रात्रि का तीसरा पहर: अपनाघर कामवन की टीम ने बेसहारा महिला को पुनर्वास आश्रम भेजकर निभाई मानवता की मिसाल

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
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रात्रि के तीसरे पहर घड़ी की सूइयां एक-दूसरे को काटते हुए 1:00 बजे का संकेत दे रही थीं। चारों ओर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था और ठंड अपने चरम पर पहुंचने को थी। ऐसे समय में जब अधिकांश लोग रजाई-कंबलों में गुलाबी सर्दी की नींद में मग्न थे, वहीं अपनाघर सेवा समिति कामवन की टीम अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हुए सेवा कार्य में पूरी मुस्तैदी के साथ डटी हुई थी।

सूचना प्राप्त होते ही कस्बे के बस स्टैंड पर टीम पहुंची, जहां एक महिला अकेली और मानसिक रूप से अस्थिर अवस्था में घूमती हुई मिली। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए टीम ने तुरंत कार्यवाही करते हुए स्थानीय थाना पुलिस से सत्यापन करवाया और फिर अपनाघर आश्रम बझेरा की एम्बुलेंस के माध्यम से महिला को पुनर्वास हेतु रात लगभग 1:00 बजे आश्रम के लिए रवाना किया गया।

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तीन घंटे तक ठिठुरती सर्द रात में जारी रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

रेस्क्यू के दौरान आवश्यकता को देखते हुए टीम के सदस्य सर्द हवाओं में लगभग तीन घंटे तक बस स्टैंड पर ही मौजूद रहे। इस मानवीय सेवा अभियान में समिति के अध्यक्ष प्रमोद पुजारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष संजय जैन बड़जात्या, हरप्रसाद नाटाणी, जायन्ट्स ग्रुप अध्यक्ष खेमराज खंडेलवाल, सुरेश सोनी, मनोज गोयल सहित कई सदस्य पूरी तत्परता के साथ जुड़े रहे।

इस नेक कार्य में यादराम लोधा, सौरभ सिंह, सेवा साथी अनिता और रामवती ने भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया और सुनिश्चित किया कि बेसहारा महिला को सुरक्षित सहारा और पुनर्वास मिल सके।


अपनाघर सेवा समिति कामवन ने एक बार फिर साबित किया कि मानवता की सेवा ही उनका सर्वोच्च धर्म और प्राथमिकता है।

क्लिक करें और जवाब देखें — प्रश्नोत्तर (FAQ)

अपनाघर सेवा समिति कामवन क्या करती है?
अपनाघर सेवा समिति बेसहारा, निराश्रित, बीमार एवं मानसिक रूप से अस्थिर लोगों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा और पुनर्वास उपलब्ध कराती है।
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महिला को आश्रम भेजने की प्रक्रिया कैसी हुई?
सूचना मिलने के बाद टीम मौके पर पहुंची, पुलिस सत्यापन करवाया और फिर अपनाघर आश्रम बझेरा की एम्बुलेंस से रात में ही पुनर्वास हेतु भेजा गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में कौन-कौन शामिल रहे?
प्रमोद पुजारी, संजय जैन बड़जात्या, हरप्रसाद नाटाणी, खेमराज खंडेलवाल, सुरेश सोनी, मनोज गोयल, यादराम लोधा, सौरभ सिंह, अनिता और रामवती ने अहम भूमिका निभाई।
टीम बस स्टैंड पर कितनी देर मौजूद रही?
ठंडी रात में लगभग तीन घंटे तक पूरी टीम मौके पर उपस्थित रही और महिला की सुरक्षा-निगरानी करती रही।

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