Sunday, July 20, 2025
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तालाबों की खुदाई के नाम पर बड़ा घोटाला, ठेकेदार और अफसरों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट

चित्रकूट में लघु सिंचाई विभाग द्वारा तालाबों के जीर्णोद्धार और गहरीकरण में भारी भ्रष्टाचार! ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से मानकों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण कराया जा रहा है। क्या सरकार निष्पक्ष जांच कराएगी या यह घोटाला यूं ही चलता रहेगा?

चित्रकूट। जिले में वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए लघु सिंचाई विभाग द्वारा तालाबों के जीर्णोद्धार और गहरीकरण का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी धन को लूटने का खेल खुलेआम जारी है। मानकों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण कराया जा रहा है, जिससे योजना का उद्देश्य पूरी तरह विफल होता नजर आ रहा है।

करौंहा के उमरी तालाब में मानकों की उड़ रही धज्जियां

ऐसा ही मामला मानिकपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत करौंहा के उमरी तालाब में देखने को मिला, जहां ठेकेदार रामकेश यादव द्वारा बेहद घटिया निर्माण कराया जा रहा है। पुलिया निर्माण और इनलेट का काम स्थानीय पत्थरों से कराया जा रहा है, जो कि मानकों के पूरी तरह खिलाफ है। यही नहीं, खुदाई में निकले पत्थरों को ही निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि नियमों के अनुसार मजबूत और टिकाऊ सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए।

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इसके अलावा, तालाब की गहराई भी तय मानकों के अनुरूप नहीं है, जिससे इसका जल संचयन प्रभावित होगा। भीटों का निर्माण भी गुणवत्ता विहीन तरीके से किया गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि पुलिया इतनी ऊँची बना दी गई है कि तालाब में पानी जमा होने के बजाय बाहर बहकर बरदहा नदी में चला जाएगा, जिससे इस परियोजना का कोई फायदा नहीं होगा।

पहले भी कर चुका है ठेकेदार मनमानी, प्रशासन बना मूकदर्शक

ठेकेदार रामकेश यादव इससे पहले ग्राम पंचायत कल्याणपुर के मडफी तालाब का निर्माण कार्य भी कर चुका है। अगर उस तालाब के निर्माण की सही तरीके से जांच की गई होती, तो शायद करौंहा के उमरी तालाब में दोबारा यही भ्रष्टाचार न होता। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि लघु सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारी खुद इस खेल में शामिल हैं। यही कारण है कि वे कभी भी निर्माण कार्य का निरीक्षण करने नहीं जाते और ठेकेदार को मनमानी करने की पूरी छूट मिली हुई है।

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अधिकारियों की मिलीभगत से जारी है सरकारी धन की लूट

गौर करने वाली बात यह है कि ठेकेदार रामकेश यादव लघु सिंचाई विभाग के चहेते ठेकेदारों में शामिल है। यही वजह है कि उसे बार-बार बड़े निर्माण कार्यों के ठेके दिए जाते हैं और वह धड़ल्ले से भ्रष्टाचार करता चला आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, उसने अब तक कई तालाबों, चेकडैमों और कुओं का निर्माण कराया है, लेकिन हर बार मानकों की अनदेखी कर घटिया निर्माण किया गया है।

सरकार का दावा और जमीनी हकीकत

गत माह उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने विकास भवन परिसर में लघु सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित तालाबों के जीर्णोद्धार और गहरीकरण कार्यों का लोकार्पण किया था। उस कार्यक्रम में जिला प्रशासन के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन इसके बावजूद ज़मीनी हकीकत यह है कि तालाबों की खुदाई और गहरीकरण के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।

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क्या सरकार कराएगी निष्पक्ष जांच?

अब सवाल यह उठता है कि क्या ज़िला प्रशासन इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगा? या फिर ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत से सरकारी धन को ठिकाने लगाने का खेल ऐसे ही जारी रहेगा? अगर निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो इस पूरे मामले में बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। लेकिन अगर जिम्मेदार अधिकारी अपनी आँखें मूंदे रहे, तो सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेंगी और जनता को इनका कोई लाभ नहीं मिलेगा।

सरकार को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। अन्यथा, जनता का सरकारी योजनाओं से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा और सरकारी धन की बर्बादी का यह खेल यूं ही चलता रहेगा।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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