Sunday, July 20, 2025
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कल्याण योजना पर कलंक: जीवित पतियों को मृत बताकर उठाई विधवा पेंशन

📝उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के आंवला तहसील क्षेत्र में सामने आया विधवा पेंशन घोटाला। विवाहित महिलाएं फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर सालों से ले रही थीं सरकारी सहायता। प्रशासन ने 22.86 लाख की रिकवरी प्रक्रिया शुरू की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में महिला कल्याण विभाग की विधवा पेंशन योजना में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। यहां की कई विवाहित महिलाओं ने फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से खुद को विधवा दर्शाकर पिछले कई वर्षों से पेंशन हासिल की।

🔍 जांच में खुली पोल, 59 महिलाओं को भेजे गए नोटिस

फरवरी 2025 में जब SDM ऑफिस को कुछ संदिग्ध मामलों की शिकायतें मिलीं, तो प्रशासन ने जांच के आदेश दिए। परिणामस्वरूप रामनगर, आलमपुर, जाफराबाद और मझगवां इलाकों में खंड विकास अधिकारियों द्वारा की गई छानबीन में यह सामने आया कि कई महिलाएं अपात्र होते हुए भी विधवा पेंशन ले रही थीं।

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अब तक 59 महिलाओं को नोटिस जारी किए जा चुके हैं और 22.86 लाख रुपए की रिकवरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

📌गांवों से जुड़े मामले: 14 हजार से 69 हजार तक की वसूली

बरेली के विभिन्न गांवों – जैसे गोठा खंडूवा, ढकिया, उरला, वरासिरसा, मुगलपुर, टांडा गौटिया, रसूला, भीमपुर, कुंवरपुर, लभारी और नंदगांव – में विभिन्न महिलाओं को नोटिस भेजे गए हैं। इनसे 14,000 से लेकर 69,000 रुपए तक की रकम वापस ली जाएगी।

🧾 स्थानीय प्रधान ने की पुष्टि

भीमपुर गांव के प्रधान श्रीपाल ने बताया कि उनके गांव की दो महिलाओं को 69-69 हजार रुपए की वसूली का नोटिस मिला है। उन्होंने पुष्टि की कि दोनों महिलाओं के पति आज भी जीवित हैं और मजदूरी या खेती करके जीवन यापन कर रहे हैं।

⚖️ प्रशासन सख्त, फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच शुरू

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने इस घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए DM से रिकवरी की अनुमति मांगी है। वहीं, बरेली के जिलाधिकारी अभिनाश सिंह ने भी स्पष्ट किया है कि:

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“जिन महिलाओं ने गलत तरीके से लाभ उठाया है, उनसे सख्ती से वसूली की जाएगी। फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्रों की गहराई से जांच चल रही है, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”

🔚योजनाओं के दुरुपयोग पर लगाम जरूरी

यह मामला यह दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थी चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी किस तरह गंभीर आर्थिक और सामाजिक समस्याएं खड़ी कर सकती है। इस घोटाले से सबक लेते हुए प्रशासन को चाहिए कि डिजिटल सत्यापन प्रणाली को और मजबूत बनाए ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।

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