
- आगरा में हाईवे पर डिवाइडर से टकराकर एमबीबीएस छात्र सिद्ध गर्ग और तनिष्क गुप्ता की दर्दनाक मौत
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के कई पसलियां टूटने और फेफड़ों के फटने की पुष्टि
- परिजन बोले– समय पर मदद मिल जाती तो शायद बच जाती जान, पुलिस की देरी को लेकर जांच शुरू
- सिद्ध खानदान का पहला बनने जा रहा था डॉक्टर, पूरे पड़ोस में नहीं जला चूल्हा
आगरा के हाईवे पर हुए भीषण सड़क हादसे ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। एसएन मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र
सिद्ध गर्ग और उनके सहपाठी तनिष्क गुप्ता की मौत ने न सिर्फ दो परिवारों के सपने छीन लिए, बल्कि सड़क सुरक्षा,
देर से मिली मदद और पुलिस की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद यह दर्द और भी गहरा हो गया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला दर्दनाक सच
हरीपर्वत थाना प्रभारी के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि हादसे के समय झटके की मार कितनी भयावह थी।
तनिष्क के माथे के बीचोंबीच गहरी चोट थी, ठोड़ी पर घिसटने के निशान थे और बाईं तरफ छाती की कई पसलियां टूट चुकी थीं।
टूटे हुए इन्हीं पाजरों के भीतर की ओर धंसने से उनके फेफड़े फट गए। दोनों घुटनों पर भी सड़क पर घिसटने के स्पष्ट निशान मिले।
सिद्ध गर्ग की हालत भी इससे अलग नहीं थी। रिपोर्ट के अनुसार उनकी भी कई पसलियों में फ्रैक्चर पाया गया। ठोड़ी, घुटनों और शरीर के अन्य हिस्सों पर
चोट के निशान दर्ज किए गए। मौत का मुख्य कारण दोनों छात्रों में पसलियां टूटने के बाद उनके फेफड़ों में गहरे घाव होना और
अत्यधिक रक्तस्राव बताया गया है। जिसने भी पोस्टमार्टम में दर्ज विवरण सुना, हादसे की भयावहता की कल्पना कर सन्न रह गया।
डिवाइडर से टकराई बाइक, पल भर में खत्म हो गई दो जिंदगियां
जानकारी के अनुसार, रविवार शाम कमलानगर के कर्मयोगी एन्क्लेव निवासी सिद्ध गर्ग और हरदोई की आवास विकास कॉलोनी के रहने वाले तनिष्क गुप्ता
बाइक से निकले थे। आईएसबीटी के निकट हाईवे पर उनकी बाइक तेज रफ्तार में डिवाइडर से जा टकराई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों छात्र
दूर तक घिसटते चले गए। राहगीरों ने हादसे का मंजर देखा तो कुछ पल के लिए सब स्तब्ध रह गए, लेकिन फिर भी मदद के नाम पर बेहद कम हाथ आगे बढ़े।
हादसे के बाद छात्रों को अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी अंततः उनके सहपाठियों पर आ गई, जो सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे। रास्ते भर इलाज की
उम्मीदों से जूझती दोनों जिंदगियां अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुकी थीं। परिवार के निवेदन पर देर रात ही पुलिस ने दोनों के शवों का
पोस्टमार्टम कराया, जिससे मौत की असली वजह सामने आ सकी।
पुलिस पर देरी से पहुंचने का आरोप, अधिकारियों ने शुरू की जांच
इस दर्दनाक सड़क हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल समय पर मदद को लेकर खड़ा हुआ। सिद्ध के पिता राजेश अग्रवाल ने आरोप लगाया कि
पुलिस मौके पर करीब एक घंटे की देरी से पहुंची। उनका कहना है कि अगर तुरंत पुलिस या एंबुलेंस पहुंच जाती और दोनों को समय रहते
बेहतर इलाज मिल जाता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने यह भी पीड़ा जताई कि हाईवे से गुजर रहे अधिकतर राहगीरों ने भी बस दूर से
देखकर नजरें फेर लीं।
उधर, पुलिस अधिकारियों का दावा है कि उन्हें सूचना मिलते ही पांच मिनट के भीतर टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी और छात्रों को अस्पताल
भिजवाया गया। अब पुलिस के देर से पहुंचने के आरोप पर उच्चाधिकारियों ने औपचारिक जांच शुरू कर दी है। इस जांच से यह स्पष्ट होने की उम्मीद है कि
वास्तव में सूचना और मौके पर पहुंचने के बीच कितना समय लगा और मदद में देरी हुई या नहीं।
घर पहुंचा बेटा बनकर शव, मां की चीख से फूट पड़ा गम
रात करीब डेढ़ बजे जब सिद्ध का शव कर्मयोगी एन्क्लेव स्थित उनके घर पहुंचा, तो माहौल का दर्द शब्दों में बयान करना मुश्किल हो गया।
