों और ग्रामीणों से पूछताछ की जा रही है। यह स्पष्ट हो चुका है कि यह हादसा बच्चों की मासूम जिज्ञासा और लापरवाही की वजह से हुआ।
मुंह में फटा पटाखा – क्यों है इतना खतरनाक?
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। दीपावली या अन्य पर्वों पर अक्सर बच्चे पटाखों से खेलते हैं। लेकिन मुंह में फटा पटाखा जैसी घटनाएं बच्चों की जान तक ले सकती हैं। पटाखे के अंदर बारूद और रासायनिक मिश्रण होते हैं, जो दबाव या दांतों से दबाने पर तुरंत विस्फोट कर सकते हैं।
इस हादसे से क्या सीख ले समाज?
बच्चों पर निगरानी रखें : छोटे बच्चों को पटाखों से बिल्कुल दूर रखें।
जागरूकता जरूरी है : स्कूलों और गांवों में पटाखों के खतरों पर जागरूकता अभियान चलना चाहिए।
सुरक्षा उपाय अपनाएं : पटाखों को हमेशा खुले स्थान पर जलाना चाहिए और असफल पटाखे को दोबारा छेड़ने से बचना चाहिए।
घरेलू सतर्कता : माता-पिता को चाहिए कि त्योहारों के समय बच्चों पर पैनी नजर रखें।
आंसुओं में डूबा गांव
आकाश की मौत ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया है। पड़ोसी और रिश्तेदार परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे, लेकिन मां-बाप की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। हर कोई यही कह रहा था कि यदि बच्चों को पटाखे के खतरों की जानकारी होती, तो आज यह हादसा टल सकता था।
बांदा जिले में हुआ यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि एक बड़ी सीख भी है। मुंह में फटा पटाखा जैसी घटनाएं मासूम जिंदगियों को लील जाती हैं। त्योहारों और उत्सवों के समय बच्चों की जिज्ञासा और मासूम खेलकूद को नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है। इसलिए अब समाज को जागरूक होना होगा और बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।