संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
देशभर में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियान चाहे जितने बुलंद नारों के साथ चलाए जाएं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। मिशन नारी शक्ति के नाम पर सरकारी पोस्टर चमकाए जा रहे हैं, लेकिन उन बेटियों की चीखें कहीं सुनाई नहीं देतीं, जो रोज़ अपने गांव, अपने मोहल्ले में ही हैवानियत की आग में झुलस रही हैं।
ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया है चित्रकूट के कर्वी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कोल गदहिया से, जहां एक नाबालिग बच्ची को गांव के ही मनचले युवक द्वारा लगातार मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। बच्ची ने पढ़ाई छोड़ दी, मदरसे में पढ़ने लगी तो वहां भी वह युवक उसका पीछा करता रहा। शर्म की बात यह है कि स्थानीय पुलिस को इस मामले की सूचना बार-बार दी गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज़ चुप्पी और औपचारिकता निभाई गई।
✒️ रास्ते में करता था छेड़छाड़, सोशल मीडिया पर भेजता था फोटो
पीड़ित बच्ची ने बताया कि आरोपी स्माइल पुत्र स्व. अलाउद्दीन उसे राह चलते अश्लील टिप्पणियाँ करता, वीडियो बनाता और सोशल मीडिया के ज़रिए उसकी तस्वीरें भेजता था। डर और अपमान के चलते उसने स्कूल छोड़ दिया। जब वह मदरसे में पढ़ने लगी, तो आरोपी ने वहां भी पीछा करना शुरू कर दिया।
🩸 सरकारी नल पर दरिंदगी, फिर परिजनों की पिटाई
9 जुलाई 2025 को जब पीड़िता पानी भरने सरकारी नल पर गई थी, तभी पहले से घात लगाए बैठे आरोपी ने उसे पकड़कर बेहद आपत्तिजनक हरकतें कीं। पीड़िता की चीख-पुकार सुनकर उसका पिता और भाई दौड़े आए, लेकिन आरोपी ने अपने भाई नूर अली के साथ मिलकर पीड़िता के पिता और भाई को बुरी तरह पीटा। लाठी-डंडों से हुई इस मारपीट में दोनों को गंभीर चोटें आईं।
📝 पुलिस को दी तहरीर, दबंगों ने कराया जबरन सुलह
घटना के तुरंत बाद परिजनों ने सदर कोतवाली में शिकायती पत्र देकर एफआईआर की मांग की, लेकिन गांव के कुछ रसूखदारों के दबाव में पुलिस ने समझौता करवा दिया। पीड़ित परिवार निरक्षर था, इसलिए उन्हें दस्तावेज़ की जानकारी नहीं थी और अंगूठा लगवा लिया गया। लेकिन समझौते के बाद आरोपी और भी अधिक बेखौफ हो गया। उसने दोबारा अभद्रता शुरू कर दी और खुलेआम धमकी देने लगा—”चाहे जहां जाओ, कोई कुछ नहीं कर सकता।”
😞 न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रहा है परिवार
अपनी बेटी की अस्मिता को बचाने और सुरक्षा की गुहार लेकर पीड़ित पिता, मां, बेटा और नाबालिग बेटी ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच चौकी खोह को सौंप दी है, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी न कोई कार्रवाई हुई, न ही आरोपी गिरफ़्तार हुआ।
🚨 आत्महत्या की बात कह रही है नाबालिग, क्या प्रशासन जागेगा?
सबसे दिल दहला देने वाली बात यह है कि पीड़ित बच्ची अब आत्महत्या की बात कह रही है। उसने कहा,
“मैं इतनी तंग आ गई हूं कि आत्महत्या कर लूं, लेकिन मां-पिता और भाई का चेहरा देखकर रुक जाती हूं…”
यह एक चेतावनी है—सिर्फ इस परिवार के लिए नहीं, बल्कि उस व्यवस्था के लिए भी जो बेटियों की सुरक्षा को प्राथमिकता कहती है लेकिन जमीनी स्तर पर निष्क्रिय है।
❓ सवाल सीधा है…
- क्या पुलिस किसी बड़ी अनहोनी का इंतज़ार कर रही है?
- क्या अभियुक्त की पहुंच और रसूख कानून से ऊपर है?
- क्या बेटियों को आत्महत्या के कगार पर पहुंचाकर ही प्रशासन जागेगा?
📣 अब उम्मीद पुलिस अधीक्षक से
अब निगाहें पुलिस अधीक्षक महोदय पर टिकी हैं कि क्या वह इस मामले को गंभीरता से लेकर आरोपी स्माइल और उसके भाई नूर अली के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेंगे या फिर पीड़ित परिवार यूं ही अन्याय के दलदल में फंसा रहेगा?
यह खबर सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि उस तंत्र की पोल खोलती है जो बेटियों की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ भाषण देता है, लेकिन जब उन्हें सच में सुरक्षा चाहिए होती है, तो आंखें मूंद लेता है।