देवरिया ब्यूरो रिपोर्ट
सलेमपुर(देवरिया)। कभी-कभी एक जीवन केवल अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए उदाहरण बन जाता है। ऐसा ही एक नाम है—स्व. गौरीशंकर द्विवेदी। नगर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान जी एम एकेडमी सीनियर सेकेंडरी के संस्थापक रहे स्व. द्विवेदी की 12वीं पुण्यतिथि विद्यालय परिसर में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और स्मरण की भावना के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम का आरंभ अत्यंत गरिमामय ढंग से हुआ। विद्यालय के चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र, निदेशिका डॉ. संभावना मिश्रा और प्रधानाचार्य श्री मोहन द्विवेदी ने संस्थापक की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की।
यह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि वह क्षण था जब विद्यालय परिवार ने अपने मार्गदर्शक को हृदय से नमन किया।
शिक्षा और अनुशासन के प्रति उनका समर्पण था अनुकरणीय
चेयरमैन डॉ. श्री प्रकाश मिश्र ने भावुक होकर कहा—
“स्व. गौरीशंकर द्विवेदी केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि शिक्षा और अनुशासन के सजग प्रहरी थे। उन्होंने जीवन भर ‘नकलविहीन परीक्षा प्रणाली’ को प्रोत्साहित किया और आधुनिक शिक्षा के बीज सलेमपुर में बोए।”
उन्होंने बताया कि दिवंगत द्विवेदी का स्वप्न था कि सलेमपुर केवल एक कस्बा नहीं, बल्कि ‘शिक्षा का केंद्र’ बने—और उन्होंने इस स्वप्न को अपने कर्म और निष्ठा से आकार भी दिया।
सादा जीवन, उच्च विचार के प्रतीक
प्रधानाचार्य श्री मोहन द्विवेदी ने संस्थापक को याद करते हुए कहा—
“वे सादा जीवन और उच्च विचार के जीते-जागते उदाहरण थे। बहुत कम संसाधनों में उन्होंने जिस समर्पण से एक संस्थान की नींव रखी, वही आज एक वटवृक्ष की तरह समाज को शिक्षित करने का कार्य कर रहा है।”
श्रद्धा और स्मृतियों का संगम
कार्यक्रम में शिक्षक एस.एन. पांडेय, वी.वी. सहदेव, अजय मिश्र, डी.के. मिश्र, श्वेता राज, दिलीप कुमार सिंह, एस.के. गुप्ता, साक्षी उपाध्याय, भारती सिंह, सरिता तिवारी, डी.एन. उपाध्याय सहित अन्य गणमान्य शिक्षकों ने मंच से संबोधित करते हुए स्व. द्विवेदी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
सभी वक्ताओं ने एक स्वर में स्वीकारा कि वे एक आत्मानुशासित, दूरदर्शी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे, जिन्होंने पहले जनता इंटर कॉलेज चकरवां बरसीपार में प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवा दी और बाद में जी एम एकेडमी सीनियर सेकेंडरी की स्थापना कर सलेमपुर की शिक्षा को एक नई दिशा दी।
भावनाओं में डूबी पुत्री की आंखें
संस्थापक की सुपुत्री एवं विद्यालय की निदेशिका डॉ. संभावना मिश्रा अपने पिता की स्मृतियों को याद कर बेहद भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा—
“मेरे पापा ने जो मूल्य दिए, वही इस संस्थान की रीढ़ हैं। आज भी जब संस्थान का हर बच्चा अनुशासन, नैतिकता और ज्ञान में अग्रणी बनता है, तो लगता है पिता जी की आत्मा मुस्कुरा रही होगी।”
रूद्राभिषेक और प्रसाद वितरण से हुआ समापन
पुण्यतिथि के अवसर पर विश्व कल्याणार्थ रूद्राभिषेक का आयोजन भी किया गया। धार्मिक वातावरण के मध्य उपस्थित जनसमूह ने भगवान शिव का अभिषेक कर संस्थापक आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। अंत में सभी को प्रसाद वितरित किया गया।
स्व. गौरीशंकर द्विवेदी का जीवन एक सच्चे शिक्षक, कर्मयोगी और समाज सुधारक का जीवन था। शिक्षा को उन्होंने केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम माना। ऐसे पुरुषार्थी की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए सलेमपुर न केवल कृतज्ञ है, बल्कि प्रेरित भी।