
रावण जल गया और आनंद छा गया
संतोष कुमार सोनी के साथ धर्मेन्द्र की रिपोर्ट
करतल/बांदा। शारदीय नवरात्रि के दस दिवसीय महापर्व के समापन पर आज विजयादशमी के अवसर पर कस्बे में दशहरा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। परंपरानुसार रावण संहार लीला का मंचन रावण पहाड़ी मेला मैदान में किया गया। दर्शकों के उत्साह और जयश्रीराम के गगनचुम्बी जयकारों के बीच रावण जल गया, और इस दृश्य ने सभी को आनंदित कर दिया।
स्थानीय मेला समिति ने राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, जामवंत, सुग्रीव और अन्य वानर दल के पात्रों के साथ-साथ राक्षस दल के रूप में कुम्भकर्ण, मेघनाद और रावण की लगभग 20 फीट ऊँची प्रतिमा तैयार की। मंच पर राम-रावण युद्ध का भव्य और मनमोहक रूपांतरण देखने को मिला।
रामलीला का अद्भुत मंचन और बुंदेली संस्कृति का संगम
इस दशहरा महोत्सव में केवल रावण संहार ही नहीं, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत किया गया। पारंपरिक बुंदेली गीतों और संगीत के बीच झुनझुनियां पार्टी के हास्य कलाकारों ने दर्शकों का मनोरंजन किया। बच्चों और युवाओं ने रामलीला का आनंद लिया और राम-रावण युद्ध के दृश्य देखकर उत्साह व्यक्त किया।
दर्शकों की आँखों के सामने जैसे ही रावण की प्रतिमा जल रही थी, जयश्रीराम के जयकारों की गूँज ने पूरे मैदान को गूंजा दिया। रावण जल गया और उसकी राख में बुराई के विनाश का प्रतीक दर्शकों के दिलों में गहराई से बैठ गया।
15 वर्षों बाद रामलीला का पुनः आयोजन
स्थानीय लोगों का कहना था कि पिछले लगभग 15 वर्षों से पंचायत संचालकों की “खाऊ-खमाऊ नीति” के चलते कस्बे में रामलीला का मंचन नहीं हो पा रहा था। इस कारण से साल दर साल मेले में रावण का संहार तो किया जाता रहा, लेकिन भव्य रामलीला का आनंद नहीं मिल पाया।
इस वर्ष, मेला समिति ने परंपरा को पुनर्जीवित कर, दशहरा महोत्सव को विशेष और यादगार बना दिया।
सुरक्षा और आयोजन की सुव्यवस्था
मेले और रामलीला के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। स्थानीय चौकी प्रभारी अरविंद सिंह और उनके सहयोगी पुलिस बल की चौकसी के कारण पूरा कार्यक्रम शांति और अनुशासनपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। सुरक्षा व्यवस्था के कारण दर्शक निश्चिंत होकर कार्यक्रम का आनंद ले पाए।
दर्शकों की प्रतिक्रिया और उत्साह
कार्यक्रम में शामिल दर्शकों ने जयश्रीराम के जयकारों के बीच रावण के जलने का दृश्य देखकर खुशी और उत्साह व्यक्त किया।
बुंदेली गीतों और हास्य प्रदर्शन ने मनोरंजन का अतिरिक्त आनंद प्रदान किया। स्थानीय परिवार, महिलाएं और युवाओं ने रामलीला का आनंद लेते हुए अपनी श्रद्धा और संस्कृति के प्रति प्यार जताया।
दशहरा मेले में खरीदारी और सामाजिक जीवन का उत्सव
मेले में सैकड़ों दुकानों पर सजावट, खाने-पीने के सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं। यह न केवल दर्शकों के लिए खरीदारी का अवसर था, बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने का माध्यम भी बना।
इस प्रकार, दशहरा महोत्सव ने सांस्कृतिक आनंद के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक जीवन में भी उत्साह और समृद्धि लाई।
रावण जल गया और उत्सव जीवंत हुआ
जयश्रीराम के गगनचुम्बी जयकारों के बीच रावण जल गया और दर्शकों के लिए यह दृश्य अविस्मरणीय बन गया। रामलीला और दशहरा महोत्सव ने कस्बे की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखा और स्थानीय लोगों के उत्साह को चरम पर पहुँचा दिया।
दर्शकों, आयोजकों और सुरक्षा कर्मचारियों के सहयोग से यह दशहरा महोत्सव शांति, उल्लास और आनंद का प्रतीक बनकर उभरा। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि चाहे समय बदल जाए, परंपराएं और सांस्कृतिक आयोजन हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहते हैं।