ईद-उल-अजहा (बकरीद) को लेकर देश में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। AIMIM प्रवक्ता असीम वकार ने कुर्बानी पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधा और बीफ एक्सपोर्ट पर बड़ा बयान दिया। पढ़ें पूरी खबर विस्तार से।
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
लखनऊ, देशभर में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद इस वर्ष 7 जून को धूमधाम से मनाई जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्योहार को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे और त्योहार सौहार्दपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।
कुर्बानी को लेकर शुरू हुई राजनीति
हालांकि, बकरीद के मौके पर दी जाने वाली कुर्बानी को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। जाने-माने इस्लामी विद्वान मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि बकरीद पर कुर्बानी हर साहिब-ए-हैसियत मुसलमान पर वाजिब है। यह कोई सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि ईश्वर की पसंदीदा इबादत है।
AIMIM प्रवक्ता का तीखा प्रहार
इसी बीच AIMIM प्रवक्ता असीम वकार ने कुर्बानी पर हो रही बयानबाज़ी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पूछा कि,
“जीव हत्या का जिन्न सिर्फ बकरीद पर ही क्यों जागता है? साल भर पशु प्रेम कहा चला जाता है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे ही बकरीद पास आती है, कुछ “गैंग” सक्रिय हो जाते हैं और मुस्लिम समुदाय को क्रूर और बर्बर कहने लगते हैं। असीम वकार ने आगे कहा कि
“भारत में हर साल 350 करोड़ मुर्गे और 25 करोड़ बकरा-भेड़ काटे जाते हैं, फिर भी कोई कुछ नहीं कहता। तो मुसलमानों को ही निशाना क्यों बनाया जाता है?”
बीजेपी नेताओं के बयानों पर जवाब
असीम वकार ने बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर और तेलंगाना के टी. राजा पर भी निशाना साधा, जिन्होंने कुर्बानी को “जीव हत्या” कहकर आलोचना की थी। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के नेता नीतिश राणे को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि ये लोग हर बार बकरीद पर नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं।
बीफ एक्सपोर्ट और भारत सरकार पर सवाल
असीम वकार ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि
“भारत के स्लॉटर हाउस से हर साल 25,000 करोड़ रुपये का बीफ 35 देशों में एक्सपोर्ट होता है। सबसे ज्यादा स्लॉटर हाउस महाराष्ट्र में हैं और ये सभी भारत सरकार से लाइसेंस प्राप्त हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की 140 करोड़ की आबादी में से 74% लोग मांसाहारी हैं और मुसलमान केवल 14% हैं। फिर सवाल यह है कि
“दबाव केवल 14% पर ही क्यों, 60% मांसाहारी गैर-मुस्लिमों पर क्यों नहीं?”
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग
अंत में, AIMIM प्रवक्ता ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि
“गाय हमारे पूर्वजों की मां है। जब मोदी सरकार ऊंट को संरक्षित कर सकती है, तो गाय को क्यों नहीं? गाय के खरीदने, बेचने और काटने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।”
बकरीद के नजदीक आते ही कुर्बानी पर सियासी बहस तेज हो जाती है। जहां एक ओर धार्मिक समुदाय इसे अपनी आस्था और कर्तव्य से जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक दल इसे जीव रक्षा से जोड़कर विवाद खड़ा करते हैं। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार और सामाजिक समरसता के बीच संतुलन बना रहे।