बेटे का चेहरा देखते ही मां नीरू चीख मारकर बेसुध हो गईं। पानी के छींटे मारकर किसी तरह उन्हें संभाला गया, तो वे शव से लिपटकर बार-बार
इसी बात पर अटकी रहीं कि “थोड़ी देर में आ जाना, जल्दी क्यों चले गए?” उनकी हालत देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं।
अगली सुबह कॉलोनी का माहौल ऐसा था मानो पूरे मोहल्ले पर सन्नाटा छा गया हो। किसी घर में चूल्हा नहीं जला, किसी आंगन में बच्चों की किलकारियां
नहीं गूंजीं। लोग बस सिद्ध के व्यवहार, उनकी पढ़ाई और सपनों की चर्चा करते रहे। सोमवार सुबह 10 बजे जब अंतिम यात्रा निकली तो
सैकड़ों की भीड़ गम में डूबी हुई साथ चल पड़ी। ताजगंज पहुंचकर अंतिम संस्कार के दौरान छोटा बेटा होने के बावजूद बड़े भाई
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अक्षत गर्ग के हाथ मुखाग्नि देते समय कांप उठे। चचेरे भाइयों और रिश्तेदारों ने उन्हें सहारा देकर रस्म पूरी कराई।
खानदान का पहला डॉक्टर बनने जा रहा था सिद्ध, अब रह गईं सिर्फ यादें
पिता और जनरेटर कारोबारी राजेश अग्रवाल के लिए बेटा सिद्ध सिर्फ संतान नहीं, पूरा सपना था। उन्होंने बताया कि पूरा खानदान इस बात
पर गर्व करता था कि सिद्ध घर का पहला डॉक्टर बनने जा रहा है। उसके भोले-भाले चेहरे, विनम्र स्वभाव और मृदु भाषण से हर कोई
प्रभावित रहता था। पिता और बेटे का रिश्ता भी दोस्त जैसा था, जहां पढ़ाई से लेकर दोस्ती तक, वह हर बात खुलकर साझा करता था।
सिद्ध पढ़ाई में शुरू से ही तेज था। पिता की मानें तो 10वीं के बाद से ही उसने हर परीक्षा में लगभग 95 प्रतिशत अंक हासिल किए।
पहली ही कोशिश में नीट क्वालिफाई किया और सरकारी सीट मिलने पर पूरे आगरा के वैश्य समाज ने उसके सम्मान में भव्य कार्यक्रम किया।
कालोनी से लेकर रिश्तेदारों तक, हर कोई उसे प्यार से “डॉक्टर साहब” कहकर पुकारने लगा था। जब भी कोई ऐसा कहता, परिवार का सीना
गर्व से चौड़ा हो जाता था। अब वही संबोधन और यादें, परिवार के लिए ताउम्र टीस बनकर रह गई हैं।
इस सड़क हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि तेज रफ्तार, हेलमेट और सुरक्षा के प्रति लापरवाही कितनी बड़ी कीमत वसूल लेती है।
साथ ही, यह घटना इस बात की भी कड़ी याद दिलाती है कि समय पर मदद और मानवीय संवेदना किसी की जिंदगी और मौत के बीच
निर्णायक पल साबित हो सकते हैं। सिद्ध और तनिष्क के परिवारों के लिए यह दर्द अब जीवन भर का साथी बन चुका है।
सवाल-जवाब : आगरा एमबीबीएस छात्र सड़क हादसा
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हादसे में एमबीबीएस छात्रों सिद्ध और तनिष्क की मौत कैसे हुई?
हाईवे पर आईएसबीटी के पास उनकी बाइक डिवाइडर से जोरदार टकरा गई। टक्कर के बाद दोनों दूर तक सड़क पर घिसटते चले गए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार कई पसलियां टूटकर फेफड़ों में धंस गईं और अत्यधिक खून बहने की वजह से उनकी मौत हुई।
परिजनों ने पुलिस और मदद को लेकर क्या आरोप लगाया है?
सिद्ध के पिता राजेश अग्रवाल का आरोप है कि पुलिस घटना के लगभग एक घंटे बाद मौके पर पहुंची। उनका कहना है कि
अगर समय पर पुलिस और एंबुलेंस पहुंच जाती और तुरंत इलाज मिल जाता, तो दोनों की जान बचने की संभावना थी।
हालांकि पुलिस का दावा है कि सूचना मिलते ही पांच मिनट में टीम पहुंच गई थी और इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
सिद्ध गर्ग और तनिष्क गुप्ता कौन थे और परिवार उन्हें किस रूप में याद कर रहा है?
सिद्ध गर्ग एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा में एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र थे और अपने खानदान के पहले बनने जा रहे डॉक्टर थे।
10वीं और 12वीं में उन्होंने लगभग 95 प्रतिशत अंक हासिल किए और पहली बार में नीट क्वालिफाई कर सरकारी सीट प्राप्त की।
तनिष्क गुप्ता भी उनके सहपाठी और एमबीबीएस छात्र थे। परिवार और समाज दोनों छात्रों को मेधावी, विनम्र और सपनों से भरे युवा के रूप में
याद कर रहे हैं, जिनकी जिंदगी एक सड़क दुर्घटना ने पल भर में छीन ली।






