संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। उत्तर भारत के कई हिस्सों में मानसून सक्रिय है, लेकिन बुंदेलखंड के चित्रकूट जनपद में यह बारिश अब आपदा का रूप ले चुकी है। लगातार हो रही भारी वर्षा के चलते यमुना, मंदाकिनी और बरदहा जैसी नदियों का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। परिणामस्वरूप कई गांवों में पानी भर गया है और आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है।
बाढ़ से प्रभावित जनजीवन, सड़कों पर नावें, स्कूलों में शरण
सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में सरधुवा, अर्की मोड़, चमरौहा, सकरौहा और रैपुरा गांव शामिल हैं। सरधुवा ग्राम पंचायत में मंदाकिनी और यमुना के उफान से 45 घरों के लगभग 130 लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्हें कंपोजिट विद्यालय सरधुवा में आश्रय दिया गया है।
सड़क मार्ग पूरी तरह ठप हो गया है। कमासिन-राजापुर संपर्क मार्ग जलमग्न होने से गांवों का संपर्क टूट चुका है। जहां पहले गाड़ियाँ दौड़ती थीं, वहां अब नावें लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रही हैं।
रामघाट में मंदिरों और दुकानों में घुसा पानी
रामघाट स्थित मंदिरों और दुकानों में मां मंदाकिनी का जल प्रवेश कर चुका है, जिससे धार्मिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं। घाट क्षेत्र में स्थानीय दुकानदारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
प्रशासन अलर्ट मोड पर, जिलाधिकारी और एसपी ने किया दौरा
हालात की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन एवं पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह स्वयं बाढ़ग्रस्त इलाकों का स्थलीय निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सभी राहत शिविरों में भोजन, चिकित्सा, शौचालय, साफ पानी, चारा और टीकाकरण जैसी जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित कराई जाएं।
प्रशासन ने साफ निर्देश दिया है कि नावों में क्षमता से अधिक लोग न बैठाए जाएं और बाढ़ प्रभावित इलाकों में मेडिकल कैंप जल्द से जल्द लगाए जाएं ताकि बीमारी फैलने से रोका जा सके।
गुंता बांध के खुले फाटक, गांवों में जारी किया गया एलर्ट
मानिकपुर तहसील के रैपुरा गांव स्थित गुंता बांध में जल स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ने पर फाटक खोल दिए गए हैं। उप जिलाधिकारी मोहम्मद जसीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और संभावित खतरे से निपटने के लिए प्रशासन को सक्रिय किया।
बरदहा नदी का जल स्तर बढ़ने से चमरौहा और सकरौहा गांव भी खतरे की जद में आ गए हैं। प्रभारी नायब तहसीलदार दयाशंकर वर्मा और लेखपाल अरबाज सिद्दीकी लगातार निगरानी कर रहे हैं।
मऊ तहसील के कई गांव प्रभावित, राहत कार्य जारी
मऊ मानिकपुर क्षेत्र में यमुना का जलस्तर बढ़ने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं। उप जिलाधिकारी मऊ, थाना प्रभारी दुर्गविजय सिंह व प्रशासन की टीम गांवों में राहत सामग्री वितरण के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने का कार्य कर रही है।
प्रशासन ने मवेशियों की स्थिति को भी नजरअंदाज नहीं किया है। पशुओं के लिए भूसे और चारे की व्यवस्था के साथ-साथ टीकाकरण का कार्य भी किया जा रहा है।
रेड अलर्ट के बीच चौकसी बढ़ी, संवेदनशील गांवों में प्रशासन तैनात
बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है और पुलिस चौकियों, थाना प्रभारियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। सभी अधिकारियों को लगातार क्षेत्र भ्रमण और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने को कहा गया है।
बारिश बनी आपदा: ज़रूरत है जन-जागरूकता और स्थायी समाधान की
चित्रकूट की यह त्रासदी एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती है कि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा जरूर है, लेकिन इससे निपटने की तैयारी अब भी अधूरी क्यों है? नदी तटों पर अनियंत्रित निर्माण, जल निकासी की खराब व्यवस्था, और बांधों की देखरेख में लापरवाही जैसी समस्याएं हर साल इस आपदा को दोहराती हैं।
जहां एक ओर जिला प्रशासन मुस्तैदी से राहत और बचाव कार्यों में लगा हुआ है, वहीं यह समय जन-जागरूकता, पूर्व चेतावनी प्रणाली और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में ठोस पहल का भी है। बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए तत्काल राहत के साथ-साथ भविष्य के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है।